आर्थोपेडिक का फैक्चर टेबिल हुआ फैक्चर, जुड़ नहीं पाया, महीनों से टूटी हड्डी लिए भर्ती हैं मरीज डेट पर डेट मिल रही

संजय गांधी अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में मरीज एक महीने से आपरेशन का इंतजार कर रहे हैं। मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है। ओटी में फैक्चर टेबिल ही फैक्चर हो गई है। इसके कारण मरीजों के आपरेशन टाले जा रहे हैं। दूर दराज से आए मरीज टूटी हड्डियों का दर्द लिए कई हफ्तों से भर्ती हैं। राहत नहीं मिल पा रही है।

आर्थोपेडिक का फैक्चर टेबिल हुआ फैक्चर, जुड़ नहीं पाया, महीनों से टूटी हड्डी लिए भर्ती हैं मरीज डेट पर डेट मिल रही
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संजय गांधी अस्पताल के अस्थि रोग विभाग का हाल
तीन हफ्तों से भर्ती हैं मरीज, आपरेशन ही नहीं हो पा रहा
रीवा। विंध्य का सबसे बड़ा संजय गांधी अस्पताल कुछ खामियों और लापरवाहियों के कारण मरीजों की समस्या का सबब बन जाता है। इस समय अस्थि रोग विभाग की खामियां मरीजों के दर्द की वजह बन गई है। अस्थि रोग विभाग तो वैसे भी मरीजों के इलाज में लापरवाही के लिए बदनाम है लेकिन एक ओटी की फैक्चर टेबिल ने मरीजों के आपरेशन टालने का और मौका डॉक्टरों को दे दिया है। अस्थि रोग विभाग में वैसे भी सालभर मरीज भर्ती रहते हैं। गरीब मरीजों को आपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है लेकिन इस मर्तबा समस्या और बढ़ गई है। अस्थि रोग विभाग में मरीज लंबे समय से भर्ती हैं। किसी का पैर फैक्चर है तो किसी का हाथ टूटा हुआ है। इन सभी मरीजों को आपरेशन की जरूरत है लेकिन अधिकांश मरीजों का नंबर ही नहीं लग पा रहा है। उन्हें आपरेशन के लंबा इंतजार कराया जा रहा है। मरीज के साथ उनके परिजनों की हालत खराब है। महीनों से आसपास के जिलों और गांव से मरीजों को लेकर एसजीएमएच आए परिजन आर्थिक तंगी से परेशान हो चुके हैं। राहत नहीं मिल रही है। शिकायतों के बाद भी मरीजों और उनके परिजनों की सुनवाई नहीं हो रही है।
फैक्चर टेबिल में आ गई है खराबी
सूत्रों की मानें तो संजय गांधी अस्पताल के अस्थि रोग विभाग की फैक्चर टेबिल डैमेज हो गई है। कई दिनों से टेबिल को सुधारा नहीं जा सका है। सूत्रों की मानें तो वैसे तो यह फैक्चर टेबिल कूल्हों के आपरेशन के लिए ही उपयोग होती है लेकिन इस टेबिल की खराबी की आड़ में अन्य आपरेशन को भी टाला जा रहा है। हाथ, पैर पैक्चर वाले मरीजों को भी टेबिल की खराबी बताकर उन्हें तीन हफ्तों से भर्ती करके रखा गया है।
कई डॉक्टर अस्पताल चला रहे इसलिए टॉल रहे
अस्थि रोग विभाग में पदस्थ कई डॉक्टरों ने प्राइवेट अस्पताल खोल लिया है। किसी दूसरे के नाम से अस्पताल खोला गया है लेकिन सेवाएं खुद देते हैं। अधिकांश समय यहां के डॉक्टर अपने प्राइवेट अस्पताल में देते हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों के आपरेशन भी नहीं करते। आपरेशन के लिए बाहर जाने के लिए बाध्य किया जाता है। आपरेशन के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को इतना इंतजार और परेशान किया जाता है कि अंत में वह खुद ही प्राइवेट अस्पताल में जाने के लिए बाध्य हो जाते हैं। इस समय ऐसा ही अस्थि रोग विभाग में भी चल रहा है।
सबसे अधिक मरीज अस्थि रोग विभाग में आते हैं मरीज
संजय गांधी अस्पताल का सबसे खराब विभाग वैसे तो आर्थोपेडिक ही है। यहां मरीज आते तो हैं लेकिन ठीक होकर नहीं जाते। जैसा वर्तमान में हो रहा है, फिर भी यहां के प्रति मरीजों का विश्वास बना हुआ है। यही वजह है कि यहां भी मरीजों की संख्या कम नहीं है। यदि आंकड़ों की बात करें तो अप्रैल में आर्थो के ओपीडी में 3195, मई में 5251, जून में 4551, जुलाई में 4463, अगस्त में 3638, सितंबर में 4188, दिसंबर में 4011 मरीज पहुंचे हैं, जो अन्य विभागों की तुलना में अधिक हैं।
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पॉपुलेशन बढ़ रही है। मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है, इसके कारण आपरेशन में देरी हो जाती है। अस्थि रोग विभाग के पास तीन आपरेशन थिएटर हैं। एक काफी पुराना है। उसके बंद होने से भी आपरेशन नहीं रुक रहे। मरीज को किसी न किसी तरह की समस्या या बीमारी होगी। इसी वजह से मरीज के आपरेशन में देरी हो रही होगी।
डॉ पीके लखटकिया, एचओडी
अस्थि रोग विभाग, एसजीएमएच रीवा