नीतीश कुमार ने बढ़ाया सस्पेंश, ओडिशा में भाजपा की बनी सरकार लेकिन कार्यक्रम में पहुंचे ही नहीं
ओडिसा में पहली मर्तबा भाजपा की सरकार बनी है। बुधवार को 15वें मुख्यमंत्री के रूप में मोहन चरण माझी ने शपथ ग्रहण की। ओडिसा को 24 साल बाद आदिवासी मुख्यमंत्री मिला। इस शपथ ग्रहण में एनडीए के सभी घटकों के नेताओं को बुलाया गया था। सभी पहुंचे लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए ही नहीं। उनके कार्यक्रम में नहीं पहुंचने से फिर से हटकलों का दौर शुरू हो गया है। सस्पेंश बढ़ गया है।
पीएम नरेन्द्र मोदी भी शपथ ग्रहण समारोह में हुए शामिल
भुवनेश्वर। ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बन गई है। 52 साल के मोहन चरण माझी ने बुधवार को राज्य के 15वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ दो डिप्टी सीएम कनक वर्धन सिंहदेव और प्रभाती परिदा ने भी शपथ ली। ओडिशा को 24 साल बाद आदिवासी सीएम मिला। इससे पहले कांग्रेस के हेमानंद बिस्वाल राज्य के पहले आदिवासी सीएम थे। बिस्वाल 1989-1990 और 1999-2000 तक दो बार सीएम रहे। राज्य के दूसरे आदिवासी सीएम गिरिधर गमांग थे। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। बिस्वाल के बाद कांग्रेस यहां कभी सत्ता में नहीं रही। माझी मंत्रिमंडल में 13 मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, अमित शाह के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसबढ़, मध्य प्रदेश, असम, हरियाणा, गोवा और उत्तराखंड के सीएम भी मौजूद रहे। बता दें कि ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार बहुमत के साथ जीत हासिल की है।
भाजपा को 78 सीटें मिली हैं
राज्य की 147 सीटों में से भाजपा को 78 सीटें मिली हैं। वहीं, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) को 51, कांग्रेस को 14, सीपीआई (एम) को 1 और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली है। लोकसभा चुनाव में भी पहली बार भाजपा ने यहां बड़ी जीत दर्ज की है। राज्य की 21 सीटों में से भाजपा को 20 और कांग्रेस को एक सीट मिली है। बीजद और अन्य दलों को एक भी सीट नहीं मिली। 2019 में भाजपा को 8, बीजद को 12 और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। यानी भाजपा को इस बार 12 सीटों का फायदा हुआ है। इस तरह एक तरफ तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगा है, क्योंकि उसकी सीटें कम हो गई हैं, जबकि दूसरी ओर ओडिशा में उसकी पहली बार सरकार बन गई।
लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर दबाव बनाने की अटकलें
बिहार के सीएम और जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार एनडीए के दोनों मुख्यमंत्रियों चंद्राबाबू नायडू और मोहन माझी के शपथ समारोहों में नहीं पहुंचे। मीडिया रिपोट्र्स में दावा किया गया है कि नीतीश लेट हो गए थे, इसलिए उन्होंने कार्यक्रमों में जाना कैंसिल कर दिया, जबकि राजनीति के जानकार दावा कर रहे हैं कि ऐसा करके नीतीश ने पीएम मोदी पर दबाव बना दिया है। गौरतलब है कि जेडीयू और टीडीपी दोनों ही राजनीतिक दल लोकसभा स्पीकर का पद चाहते हैं और भाजपा यह पद अपने पास रखना चाहती है।