सिर्फ 17 फीसदी मरीजों की ही हो रही जांच, बांकियों की जांच बाहर से हो रही, डीएमई ने खुद कह दी यह बड़ी बात
मेडिकल कॉलेज में मरीजों की जांच नहीं हो रही है। एचएसीएल काम तो कर रही है लेकिन जांच प्रतिशत नहीं बढ़ रहा। इस पर वीसी में आयुक्त और डीएमई ने सवाल खड़े किए हैं। मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके कारण ही जांच का प्रतिशत नहीं बढ़ पा रहा है।
वीसी में उठा प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेज में सेम्पल जांच का मुद्दा
वीसी में आयुक्त चिकित्सा शिक्षा और डीएमई ने उठाए सवाल
रीवा। ज्ञात हो कि संजय गांधी अस्पताल में जांच के लिए प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी मिली है। एचएसीएल ने करोड़ों रुपए की मशीनरी लगाई है। सेंट्रल पैथालॉजी की स्थापना की गई है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सेंट्रल पैथालॉजी बनाई गई है। सुपर स्पेशलिटी से लेकर संजय गांधी अस्पताल के आईपीडी और ओपीडी के मरीजों की जांच एचएसीएल में ही हो रही है। सब कुछ हाईटेक हो रहा लेकिन जांच का प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है। अस्पताल में भर्ती होने वाले और ओपीडी में दिखाने वाले मरीजों की जांच अस्पताल में सतप्रतिशत नहीं हो पा रही है। अधिकांश मरीजों को कंपनी की अव्यवस्था के कारण बाहर प्राइवेट पैथालॉजी सेंटरों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह मुद्दा चिकित्सा शिक्षा विभाग के वीसी में भी उठा। जांच का प्रतिशत मेडिकल कॉलेजों में कम रहा। रीवा इस मामले में कहीं पीछे हैं। इस पर चिकित्सा आयुक्त और डीएमई ने सवाल भी खड़े किए। अधिकारियेां का कहना है कि यदि जांच अस्पताल में नहीं हो रही है तो सभी मरीजों को जांच के लिए अस्पताल के बाहर प्राइवेट पैथॉलाजी सेंटर में भेजा जा रहा है। डीएमई और आयुक्त ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिक से अधिक मरीजों की जांच अस्पताल में ही कराने के निर्देश दिए हैं।
जांच काउंटर कम इसलिए भागते हैं मरीज
एचएसीएल कंपनी ने सुपर स्पेशलिटी से लेकर संजय गांधी अस्पताल और गांधी स्मृति चिकित्सालय में काउंटर बना रखे हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों को जांच के दौरान पर्ची कटवाने और जांच कराने में देरी का सामना करना पड़ता है। लंबी लाइनों के कारण भी मरीज परेशान होते हैं। इसके कारण ही मरीज प्राइवेट पैथालॉजी की तरफ रुख करते हैं। यही वजह है कि सभी मरीजों को नि:शुल्क जांच का फायदा नहीं मिल पाता। कांउटर पर तैनात कर्मचारी भी मरीजों की पर्ची काटने में देरी करते हैं।
प्राइवेट कर्मचारी रहते हैं तैनात
संजय गांधी अस्पताल में निजी पैथालॉजी के कर्मचारी भी तैनात रहते हैं। डॉक्टरों के साथ इनकी सांठ गांठ रहती है। काउंटर में देरी का फायदा यही प्राइवेट कर्मचारी उठाते हैं। कई मर्तबा डॉक्टर खुद ही मरीजों को बाहर से जांच कराने की सलाह देते हैं। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच के लिए भी प्राइवेट कर्मचारी तैनात रहते हैं। कई मर्तबा प्राइवेट कर्मचारी भी पकड़े जा चुके हैं। सुपर स्पेशलिटी में प्राइवेट कर्मचारियों का ज्यादा बोलबाला रहता है। हर विभाग में डॉक्टरों की सांठगांठ के कारण प्राइवेट कर्मचारी हावी रहते हैं। इसके लिए इन्हें मोटा कमीशन भी मिलता है। संजय गांधी अस्पताल के कई डॉक्टर खुद ही प्राइवेट पैथालॉजी संचालित करते हैं। इसके कारण पीजी के डॉक्टरों पर भी दबाव रहता है।
मेडिकल कॉलेजों में जांच के सैम्पल का प्रतिशत
जीएमसी ओपीडी आईपीडी
भोपाल 39.52 16.71
ग्वालियर 28.83 28.33
शिवपुरी 20.93 12.67
जबलपुर 20.20 30.00
रतलाम 19.23 22.73
शहडोल 18.55 21.73
इंदौर 18.25 23.69
विदिशा 18.20 12.94
रीवा 17.36 23.37
सागर 14.76 25.19
दतिया 14.67 03.97