चोरहटा हवाई अड्डा के लिए अधिग्रहित की थी जमीन, अब मुआवजा नहीं दे रहे, बजट ही हो गया खत्म
सरकार ने किसानों की जमीन ली। चोरहटा हवाई अड्डा भी तैयार करा लिया और किसानों को भूल गए। अब बजट खत्म का बहाना बनाकर किसानों को घुमाया जा रहा है। जमीन लेने वाले भूमि स्वामी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। अधिकारी उन्हें बजट खत्म होने का हवाला देकर लौटा रहे हैं। ऐसे पीडि़त किसानों की संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा है। हद तो यह है कि जिन्होंने शासन की गाइड लाइन तोड़कर जमीनें लीं उन्हें करोड़ों रुपए बांट दिया गया। और जो वाजिब भूमि स्वामी हैं उन्हें दौड़ाया जा रहा। हवाई अड्डा की शुरुआत होने के बाद इन्हें पूरी तरह से भुला दिया जाएगा।
रीवा। चोरहटा हवाई अड्डा बन कर लगभग तैयार हो गया है। करोड़ों रुपए की लागत से बने हवाई अड्डा की जल्द ही शुरुआत होने वाली है लेकिन जिन किसानों और भूमि स्वामियों की जमींन ली गई। उन्हें प्रशासन मुआवजा नहीं दे पाया है। अब भी किसान कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा। बड़े अधिकारियों ने जो इन्वेस्टमेंट किए थे, उन्हें करोड़ों का मुआवजा बांट दिया गया लेकिन असल भूमि स्वामी अब भी भटक रहे हैं।
ज्ञात हो कि चोरहटा में अंतरराज्यीय हवाई अड्डा तैयार किया जा रहा है। इस हवाई अड्डा को तैयार करने में किसानों की कई हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। इस भूमि अधिग्रहण में अधिकािरयों ने बड़ा खेल किया। मुआवजा अधिक से अधिक बने इसके लिए फर्जी तरीके से रोक के बाद भी नामांतरण और बटनवारा किया गया। कई बड़े ओहदेदारों को लाभ पहुंचाया गया। डॉक्टर से लेकर राजस्व, वन, पुलिस विभाग के अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण के पहले जमीन खरीदी। फिर पटवारी के साथ मिलकर बटांकन कराया। डायवर्सन कराकर करोड़ों रुपए का मुआवजा बनावा लिया। इन सभी लोगों को प्रशासन ने चुन चुन कर पहले ही मुआवजा का वितरण कर दिया। वहीं जो वास्तविक किसान और छोटे इन्वेस्टर थे। उन्हें मुआवजा देने से रीवा प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अब कई किसानों को एसडीएम कार्यालय से यह कह कर लौटाया जा रहा है कि बजट नहंी है। प्रशासन की इस मंशा से किसान डरे हुए हैं। उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनकी जमीन भी प्रशासन ले लेगा और राशि भी नहीं देगा। अभी हवाई अड्डा शुरू नहीं हुआ है तो राशि जारी हो जाएगी। इसकी शुरुआत होने के बाद उनकी समस्याओं की तरफ कोई ध्यान भी नहीं देगा। यही वजह है कि किसान परेशान हैं।
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12 लाख में खरीदी थी जमीन, मुआवजा 9 लाख बना
उमरी गांव में ज्ञानेन्द्र सिंह परिहार ने 2 हजार स्क्वेयर फीट जमीन ली थी। गांव के ही एक भूमाफिया ने प्लाटिंग कर उन्हें जमीन बेची थी। इस कालोनी में रीवा के कई नामी लोगों ने प्लाट खरीदा था। इसमें कई डॉक्टर, अधिकारी भी शामिल थे। उन सभी का मुआवजा लाखों से करोड़ों में बना। उनकी राशि भी मिल गई लेकिन ज्ञानेन्द्र सिंह को अब तक मुआवजा नहंी मिला है। उन्हें कलेक्ट्रेट का चक्कर लगाना पड़ रहा है। कलेक्ट्रेट में एसडीएम कार्यालय से संपर्क करने पर बजट खत्म होने की बात कही जा रही है। ज्ञानेन्द्र सिंह अकेले व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है। इनके जैसे दो दर्जन से भी अधिक है। जिन्हें अब तक मुआवजा की राशि नहीं मिली है। पीडि़त का कहना है कि उन्होंने 12 लाख रुपए में प्लाट खरीदा था। घर बनाने के लिए लिया था। अब सरकार ने अधिग्रहित कर लिया। 12 लाख में लिया था सरकार 9 लाख मुआवजा बनाई है। वह भी नहीं दे रही है। यदि राशि नहीं मिली तो वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।