सिरमौर तहसील में जंगलराज, सहायक ने हथिया ली रीडर की कुर्सी, वहीं हकदार परेशान नहीं मिल रहा प्रभार
सिरमौर तहसील और बैकुंठपुर सर्किल में भर्रेशाही चल रही है। भूस्वामी परेशान हैं। यहा बाबूराज हैं। रीडर की कुर्सी पर पदस्थापना किसी और की हुई लेकिन कामकाज कोई और कर रहा है। तीन महीने से जिस रीडर की पदस्थापना की गई वह प्रभार के लिए भटक रहा है। आरसीएमएस में पेडेंसी की भरमार है। सालों पुराने प्रकरण खत्म नहीं हो रहे। बिना दाम कोई काम नहीं हो रहा। कलेक्टर ने भी भर्रेशाही पकड़ी लेकिन सुधार नहीं हुआ।
बैकुंठपुर सर्किल के नए भवन का सिर्फ लोकार्पण हुआ, अब ताला लगा है
आरसीएमएस के लंबित प्रकरणों की भरमार, नहीं हो रहा निराकरण
नायब तहसीलदार ने सारे वारिसाना सहित अन्य प्रकरणों पर लगा दी आपत्ति, अब प्रभारी तहसीलदार बन गईं
रीवा। सिरमौर तहसील में बाबूराज चल रहा है। कुर्सी पर रीडर ने जबरन कब्जा कर रखा है। रीडर और वर्तमान प्रभारी तहसीलदार के कारण सारी व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई है। प्रकरणों की सुनवाई समय पर नहीं हो रही। प्रकरणों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। फाइलें डंप की जा रही है। जुगाड़ वालेां के प्रकरणों पर ही फैसला और निराकरण हो रहा है। जब कर्मचारी ही जुगाड़ से बैठे हो तो प्रकरणों का निराकरण समय पर संभव होना भी मुश्किल है। विभागीय सूत्रों की मानें तो तहसीलदार कार्यालय में वर्तमान में रीडर की कुर्सी पर राजेश पाण्डेय का कब्जा है। राजेश पाण्डेय की मूल पदस्थापना खंड लेखक के रूप में हुई है। बाद में सहायक रीडर बनाया गया था। तत्कालीन एसडीएम नीलमणि अग्निहोत्री ने राजेश पाण्डेय को बैकुंठपुर सहायक रीडर बना दिया था। सोभनाथ दाहिया को एसडीओ कार्यालय बुला लिया गया। सहायक रीडर ने धीरे से रीडर की कुर्सी पर भी कब्जा कर लिया। अब इस कदर कुर्सी पर चिपके हैं कि नए कर्मचारी की पदस्थापना होने के बाद भी प्रभार नहीं दे रहे हैं। तहसीलदार कार्यालय में रीडर के रूप में रवि शंकर त्रिपाठी की पोस्टिंग की गई है। वह पिछले तीन महीने से सिर्फ प्रभार के लिए इधर उधर चक्कर लगा रहे हैं। सहायक रीडर राजेश पाण्डेय, रवि शंकर त्रिपाठी को प्रभार ही नहीं सौंप रहे हैं। इसके पीछे कुर्सी पर बैठ कर मोटी कमाई करना मुख्य वजह मानी जा रही है। इनकी मनमानी और अनियमितता हाल ही में कलेक्टर ने भी पकड़ा था। आरसीएमएस के प्रकरणों में तहसीलदार और रीडर मिलकर किस तरह से फर्जीवाड़ा कर रहे थे, यह सबके सामने आ गया। कलेक्टर ने भी प्रभार देने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी बदलाव नहीं हुआ है। तहसील कार्यालय में चल रही भर्रेशाही को लेकर एसडीएम सिरमौर से संपर्क करने की कई मर्तबा कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
भवन का लोकार्पण हुआ फिर ताला लग गया
हद तो यह है कि सिरमौर तहसील अंतर्गत बैकुंठपुर सर्किल के लिए नया भवन बनाया गया। चुनाव के पहले इसका भव्य तरीके से लोकार्पण भी हुआ। इसके बाद यहां कार्यालय का संचालन नहीं हुआ। ताला लग गया। अब भी ताला लगा हुआ है। यहां गंदगी का अंबार है। सिरमौर तहसील कोर्ट के साथ ही बैकुंठपुर नायब तहसीलदार कोर्ट भी चल रहा है। इसलिए भर्रेशाही मची हुई है।
कितने प्रकरण हैं लंबित
आरसीएमएस पोर्टल पर पेडिंग मामलों पर गौर करें तो तहसीलदार कोर्ट में 951 प्रकरण लंबित है। इनमें 3 माह से लंबित प्रकरणों की संख्या 182 है। 3 से 6 माह के लंबित प्रकरण 334 है। 6 माह से 1 वर्ष के 242 प्रकरण लंबित है। 1 वर्ष से 2 वर्ष के बीच के प्रकरणों की संख्या 163 है। वहीं 2 वर्ष से 5 वर्ष के बीच के प्रकरणों की संख्या 30 है। 5 वर्ष से अधिक के प्रकरण शून्य दिखाया जा रहा है लेकिन ऐसा है नहीं।
बैकुंठपुर में सुनवाई ही नहीं होती
बैकुंठपुर नायब तहसीलदार के कोर्ट में सुनवाई ही नहीं होती। हाल ही में नई पदस्थापना की गई है। मैडम ने ज्वाइनिंग के बाद ही अवकाश ले लिया। बैकुंठपुर सर्किल में 703 प्रकरण लंबित है। 3 माह तक पुराने प्रकरण 195 है। 3 से 6 माह पुराने प्रकरणों की संख्या 296 है। 6 वर्ष से 1 साल के बीच के प्रकरण 211 हैं। 1 वर्ष से 2 वर्ष तक के लंबित प्रकरणों की संख्या 1 है। इसके अलावा अन्य प्रकरणों की जानकारी ही दर्ज नहीं की गई। सब गायब कर दिया गया। ग्राम पल्हान का ही प्रकरण यहां पिछले 8 साल से बटनवारा का चल रहा है। इसे गायब कर दिया गया है।
लालगांव सर्किल के भी बुरे हालात
तहसील सिरमौर अंतर्गत लालगांव सर्किल में भी पुराने प्रकरणों की भरमार है। यहां माह के अंत तक कुल शेष प्रकरणों की संख्या877 है। 3 माह तक के 218 लंबित प्रकरण है। 3 से 6 माह पुराने प्रकरण 272 हैं। 6 माह से 1 वर्ष पुराने प्रकरण 209 हैं। 1 वर्ष से 2 वर्ष पुराने प्रकरणों की संख्या 103 है। 2 वर्ष से 5 वर्ष पुराने प्रकरणों की संख्या 75 के करीब है। इससे यहां की स्थिति और प्रकरणों की सुनवाई, निराकरण की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।