मिनर्वा ने टीआई की जोखिम में डाली जान, बिना जांच के कर दिया ऑपरेशन और हो गए फेल

(vindhyabulletin.com)सिविल लाइन थाना प्रभारी हितेन्द्रनाथ शर्मा के फेफड़े में धंसी गोली निकालने में मिनर्वा के डॉक्टरों ने बड़ी लापरवाही की। बिना जांच के ही आपरेशन कर दिया और फेल हो गए। गोली मिली ही नहीं। अब जबलपुर और भोपाल से चिकित्सक बुलाए जा रहे हैं।

मिनर्वा ने टीआई की जोखिम में डाली जान, बिना जांच के कर दिया ऑपरेशन और हो गए फेल
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(vindhyabulletin.com) रीवा। मिली जानकारी के अनुसार सिविल लाइन थाना प्रभारी को उप निरीक्षक बीआर सिंह ने थाना में ही गोली मार दी थी। गोली कंधे के नीचे जा लगी। आनन फानन में थाना प्रभारी को मिनर्वा अस्पताल ले जाया गया। सूत्रों की मानें तो यहां कार्डियक थोरेसिक सर्जन मौजूद नहीं है। फिर भी आपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गई। डॉक्टरों को गोली कहां फंसी और धंसी है। इसका भी अंदाजा नहीं था। थाना प्रभारी आपरेशन की कंडीशन में ही नहीं थे। कार्डियक थोरेसिक सर्जन की पूर्ति के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से डॉक्टर को बुलाया गया लेकिन उनकी राय नहीं ली गई। मिनर्वा के डॉक्टरों ही सारे निर्णय लेते गए। जब सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर की बात नहीं सुनी गई तो वह वहां से वापस लौट गए। इसके बाद भी थाना प्रभारी का आपरेशन मिनर्वा की टीम ने कर दिया और गोली निकालने में फेल हो गए।
8 लोगों की टीम ने किया फेल्युअर आपरेशन
(vindhyabulletin.com) मिनर्वा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती थाना प्रभारी का पहला फेल्युअर आपरेशन 8 लोगों की टीम ने किया। इसमें कार्डियक सर्जर, प्लास्टिक सर्जन, एनेस्थीसिया एक्सपर्ट, जनरल सर्जन, पिडियाट्रिक सर्जन आदि शामिल थे। इन्हें गोली कहां फंसी है। इसका अंदाजा ही नहीं था। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियक थोरेसिक सर्जन ने जांच के बाद ही आपरश्ेान की बात कही थी लेकिन उनकी बात मानने से ही इंकार कर दिया गया। मिनर्वा के डॉक्टरों को लगा कि गोली ऊपर ही है और उसे तुरंत निकाल लेंगें। जब आपरेशन किए तो गोली मिली ही नहीं। इसके बाद ही इनकी आंखे खुली और बाहर से डॉक्टर बुला रहे हैं।
सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टरों पर नहीं किया भरोसा
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चंडीगढ़ पीटीआई से पढ़ कर आए हुए कार्डियक थोरेसिक सर्जन मौजूद हैं। इसके बाद भी इन पर विश्वास नहीं किया गया। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर इस तरह के मामलों को टेकल करने में एक्सपर्ट है। अब तक कई आपरेशन फेफड़े का कर चुके हैं। इसके बाद भी सुपर स्पेशलिटी को इग्रोर किया गया। बाहर से स्पेशल तौर पर डॉक्टरों की टीम बुलाई जा रही है।
डीन ने ही तोड़ा सुपर का नियम
(vindhyabulletin.com)  कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस तक प्रतिबंधित है। इसके बाद भी यहां के डॉक्टर को मिनर्वा अस्पताल भेजा गया और बदनामी कराई गई।सूत्रों की मानें तो श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन के कहने पर ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से डॉक्टर मिनर्वा अस्पताल गए थे। उनकी राय ही नहीं ली गई। मनमर्जी से मिनर्वा अपना काम करता रह गया।