भोपाल सामूहिक सुसाइड केस में आया नया मोड़, परिजनों ने कलेक्ट्रेट घेरा और की यह बड़ी मांग
रीवा के विश्वकर्मा परिवार ने भोपाल में सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। इस घटना ने झकझोर कर रख दिया था। आनलाइन लोन और साइबर फ्राड में फंस कर पूरा परिवार ही खत्म हो गया था। इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर परिजनों ने बुधवार को कलेक्ट्रेट का घेराव किया। मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर जांच के साथ ही आर्थिक मुआवजा व नौकरी की भी मांग की गई हैं।
रीवा। ज्ञात हो कि राजधानी भोपाल के रातीबड़ थाना क्षेत्र में रहने वाले रीवा के भूपेन्द्र विश्वकर्मा लोन ऐप के झांसे में फंस गए थे। भूपेन्द्र विश्वकर्मा निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करते थे। उन्होंने आनलाइन लोन के चक्कर में फंस कर काफी कर्ज ले लिया था। कर्ज की राशि भी आनलाइन ही किसी कंपनी में लगाते गए। लोन का कर्ज वह समय पर चुका नहीं पाए। आनलाइन लोक कंपनी उन पर दबाव बनाने लगी। उनके परिचितों को भी फोन करने लगी थी। भूपेन्द्र विश्वकर्मा की कुछ फोटो भी वायरल करने की धमकी दे रहे थे। इस कर्ज से दबे भूपेन्द्र विश्वकर्मा ने परिवार के साथ आत्महत्या का फैसला लिया। पहले उन्होंने बच्चों को जहर दिया और इसके बाद पति, पत्नी फंदे पर झूल गए। घटना की जानकारी हुई तो भोपाल से रीवा तक हड़कंप मच गया। शव दूसरे दिन रीवा पहुंचा तो यहां भी जाम लगा दिया गया। सीबीआई जांच सहित मुआवजा राशि 1 करोड़ रुपए और परिवार के सदस्य को नौकरी देने की मांग की गई थी। प्रशासन की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ था। प्रशासन ने समझाइश दी थी कि प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी से कराएगी। जांच मामले में ढिलाई को देखते हुए परिजनों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं भूपेन्द्र विश्वकर्मा के परिवार की आत्महत्या को भी परिजन स्वीकार नहीं कर पा रहे है। इसे हत्या बता रहे हैं। परिजनों ने आशंका जताई है कि जिस हालत में उनके शव मिले थे, उसे देखकर आत्महत्या किया जाना प्रतीत नहीं हो रहा है। विश्वकर्मा विकास परिषद भारत जिला ईकाई रीवा के बैनर तले बुधवार को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर कलेक्टर को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
यह की गई हैं मांग
विश्वकर्मा विकास परिषद ने पूरी घटना की जांच एसआइटी के बजाय सीबीआई से कराने के साथ ही एक करोड़ की आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने, घर के सदस्य को एक सरकारी नौकरी दिलाने व जिस कम्पनी में युवक के साथ हरासमेंट हुआ है उस कम्पनी का रजिस्ट्रेशन जप्त कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कराने की मांग की। आगे कहा गया कि मृतकों की जो मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट आयी है वह भी वास्तविकता से परे है। आरोप लगाया गया कि टाटा एआईसी भोपाल शाखा के मैनेजर की भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध है। इन सभी बिंदुओं पर जांच की मांग की गई है।