अतरैला की पहाड़ी में लगे हैं कीमती औषधीय पौधे, जिन्हें काट कर ले जा रहे थीं महिलाएं तभी पहुंच गया अमला

अतरैला की पहाडिय़ों पर औषधीय धवई प्रजाति के पौधों की भरमार है। इनकी लगातार अवैध कटाई चल रही थी। इसकी सूचना वन विभाग को मिली तो अवैध कटाई रोकने मौके पर पहुंच गई। कई महिलाएं पौधों को काटती हुई मिली। जिन्हें रोका गया। समझाइश देकर मौके से भगाया गया।

अतरैला की पहाड़ी में लगे हैं कीमती औषधीय पौधे, जिन्हें काट कर ले जा रहे थीं महिलाएं तभी पहुंच गया अमला

रीवा। ज्ञात हो कि वन परिक्षेत्र अतरैला के कक्ष क्रमांक पीएफ 225 में पिछले कुछ दिनों से धवई प्रजाति की लकड़ी की ग्रामीणों ने कटाई की शिकायत आने पर पूरे पहाड़ की सामूहिक गश्ती की गई। गश्त के दौरान वन परिक्षेत्र अतरैला का पूरा स्टाफ एवं वन परिक्षेत्र रीवा से महिला वनरक्षक स्टाफ मौजूद रहा। वन विभाग के स्टाफ ने अतरैला पहाड़ पर धवई प्रजाति की लकडिय़ों को काटते हुए पकड़ा। उन्हें समझाइश देकर वहां से भगाया गया।
कटाव रोकते हैं यह पौधे, कीमती भी होती हैं
  अतरैला के परिक्षेत्र अधिकारी शुभम दुबे ने बताया कि लगातार शिकायें आ रही थी कि धवई प्रजाति के पौधों की कटाई हो रही है। इसे रोकने के लिए ही टीम मौके पर गई थी। इस पौधे की लकड़ी कीमती होती है। ठंड का मौसम बढ़ा है। खरपतवार के साथ साथ इस प्रजाति के पौधों को भी महिलाएं काट ले जाती हैं। श्री दुबे ने बताया कि धवई प्रजाति के पौधों में बहुत सारे गुण होते हैं। यह औषधीय पौधे भी होते हैं। इसके अलावा यह भूमि का क्षरण रोकता है। यह पौधा तराई अंचल में पहाडिय़ों में मिलता है। बरदहा घाटी के नीचे यह बहुतायत में पाए जाते हैं। यह पौधा मोटा होने पर कीमती हो जाता है। इमारती के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि तराई की महिलाएं इसे झाडिय़ों के साथ ही काट ले जाती है। जलाऊ के रूप में उपयोग करती है। वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि वैसे तो यह पौधा 20 फीट तक ऊंचा होता लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी ऊंचाई कम ही होती है। यहां यह करीब 15 फीट ऊंचाई तक के मिल जाते हैं।