जूनियर डॉक्टर की मौत से सबक, अब मेडिकल कॉलेज में हर 2 साल में रोटेट होंगे विभागाध्यक्ष
चिकित्सा शिक्षा विभाग देर से ही सही लेकिन नींद से जाग गया है भोपाल में जूनियर डॉक्टर की मौत से पूरा सिस्टम हिल गया है प्रोफेसरों की प्रताड़ना से जूनियर ने आत्महत्या कर ली इसके बाद अब नई दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है चिकित्सा शिक्षा विभाग आदेशानुसार अब विभागों में हर 2 साल में h.o.d. यानी विभागाध्यक्ष रोटेट होंगे विभागाध्यक्ष का प्रभाव वरिष्ठता के आधार पर दिया जाएगा और हर 2 साल में क्रमानुसार अगले को मौका मिलेगा।
विंध्य बुलेटिन डॉट कॉम रीवा।ज्ञात हो कि भोपाल मेडिकल कॉलेज में 27 वर्षीय जूडा डॉक्टर सरस्वती ने चिकित्सकों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। जूनियर डॉक्टर की मौत के बाद पूरे प्रदेश के साथ ही कई राज्यों के जूनियर डॉक्टर लामबंद हो गए थे। काम बंद हड़ताल पर चले गए थे। जिन डॉक्टरों की वजह से जूनियर डॉक्टर ने आत्महत्या की थी। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इसके अलावा और भी मांगे शासन के सामने रखी गई थी। शासन को जूडा के सामने नतमस्तक होना पड़ा । उनकी सारी मांगे भी माननी पड़ी ।चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस घटना से सबक लिया है और एक नया आदेश जारी कर दिया है। सभी मेडिकल कॉलेज में नई व्यवस्था लागू करने का फरमान जारी किया गया है।इस नई व्यवस्था के तहत मेडिकल कॉलेज के विभागों में विभागाध्यक्ष अब पूरी सेवा काल तक नहीं रहेंगे । हर 2 साल में इन्हें रोटेट किया जाएगा इनकी पदस्थापना एचओडी के तौर पर सिर्फ 2 साल के लिए होगी और वरिष्ठता के आधार पर यह बदलते जाएंगे। 2 साल बाद स्वयं इनका एचओडी का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और उसके नीचे वाले को प्रभार सौंपा जाएगा।
कुछ ऐसी रहेगी व्यवस्था
Vindhyabulletin.com प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त / पदस्थापन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। प्रथमतः शैक्षणिक चिकित्सालयों में संबंधित विशिष्ठता के परिष्ठतम वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जावेगा । जो एक बार में अधिकतम 2 वर्ष के लिए विभागाध्यक्ष रहेंगें। यह नियुक्ति परिपत्र जारी करने की दिनांक से प्रभावी होगी। वर्तमान में कार्यरत विभागाध्यक्ष नियुक्ति तिथि से 2 वर्ष तक कार्य कर सकेंगे। तत्पश्चात वरिष्ठता के आधार पर क्रम अनुसार वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जायेगा। जिसकी अवधि 2 वर्ष की होगी। विभाग में एक ही वरिष्ठ प्राध्यापक होने की स्थिति में दूसरा वरिष्ठ प्राध्यापक उपलब्ध होने तक कार्यालय में वृद्धि की जावेगी।
दागी नहीं बन पाएंगे एचओडी
यदि वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक द्वारा विभागाध्यक्ष बनने में लिखित रूप से अनिच्छा प्रकट की जाती है अथवा उसके विरूद्ध विभागीय जांच / न्यायालय में अपराधिक प्रकरण दर्ज है अथवा अधिष्ठाता द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी की गई है अथवा राज्य सरकार द्वारा आरोप पत्रादि जारी किये गये हैं तो संबंधित विभाग में कार्यरत अगले वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जावेगा। विभागाध्यक्ष के नियुक्ति आदेश कमांनुसार (On Rotation) संबंधित अधिष्ठाता एवं CEO द्वारा जारी किये जायेंगे। संबंधित शैक्षणिक चिकित्सालयों में विभागाध्यक्ष के अन्य महाविद्यालय में स्थानान्तरण, त्यागपत्र, सेवानिवृत्त अथवा अन्य की स्थिति में स्वतः ही वरिष्ठता में अगले वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जा सकेगा।
फिर से रोटेशन में मिलेगा प्रभार
Vindhyabulletin.com पुनः कम (Rotation) प्रारंभ होने पर पूर्व में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक को वरिष्ठता के आधार पर विभागाध्यक्ष नियुक्त किया जायेगा जब तक कि वरिष्ठता कम में ऐसा वरिष्ठ प्राध्यापक / प्राध्यापक जिसकी विभागाध्यक्ष के रूप में 2 वर्ष की अवधि पूर्ण नहीं हुई है, उपलब्ध नहीं होता है। 7. संबंधित अधिष्ठाता एवं CEO उनके संबंद्ध शैक्षणिक चिकित्सालयों के सभी विभागों को
इन्हें एचओडी नहीं बनाया जाएगा
उक्त प्रक्रिया के तहत विभागाध्यक्ष की नियुक्ति किया जाना सुनिश्चित करेंगे। राष्ट्रिय आर्युविज्ञान आयोग की अधिसूचना दिनांक 14.02.2022 "Teachers Eligibility Qualification in Medical Institution regulation, 2022 के अनुसार Non Medical Person को किसी चिकित्सा संस्थान में अधिष्ठाता / निदेशक / चिकित्सा अधीक्षक अथवा विभागाध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जा सकता है। उपलब्ध Medical Person में से ही वरिष्ठता अनुसार विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। वरिष्ठता क्रम में Medical Person की अनुपलब्धता की दशा में पुनः यही क्रम (Cycle of Rotation) दोहराया जाएगा। परन्तु विभागाध्यक्ष का प्राध्यापक होना भी आवश्यक है (NMC अधिसूचना दिनांक 28.10.2020 Schedule 11 B.2 के अनुसार) उक्त दिशा निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है।
एचओडी की कुर्सी पर पदस्थ रहते हो जाते हैं रिटायर
Vindhyabulletin.comवर्तमान समय में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था कुछ दूसरी है। यहां जो भी डॉक्टर कुर्सी पर बैठता है। वह छोड़ने को तैयार ही नहीं होता । एचओडी की कुर्सी पर पदस्थ होने के बाद इस कुर्सी से रिटायर भी हो जाता है। सालों साल एक ही जगह पर जमे रहते हैं। ऐसे में किसी और को विभाग अध्यक्ष बनने का मौका ही नहीं मिलता। एक ही जगह पर जमे डॉक्टर मनमानी भी करते रहते हैं ।यही वजह है कि इस व्यवस्था में शासन ने बदलाव के आदेश दिए हैं।