जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज बम्हलीन हुए, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
प्रसिद्ध दिगंबर जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज शनिवार की रात महाप्रयाण कर गए। आचार्य श्री ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ में रात 2.35 बजे समाधि ली। वे 78 वर्ष के थे। रविवार दोपहर 2.30 बजे तीर्थक्षेत्र पर ही अंत्येष्टि की गई। आचार्य श्रीविद्यासागर जी महाराज के अंतिम दर्शन करने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
रायपुर। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने शनिवार देर रात 2.35 बजे संल्लेखनापूर्वक समाधि (देह त्याग दी) ले ली। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य पद का त्याग करने के साथ 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था, उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ में बड़ी संख्या में पहुंचे। पूजन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं मध्यप्रदेश में सरकार के सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। इसके अलावा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
चंदन और श्रीफल से हुआ अंतिम संस्कार
आचार्यश्री विद्यासागर जी का अंतिम संस्कार रविवार को चंद्रगिरी तीर्थ पर श्रीफल रखकर किया गया। जैन परंपरा में जैन संतो का अंतिम संस्कार श्रीफल और चंदन की लकड़ी से किया जाता है। जैन समाज में श्रीफल और चंदन को शुद्ध माना गया है। इनमें कीड़े नहीं लगते। जैन धर्म में अहिंसा का महत्व है। श्रीफल से अंतिम संस्कार का आध्यात्मिक महत्व है। श्रीफल एक ऐसा फल है जिसकी शिखा ऊध्र्वगामी होती है। यही वजह है कि मोक्ष उत्सव में इसका प्रयोग होता है।
1946 में कर्नाटक में हुआ जन्म
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। 30 जून 1968 को अजमेर में दीक्षा ली। नाम मिला विद्यासागर, 22 नवंबर 1972 को अजमेर में ही आचार्य की पदवी सौंपी गई। आचार्य विद्यासागर महाराज देश के ऐसे अकेले आचार्य थे, जिन्होंने 505 मुनियों को दीक्षा दी। आचार्य श्री कुन्थु सागर महाराज का नाम दूसरे नंबर पर आता है, उन्होंने अब तक 325 मुनियों को दीक्षा दी है।
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मैं शोक में हूं: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आचार्य विद्यासागर को नमन किया, श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मैं शोक में हूं, मेरे लिए ये व्यक्तिगत क्षति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनाव के दौरान 5 नवंबर को डोंगरगढ़ भी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आचार्य विद्यासागर जी महाराज से चंद्रगिरी पर्वत में मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने उनसे आशीर्वाद लिया और चर्चा की थी।
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1980 में दी थी पहली दीक्षा
विद्यासागर जी ने 8 मार्च 1980 को पहली दीक्षा छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को दी। दूसरी दीक्षा सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दी थी। दीक्षा लेने वालों में आचार्य श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री समय सागर और मुनि श्री योग सागर हैं। आचार्य श्री की दो बहनें शांता और सुवर्णा दीदी भी दीक्षा ले चुकी हैं।