नर्सिंग कॉलेज घोटाला: कॉलेजों को क्लीन चिट देने वाले 14 राजस्व अधिकारी राडार पर आए, नोटिस जारी इसमें रीवा से भी एक अधिकारी

नर्सिंग कॉलेज को क्लीनचिट देने में घूसखोरी हुई। सीबीआई के कई जांच अधिकारी पकड़े गए। इस मामले में अब राजस्व अधिकारी भी रडार पर आए हैं। मप्र के 14 राजस्व अधिकारियों को प्रमुख सचिव राजस्व ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन राजस्व अधिकारियों ने भी उन नर्सिंग कॉलेजों को क्लीन चिट दिया था जिन्हें अपात्र कर दिया गया। इसमें रीवा के भी एक राजस्व अधिकारी शामिल हैं

रीवा के भी एक राजस्व अधिकारी को मिली नोटिस
भोपाल। नर्सिंग घोटाले की जांच दल में सीबीआई के साथ शामिल राजस्व विभाग के 14 तहसीलदार, नायब तहसीलदारों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्रमुख सचिव राजस्व ने इन सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। संतोष जनक जवाब नहीं मिलने पर इनके खिलाफ निलंबन, बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा सकती है। इन सभी अधिकारियों ने मनमाफिक तरीके से अनफिट कॉलेजों की गलत रिपोर्ट दी थी। इसी आधार पर सीबीआई अफसर ने अनफिट कालेजों को सूटेबल बताकर उन्हें क्लीनचिट दे दी। गड़बड़झाला तब सामने आया जब दिल्ली सीबीआई की टीम ने नर्सिंग घोटाले की जांच में शामिल अपने इंस्पेक्टर राहुल राज को 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया। राहुल राज दलाल के जरिए कालेज संचालक को क्लीनचिट देने के लिए रिश्वत ली थी।
सीबीआई के राडार पर भी आएंगे यह अधिकारी
राजस्व अधिकारी विभागीय जांच के अलावा सीबीआई दिल्ली की टीम के राडार पर हैं। अभी जांच एजेंसी रिश्वतकांड के मुख्य सूत्रधारों को गिरफ्तार की है। आगे राजस्व अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी एजेंसी जांच करेगी। जांच में राजस्व अधिकारी सीधेतौर पर पकड़े जाएंगे। इसकी वजह इनकी गलत रिपोर्ट का देना है। तहसीलदार, नायब तहसीलदारों के अलावा बड़ी संख्या में पटवारी भी शामिल हैं। जो तहसीलदारों के निर्देश पर मौके पर जाकर गलत रिपोर्ट सबमिट की हैं। 
इन तहसीलदारों ने गलत रिपोर्ट दी
पल्लवी पौराणिक, तत्कालीन तहसीलदार, इंदौर।
अंकित यदुवंशी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, विदिशा।
ज्योति ढोके तत्कालीन नायब तहसीलदार, नर्मदापुरम।
रानू माल, नायब तहसीलदार, अलीराजपुर
अनिल बघेल, नायब तहसीलदार, झाबुआ।
सुभाष कुमार सुनेरे, तत्कालीन नायब तहसीलदार, देवास।
जगदीश बिलगावे, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर। 
नायब तहसीलदार, रीवा।
छवि पंत, तत्कालीन नायब तहसीलदार, छिंदवाड़ा।
सतेन्द्र सिंह गुर्जर, तत्कालीन नायब तहसीलदार, धार
रामलाल पगोर, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर।
जीतेन्द्र सोलंकी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, झाबुआ।
अतुल शर्मा, तत्कालीन नायब तहसीलदार, सीहोर।
कृष्णा पटेल, तत्कालीन नायब तहसीलदार, खरगोन।

राजस्व अधिकारियों की थी अहम भूमिका
घोटाले में सीबीआई की तरह ही राजस्व अधिकारियों की अहम भूमिका थी। इसकी वजह यह कि कॉलेजों की जमीन की नपती इनके पास ही थी। राजस्व अधिकारियों ने रिश्वतकांड में पकड़े गए सीबीआई के अधिकारियों से साठगांठ कर एजेंसी को गलत रिपोर्ट दे दी। कई कॉलेज को जो हजार वर्गफीट में संचालित हैं, उन्हें भी 20 से 30 हजार वर्गफीट में संचालित होना बताकर रिपोर्ट दे दी थी।