मेडिकल कॉलेज की प्रशासनिक पदों पर बैठे डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस बंद, शासन ने जारी किया आदेश
शासन ने चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रशासनिक पदों पर पदस्थ चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है। आदेश जारी कर प्राइवेट प्रैक्टिस पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी है। अब इस आदेश के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन की उलझन बढ़ जाएगी।
रीवा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रशासनिक पदों पर पदस्थ चिकित्सकों के लिए नया आदेश जारी किया है। अब इस पद पर बैठे चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। उन्हें इसके बदले शासन नियमानुसार अव्यवसायिक भत्ता प्रदान करेगी। मप्र शासन लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चिकित्सकों के लिए एक नया आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों, अस्पतालों, औषधालयों एवं अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं में पदस्थ विभिन्न सेवाओं के चिकित्सक सदस्यों में से कतिपय प्रशासकीय पदों पर कार्यरत चिकितत्कों को छोड़कर अन्य को निजी प्रैक्टिस की छूट दी गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 11 जनवरी 1999 में लेख है कि जो चिकित्सक प्रशासकीय कार्य करते हैं। उनकी निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लागू रहेगा। प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में अधीक्षक का पद एक पूर्ण कालिक प्रशासकीय पद है। आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा महाविद्यालय के कार्यों का सुचारू रूप से संचालन करने के लिए यह अतिआवश्यक है कि इस पद पर पदस्थ चिकित्सा शिक्षक अपना पूर्ण समय एकाग्र रूप से चिकित्सा महाविद्याीलय को प्रदान करें। अधीक्षक के पद पर पदस्थ चिकित्सा शिक्षक किसी भी प्रकार से निजी व्यवसायिक चिकित्सकीय गतिविधियों का संचालन नहीं करें ताकि यह पूर्णकालिक रूप से चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबंधित चिकित्सालयों पर ध्यान दे सकें। शासन ने इस पद पर पदस्थ चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। साथ ही यह भी आदेश जारी किया है कि अधीक्षक के पद पर पदस्थ चिकित्सा शिक्षक को राज्य शासन के नियमानुसार अव्यवसायिक भत्ता प्रदान किया जाएगा।