पैराशूट से टिकट लेकर उतरे पद्मेश तो साइकिल से पहुंच गए जयवीर, गिरीश की मुश्किलें बढ़ी
कांग्रेस और भाजपा की मुश्किलें बढऩे वाली है। देवतालाब से चाचा और भतीजे के बीच बागी भी कूद पड़े हैं। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर जयवीर सिंह और उनकी पत्नी ने बगावत कर दी। पार्टी छोडऩे के सीधे सपा अध्यक्ष के पास पहुंचे और सदस्यता ले ली। अब जल्द ही देवतालाब से मैदान में भी उतरने की घोषणा हो जाएगी। इससे पद्मेश और गिरीश गौतम की मुश्किलें बढऩी तय हैं।
रीवा। पिछले चुनाव में सीमा जयवीर सिंह ने देवतालाब से विस अध्यक्ष गिरीश गौतम को कांटे की टक्कर दी थी। कुछ सीटों से ही वह हारी थीं। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस इस मर्तबा उन पर दांव जरूर लगाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐन मौके पर कांग्रेस ने टिकट काट दिया और पद्मेश गौतम को प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतार दिया। इससे नाराज कांग्रेस के दोनों नेताओं ने बगावत कर दी। जयवीर ङ्क्षसह और सीमा सिंह ने इस्तीफा देने के बाद सीधे बसपा की शरण में पहुंच गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश अखिलेश सिंह यादव से मिले और पार्टी की सदस्यता ले ली। सूत्रों की मानें तो जल्द ही उन्हें बसपा देवतालाब से प्रत्याशी भी घोषित कर सकता है। प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद दोनों चाचा भतीजे की मुश्किलें बढऩी तय है। यह दोनेंा के वोट काटेंगे। कांग्रेस और भाजपा पर इनका असर पड़ेगा। अब दोनों के जीत की राहत काटो भरी हो गई है।
पिछले चुनाव पर एक नजर
वर्ष 2018 में देवतालाब के चुनाव परिणाम पर नजर डाले तो भाजपा से गिरीश गौतम विजयी हुए थे। इन्हें 45043 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर सीमा जयवीर ङ्क्षसह बसपा से थीं। इन्हें 43963 वोट मिले थे। दोनेंा के वोटों में ज्यादा अंतर भी नहीं था। कांटे की टक्कर दीं थी। विद्यावती पटेल कांग्रेस से तीसरे नंबर पर थीं। इन्हें 30383 वोट मिले थे। गिरीश गौतम, सीमा जयवीर सिंह के हार जीत के अंतर से ही स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस मर्तबा देवतालाब की जनता भी विधानसभा अध्यक्ष से ज्यादा खुश नहीं है। ऐसे में इसका फायदा सीमा जयवीर ङ्क्षसह को मिल सकता है।