टेकुआ नाला में भूमाफिओं का कब्जा, प्लाटिंग कर बेच दी सरकारी जमीन

रीवा में भूमाफिओं के हौसले इस कदर बुलंद है कि नदी, नालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। बीहर नदी पर तो अतिक्रमण किया ही गया है अब नालों को भी बेंच रहे हैं। ऐसा ही मामला पडऱा में ग्राम टेकुआ का सामने आया है। यहां सरकारी जमीन को ही प्लाटिंग कर बेंच दिया गया है। इसकी शिकायत कलेक्टर से की गई है।

खसरा क्रमांक 122 रकवा 0.1420 हेक्टेयर भूमि शासकीय दर्ज है, इसी से निकला है नाला
रीवा। अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने कलेक्टर से की गई शिकायत में कहा है कि रीवा में तहसील हुजूर अंतर्गत पटवारी हल्का पडऱा ग्राम टेकुआ में कई गांवों का पानी नाला से पहुंचता है। पानी की निकासी के लिए टेकुआ नाला बना हुआ है। यह काफी पुराना है। यह नाला टेकुआ की आराजी नंबर 122 व अन्य नंबर से होते हुए नदी में मिलता है। इस नाला की आराजी मप्र शासन राजस्व अभिलेख में दर्ज है। इस नाला से कई गांवों की पानी निकासी होती है। काफी पुराना नाला है। टेकुआ में भूमि खसरा क्रमांक 122 रकवा 0.1420 हेक्टेयर शासकीय मप्र शासन नाला की परिक्षेत्र में बिना टीएनसीपी के कच्ची अवैध प्लाटिंग की गई है। प्लाटिंगकर्ताओं ने एक योजनाबद्ध तरीके से मप्र शासन की नाला की भूमि को प्लाटिंग में रकबे को सम्मलित कर बेच दिया है। लगातार विक्रय का काम जारी है। साथ ही भूमाफिओं ने बिना राजस्व अनुमति तथा टीएनसीपी रेरा अधिनियम के विपरीत काम कर रहे हैं। यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। इस संबंध में कई बार प्लाटिंगकर्ताओं से जनहित में आग्रह किया गया कि नाला नाली, नदी व अन्य प्राकृतिक धरोहरों को नष्ट एवं विलुप्त नहीं किया जाए। इसके बाद भी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकारी जमीनों का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकारी जमीन को भी बेचा जा रहा है। कलेक्टर से मामले की जांच कर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है।