महाकुंभ 2025: मकर संक्राति के दिन 3.50 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी

महाकुुंभ 2025 में मकर संक्रांतिके शुभ अवसर पर आयोजित पहले शाही स्नान ने इतिहास रच दिया। 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। यह महाकुंभ का पहला शाही स्नान था, जो 12 घंटे तक चला। इस दौरान सभी 13 अखाड़ों के संतों ने निर्धारित क्रम में स्नान किया। पवित्र संगम में साधु संत और अखाड़ों के साथ साथ श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया।

प्रयागराज। पप्रयागराज मंगलवार को दुनिया का पहला ऐसा जिला बन गया जहां एक ही समय में इतनी आबादी एकत्र थी कि इनकी संख्या सुन कर किसी के भी होश उड़ जाएं। प्रयागराज महाकुंभ का पहला शाही स्नान मंगलवार को करीब 12 घंटे चला, जिसमें 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम पर डुबकी लगाई। सभी 13 अखाड़ों से जुड़े संन्यासियों ने अलग घाट पर स्नान किया, जबकि आम श्रद्धालुओं ने अलग डुबकी लगाई। पूरा प्रयागराज श्रद्धालुओं के भीड़ से पटा हुआ था।
पहले शाही स्नान के दिन सबसे पहले आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में निरंजनी अखाड़े के संन्यासी बम बम भोले और हर हर गंगे के नारे लगाते हुए निकले। इसके बाद अखाड़ों के स्नान का जो सिलसिला प्रारंभ हुआ, वह शाम पांच बजे तक चला। उत्तर प्रदेश सरकार ने संतों और श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश कराई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहला शाही स्नान निर्विघ्न संपन्न होने के लिए प्रशासन को बधाई दी। गौरतलब है कि मंगलवार को महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा जिला बन गया था। एक दिन में दुनिया में कहीं भी इतनी ज्यादा भीड़ नहीं जुटी, जितनी यहां थी।
20 क्विंटल गुलाब की बारिश कराई गई
शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की गई और संगम तट पर घाटों और अखाड़ों को फूलों से सजाया गया। जैसे ही भक्तों पर गुलाब की पंखुडिय़ां बरसीं, उन्होंने जयश्री राम और हर-हर महादेव का जयघोष किया। योगी सरकार के निर्देश पर बागवानी विभाग ने मेले में पुष्प वर्षा कराई। महाकुंभ के सभी प्रमुख स्नानों के दौरान पुष्प वर्षा की तैयारी है। प्रत्येक अवसर पर करीब 20 क्विंटल गुलाब की पंखुडिय़ों की बारिश कराई जाएगी।
रेलवे स्टेशन पूरी तरह से फुल रहे
पहले शाही स्नान में शामिल होने के लिए देश, दुनिया के कोने कोने से लोग पहुंचे थे। प्रयागराज पहुंचने वाली सभी ट्रेने फुल होकर पहुंची। हालात यह थे कि स्टेशन में लोगों के पैर रखने तक की जगह नहीं थी। रेलवे स्टेशनों में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली। इस भीड़ को सम्हालने में रेलवे को भारी मशक्कत करनी पड़ी।