दिल के हर मर्ज की दवा अब यहीं पर मिलेगी, फिर रचा गया सुपर स्पेशलिटी में नया इतिहास
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का कार्डियोलॉजी विभाग हर दिन नए इतिहास रच रहा है। मरीजों को हर सुविधा यहीं उपलब्ध करा रहा है। अब कार्डियोलॉजी विभाग में फिर चिकित्सा के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। रोटा ब्लेशन एवं कटिंग बैलून से हार्ट की सफल सर्जरी की गई है। दिल की नर्सों में जमें कैल्शियम को एंजियोप्लाटी कर हटाया गया। रोटाब्लेशन एवं कटिंग बैलून मशीन से सफल आपरेशन किया गया है।
रोटाब्लेशन एवं कटिंग बैलून तकनीक से की गई एजियोप्लास्टी
प्रदेश के शासकीय चिकित्सालयों पहली बार किया गया सफल प्रयोग
रीवा। जिले में संचालित सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय में मध्यप्रदेश के शासकीय चिकित्सालयो में से सबसे पहले रोटाब्लेशन एवं कटिंग बैलून माध्यम से जटिल एंजियोप्लास्टी करने वाला इस्टीट्यूट बन गया है। विगत दिवस एक 72 साल के बुजुर्ग जो की भूतपूर्व सैनिक भी हैं,का डॉ एसके त्रिपाठी सह प्राध्यापक हृदयरोग विभाग के पास सीने में तेज दर्द के लक्षणों के साथ ओपीडी में पहुंचे थे। जहां डॉ त्रिपाठी द्वारा मरीज को भर्ती करने मरीज की एजियोंग्राफी की योजना बनायी गई। तदोपरान्त एजियोग्राफी में पाया गया कि दिल की नस 99 प्रतिशत बंद थी और उसमें केल्शियम का बहुत ज्यादा जमाव था। ऐसे में सामान्य एंजियोप्लास्टी कर पाना असम्भव होता है। ऐसे में कैल्शियम को रिमूव करने की एक स्पेशल पद्धति का प्रयोग किया जाता है जिसे रोटाब्लेशन कहते हैं। मरीज का डॉ त्रिपाठी एवं चिकित्सालय के प्रति यह विश्वास देखकर उनके द्वारा यह चैलेंज अपने ऊपर लिया गया एवं उनके द्वारा रोटेब्लेटर मशीन एवं कैटिंग बैलून तकनीक से 3 घंटे के जटिल प्रोसीजर के बाद जो परिणाम निकल के आया वो उम्मीद से ज्यादा था। उपरोक्त प्रोसीजर प्रदेश में संचालित प्राईवेट संस्थानों में काफी महंगे है तथा सामान्य जन को इन प्रोसीजरों का खर्चा व्यय करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है परन्तु शासन की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत एवं भूतपूर्व सैनिकों के लिए चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजना ईसीएचएस के तहत् यह दोनो प्रोसीजरों को चिकित्सालय में निशुल्क: तथा सफलतापूर्व संपन्न किया गया एवं मरीज की दिल की नस पूर्ण रूप से सामान्य हो गई और मरीज बायपास सर्जरी से बच गया ।इसी दिवस एक और आयुष्मानधारी मरीज की भी इसी तकनीक से जटिल एंजियोप्लास्टी डॉ त्रिपाठी एवं उनके टीम के द्वारा की गई। इन प्रोसीजरों को बिना टीम वर्क के कर पाना असम्भव था। इन नामुमकिन से लगने वाले प्रोसीजर को मुमकिन बनाने में कैथलैब टेक्नीशियन जय नारायण मिश्र, सत्यम, सुमन, मनीष, सुधांशु, फैजल नर्सिंग स्टाफ एवं रोटेब्लेटर टेक्नीशियन गौरव की अहम भूमिका थी। अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डॉ अक्षय श्रीवास्तव द्वारा प्रथमत: यह उपरोक्त प्रोसीजर प्रदेश के प्रथम शासकीय चिकित्सालय में होने पर कार्डियोलॉजी विभाग को बधाई दी गई एवं उत्कृष्ट विकित्सकीय सेवायें प्रदान किये जाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। बताया कि यह मशीन राजेन्द्र शुक्ला उपमुख्यमंत्री तथा डीन मेडिकल कालेज द्वारा प्रदान करायी गई है, जिससे इस तरह के मरीजों का ईलाज रीवा में सभव हो पा रहा है।