लिफ्ट में फंस गए एमबीबीएस छात्र, मोबाइल नेटवर्क नहीं था, मदद तक नहीं हुई नसीब, ऐसे बची जान
मेडिकल कॉलेज के दो छात्रों के जान पर बन आई। दोनों छात्र लिफ्ट में फंस गए। मदद के लिए मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन नेटवर्क नहीं था। छात्रों के पसीने छूट गए। गनीमत रही कि अन्य साथी छात्र पहुंचे और उनकी नजर लिफ्ट पर पड़ गई। एक घंटे तक छात्र फंसे रहे। किसी तरह उन्हें छात्रों ने लिफ्ट से बाहर निकाला। तब जाकर जान बच पाई।
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श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के नए अकादमिक भवन का मामला
घटना के बाद से स्टाफ और छात्रों में दहशत
रीवा। ज्ञात हो कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में करोड़ों की लागत से दो नए अकादमिक भवन बनाए गए हैं। एक का लोकार्पण हो चुका है। दूसरे का काम अभी अधूरा है। पीआईयू के ठेकेदार ने भवनों का निर्माण कराया है। यह भवन मेडिकल कॉलेज को हैंडओव्हर नहंी हुए हैं। फिर भी इन भवनों में नियम विरुद्ध तरीके से विभागों का संचालन कर दिया गया। बारिश के दौरान यहां कई हादसे होने से बचे थे। इसके बाद भी प्रबंधन ने सबक नहीं लिया। स्टाफ और छात्रों का आना जाना शुरू कर दिया गया। लाइब्रेरी, पीएसएम विभाग यहीं पर चल रहे हैं। इस भवन में दो लिफ्ट लगा दी गई है। इन्हें चालू भी कर दिया गया गया है। यही लिफ्ट गुरुवार को एमबीबीएस छात्रों के लिए काल बनने वाली थी। सुबह करीब 10 से 11 बजे के बीच जब दो छात्र लाइब्रेरी जाने के लिए लिफ्ट में गए। तो लिफ्ट थोड़ा सा चलने के बाद बंद पड़ गई। लिफ्ट बीच में ही फंस गई। लिफ्ट के अंदर मोबाइल का नेटवर्क भी गायब हो जाता है। लिफ्ट में फंसे छात्रों ने मदद के लिए गुहार लगाई लेकिन किसी के पास तक उनकी आवाज नहीं पहुंची। काफी देर तक पसे रहे। गनीमत यह रही कि कुछ ही देर में अन्य छात्र और स्टाफ भी मौके पर पहुंच गया। उनकी नजर लिफ्ट में फंसे छात्रों में फंस गई। पहले तो छात्रों ने लिफ्ट खोलने की असफल कोशिश की। जब सफल नहीं हुए तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों को इसकी जानकारी दी। मौके पर स्टाफ और अन्य छात्र भी तब तक पहुंच गए थे। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद किसी तरह लिफ्ट को खोला गया। तब जाकर छात्रों की जान बच पाई। इस घटना ने छात्रों और स्टाफ को पूरी तरह से डरा दिया है। अब वह लिफ्ट का उपयोग करने से भी डर रहे हैं।
इसके पहले भी हो चुके हैं कई हादसे
नया भवन शुरू से ही विवादों में रहा। इसके निर्माण और गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। इस भवन निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हुए। दो मर्तबा टेंडर हुआ। जब बन कर तैयार हुआ तो पहली ही बारिश में गुणवत्ता की पोल खुल गई। पूरा भवन ही बारिश में रिसने लगा था। दीवारों और फर्श पर सीपेज दिखने लगा था। चौथे तल का पानी ग्राउंड फ्लोर तक पहुंच रहा था। इसके अलावा जो फाल सीलिंग का काम किया गया था। वह भी निम्न स्तर था। फॉल सीलिंग तक गिर गईं थी। कुछ चिकित्सक घायल होने से भी बच गए थे। इसके बाद इसकी भरपाई सुधार कार्य कर किया गया। अब नई खामी लिफ्ट में सामने आई है। लिफ्ट इसके पहले भी कई मर्तबा बंद हो चुकी है। लिफ्ट का काम भी निम्न स्तर का हुआ है।
लिफ्ट में फंसे तो मदद के लिए कोई नहीं
नए अकादमिक भवन में लिफ्ट लगाकर शुरू कर दिया गया है। इसका उपयोग भी होने लगा है लेकिन हेल्पलाइन नंबर जारी नहीं किया गया है। यदि छात्र और स्टाफ लिफ्ट में फंस जाए तो उन्हें बाहर कौन निकालेगा। इसका पता नहीं है। दो छात्रों को लिफ्ट से निकालने के लिए स्टाफ ठेकेदार के कर्मचारियों को बुलाया लेकिन उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी। इसके बाद ठेकेदार को संपर्क किया गया। ठेकेदार काफी देर बाद पहुंचा। तब तक छात्रों को बाहर निकाल लिया गया था। इस तरह की लापरवाही और चूक किसी की भी जान ले सकता है।