विद्युत विभाग में एक और घोटाला की तैयारी, 574 करोड़ की नई योजना में भी हो रहा मनमानी और सुस्त गति से काम
रीवा में केन्द्र सरकार की आरआरआरडीएसएस योजना की भी हालात सौभाग्य योजना जैसी होने वाली है। करोड़ों रुपए का प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। कंपनियों ने टेंडर से काम लिया लेकिन अब समय पर पूरा नहीं कर पा रही। पेटी में ठेकेदारों ने काम लिया वह रुपए लेकर लोगों के घरों तक केबिल पहुंचाने में जुट गई है। प्रोजेक्ट का काम ठप पड़ा हुआ है। क्षेत्रों में कार्यों की प्रगति थम गई है। दिसंबर तक पहले चरण का काम पूरा करना था लेकिन कुछ भी नहीं हो पाया है। फिर से एक्सटेंशन की तैयारी है।
आरआरआरडीएसएस योजना के की इतनी धीमी है रफ्तार की दिसंबर तक पूरा नहीं हो पाएगा काम
फिर से कंपनियों को एक्सटेंशन देने की है तैयारी, कपंनियों ने काम लिया लेकिन कर नहीं पा रहीं
रीवा। आरआरआरडीएसएस योजना के तहत केन्द्र से रीवा को 574 करोड़ का बजट मिला है। यह योजना तीन सालों में पूरा करना है। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाना है। लाइन लॉस, बिजली चोरी पर रोक लगाना है। बिजली की समस्या से जूझ रहे लोगों केा राहत पहुचंाना है। खराब बिजली की लाइनों को दुरुस्त करने के साथ ही नए सब स्टेशन और फीडर तैयार करना है। कुल मिलाकर लोगों को बिजली के मामले में स्मार्ट बनाना है। बेहतर आपूर्ति करने का लक्ष्य रखना है। केन्द्र से बजट मिल गया है। इस राशि को खर्च करने के पहले विद्युत विभाग को सर्वे कर योजना तैयार करना था। विद्युत विभाग ने सर्वे करने के बाद टेंडर भी निकाला दिया। टेंडर में कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। फीडर का काम नासिक की अशोका बिल्डकॉन को मिला। इन्हें रीवा के साथ ही सतना और बालाघाट का टेंडर भी मिला है। इसके अलावा 33 केवी लाइन बिछाने का काम रेलवे विकास निगम लिमिटेड को मिला है। इन्हें सब स्टेशनों तक दोहरी 33 केवी लाइन खींचनी हैं। इसेक अलावा सब स्टेशनों में कैपेसीटर बैंक का काम भी होना था। इसके लिए भी अलग कंपनी को टेंडर दिया गया। कंपनियों ने टेंडर पर काम लेने के बाद फील्ड में ठेके के कर्मचारियों को उतार तो दिया लेकिन उसे रफ्तार नहीं दे पाईं। पिछले एक से डेढ़ सालों से काम सिर्फ कागजों में चल रहा है। मौके पर काम ही नहीं हो रहा है। इसके कारण प्रोजेक्ट का पहला चरण फेल होता नजर आ रहा है। इसके पहले विद्युत विभाग में विद्युतीकरण का काम सौभाग्य योजना के तहत हुआ था। करोड़ों रुपए का वारा न्यारा हुआ था। सौभाग्य योजना के तहत करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े की जांच अब तक चल रही है। अब उसी नक्शे कदम पर आरडीएसएस योजना भी चल पड़ी है। इसमें भी फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है।
रीवा में यह काम है प्रस्तावित
रीवा में आरआरआरडीएसएस योजना के तहत 6 सब स्टेशन का निर्माण किया जाना है। 32 कैपेसीटर बैंक की स्थापना की जानी है। 189 किलोमीटर 33 केवी लाइन का विभक्तीकरण, 62 किला मीटर 33 केवी लाइन का इंटरकनेक्शन, 16 किमी मीटर 33 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना , 2421 किमी फीडर सेपरेशन 11 केवी लाइन कार्य, 1950 किलो मीटर नवीन एलटी लाइन, 5340 नंबर वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त, 428 किलोमीटर 11 कवी लाइन का विभक्तिकरण, इंटरकनेक्शन, 394 किलोमीटर 11 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना और 1858 किलो मीटर एलटी लाइन की तारों का केबल में बदलीकरण और केबल की क्षमता में वृद्धि किया जाना है। इस पर करीब 574 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।
कंपनियों ने छोटे छोटे ठेकेदार को बांट दिए
सौभाग्य योजना की ही तरह आरआरआरडीएसएस योजना का भी हाल हो गया है। सौभाग्य योजना में केबलीकरण, फीडर सेपरेशन के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था। अब ऐसी ही हालत आरआरआरडीएसएस योजना की भी हो गई है। अशोका बिल्डकॉन को फीडर सेपरेशन का काम मिला है लेकिन काम में कंपनी गति नहीं ला पा रही है। इसी तरह 33 केवी लाइन का दोहरीकरण करने की जिम्मेदारी रेलवे विकास निगम लिमिटेड को मिली है। रेलवे विकास निगम भी काम नहीं कर पा रहा है। शहर से लेकर सभी फीडरों में कंपनी ने शुरुआत तो कर दी लेकिन काम में गति नहीं ला पा रहे हैं।
फिर वहीं घटिया का का रोना आ रहा सामने
कंपनियों ने रीवा के छोटे छोटे ठेकेदारों को काम देना शुरू कर दिया है। इसके कारण योजना की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। छोटे ठेकेदार सर्वे से हट कर काम कर रहे हैं। सर्वे में जो जगह और क्षेत्र निर्धारित किए गए थे। उससे हटकर लाइनें खींच रहे हैं। लोगों से मोटी रकम लेकर खंभों का भी हेरफेर कर रहे हैं। हद तो यह है कि सौभाग्य योजना को जिन अधिकारियों के कारण पलीता लगा था। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अब भी वही अधिकारी रीवा में पदस्थ हंै। उन्हीं की निगरानी में ही क्षेत्रों में काम हो रहा है। इससे आरआरआरडीएसएस योजना की गुणवत्ता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
रीवा विधानसभा में यह काम होने हैं
नवीन प्रस्ताव 33/11 केवी उपकेन्द्रों की चोरहटा एकेवीएन, पीटीएस में निर्माण किया जाना है। 33/11 केवी उपकेन्द्रों में कैपेसिटर बैंक की स्थापना छिजवार, बैनकुइयां, बहुरीबांध, अमिरती, एकेवीएन में की जानी है। इसके अलावा 33 केवी लाइन का विभक्तिकरण एवं इंटरकनेक्श संजय गांधी फीडर, एआईआर फीडर, मार्तण्ड स्कूल फीडर, एआईआर से निपनिया, रतहरा से पीटीएस का इंटरकनेक्शन किया जाना प्रस्तावित है। फीडर सेपरेशन 11 केवी लाइन में रगौली, जोहनी, पैपखर उमरी, बहुरीबांध, चोरहटा, मनकहरी, बकिया, चोरमारी, कोठी, इटहा, रतहरा, रीठी, रामनई, इटौरा, अजगरहा, तमरा फीडर शामिल हैं। यहां 249 किमी मीटर लाइन खींची जानी है। इसी तरह नवीन एलटी लाइन 174 किमी खींची जानी हैं। रगौली, जोहनी, पैपखार उमरी, बहुरीबांध, चोरहटा, मनकहरी, बकिया, चोरमारी, कोठी, इटहा, रतहरा, रीठी, रामनई, इटौरा, अजगरहा, तमरा फीडर में नई लाइन खींची जानी है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में 464 वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त स्थापित किए जाने हैं। 5 किमी 11 केवी लाइन का विभक्तिकरण किया जाना है। 55 किमी कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि और 185 किमी में एलटी लाइन के तारों का केबलीकरण किया जाना है।