बीहर नदी को पाट कर बनी शाही रिवर व्यू कालोनी पर चली जेसीबी, ग्रीन बेल्ट से हटा अतिक्रमण

बीहर नदी को पाट कर शाही बीहर रिवर व्यू कालोनी बसा दी गई थी। नदी के ग्रीन बेल्ट को भी नहीं छोड़ा गया था। प्रशासन ने अवैध निर्माण पर शुक्रवार को जेसीबी चला दी। नदी को पाटकर की गई प्लाटिंग को खुर्दबुर्द कर दिया गया। पक्का निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे की मोहलत दी गई है। बीहर नदी को पाट कर अवैध कालोनियां बसाने वालों की लिस्ट लंबी है। सब पर गाज गिरेगी। शनिवार को सीमांकन के बाद अतिक्रमण हटाया जाएगा।

बीहर नदी को पाट कर बनी शाही रिवर व्यू कालोनी पर चली जेसीबी, ग्रीन बेल्ट से हटा अतिक्रमण
file photo

REWA.ग्राम पंचायत करहिया में बीहर नदी पर संकट मंडराने लगा था। कालोनाइजरों ने नदी को पाटना शुरू कर दिया था। नदी के घाट और किनारों को मट्टी और मलवा से पाट कर प्लाटिंग कर दी गई थी। ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश और नियमों को भी दरकिनार कर दिया गया था। इस अवैध प्लाटिंग की शिकायत जिला प्रशासन से हुई तब अधिकारी हरकत में आए। अवैध निर्माण के खिलाफ शुक्रवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। करहिया में नदी के ग्रीन बेल्ट में किए गए निर्माण और अवैध प्लाटिंग को तहस नहस करने पूरा प्रशासनिक अमला ही मौके पर पहुंच गया। एसडीएम, नायब तहसीलदार, तहसीलदार हुजूर मौके पर पहुंचे। पाटी गई नदी के हिस्से को जेसीबी की मदद से खुर्द बुर्द कराया गया। इसके अलावा सीमांकन कर नदी का सीमा तय कर दी गई। ग्रीन बेल्ट में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी गई है। नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट पर जो दीवार आदि पक्का निर्माण किया गया था। उसे भी हटाने के निर्देशदिए गए हैं। शाही बीहर रिव्हर व्यू कालोनी के संचालक ने 24 घंटे की मोहलत मांगी है। शाही रिव्हर व्यू के अलावा भी पुल के दूसरी तरफ भी कई कालोनाइजरों ने अवैध प्लाटिंग नदी पर की हुई है। नदी पर दीवार खड़ी कर दी गई है। इसके खिलाफ भी प्रशासन कार्रवाई करेगा।
30 मीटर तक निर्माण पर रोक
मौके पर बीहर नदी को ही मिट्टी और मलवा से पाट दिया गया था। ग्रीन बेल्ट के हिस्से को भी नहीं छोड़ा गया था। दीवार खड़ी कर दी गई थी। मिट्टी पाट कर नदी को पाट दिया गया था। इसकी शिकायत हुई तब जाकर प्रशासन एक्शन में आया। प्रशासनिक अधिकारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने सीमांकन किया। ग्रीन बेल्ट के हिस्से को चिन्हित कर दिया गया है। नदी के किनारे से 30 मीटर तक किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।
और भी हैं कालोनाइजर जिन्होंने नदी पाट दी है
फिलहाल यह हालात शाही बीहर रिवर व्यू के थे। अभी करहिया में नदी के किनारे कई ऐसे कालोनाइजर हैं, जिन्होंने नदी को ही पाटने का काम किया है। इसमें शांति विला वाले भी एक है। इस कालोनी के संचालन ने भी नदी तक अपनी सीमाएं बढ़ा ली है। इसके अलावा करही नगर के संचालक ने भी नदी को पाट डाला है। इनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी है। अगला नंबर प्रशासन ने इनका ही लगा रखा है। सीमांकन शुरू कर दिया गया है।
सभी अवैध तरीके से कालोनी बसा रखे हैं
करहिया में बड़ी बड़ी कालोनियां बस गई हैं। इनका कहीं भी रेरा में पंजीयन नहीं है। रेरा से बचने के लिए इन कालोनाइजरों ने शासन की आंख में धूल झोंकने का भी काम किया है। शिकायतकर्ता अधिवक्ता बीके माला का कहना है कि यहां बसी कोई भी कालोनी वैध नहीं हे। रेरा में रजिस्टे्रशन ही नहीं है। फर्म बना रखी है लेकिन रजिस्ट्री भूमि स्वामी से ही कराते हंै। फर्म के नाम से नहीं कराई जाती है।
हादसा टल गया
दरअसल ग्रीन बेल्ट में किए गए निर्माण को हटाने प्रशासन पहुंचा था। जेसीबी से ग्रीन बेल्ट में किए गए निर्माण को हटाया जा रहा था। नदी में डाली गई मिट्टी को जेसीबी से हटाया जा रहा था। इसी दौरान जेसीबी किनारे पर पहुंच गई और मिट्टी में धंस कर गहराई में पहुंच गई। बाद में क्रेन की मदद से जेसीबी को बाहर निकाला गया। वर्ना जेसीबी नदी में समा जाती।
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करहिया नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट में अवैध अतिक्रमण किया गया था। हटा दिया गया है। पक्के निर्माण को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। 24 घंटे का समय कालोनाइजर ने मांगा है। सीमांकन कर नदी की सीमा तय कर दी गई है। बीहर नदी के किनारे जितनी भी प्लाटिंग हैं, सभी की जांच की जाएगी।
यतीश शुक्ला
नायब तहसीलदार, हुजूर रीवा
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ग्रीन बेल्ट पर निर्माण करने वालों के खिलाफ एफआईआर किया जाना चाहिए। कालोनाइजरों ने कैसे  नदी को पाट दिया। यह गंभीर मामला है। करहिया में बन रही कालेानियों रेरा में रजिस्टर्ड भी नहंी है। इसकी भी जांच होनी चाहिए।
अधिवक्ता बीके माला
सामाजिक कार्यकर्ता और शिकायतकर्ता