करोड़ों के बिजली प्रोजेक्ट की गुणवत्ता पर सवाल, सामग्री की नहीं हुई जांच और ठेकेदार ने कर दिया गोलमाल

विद्युत विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिल कर करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया। करोड़ों के प्रोजेक्ट में उपयोग की गई सामग्री की जांच नहीं कराई गई। बिना परीक्षण ही सारा काम कर दिया गया। अब पूरे हुए प्रोजेक्ट की गुणवत्ता सवालों में है। अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने सवाल खड़े किए हैं। 7 दिन में रिपोर्ट तलब की है। इन बड़े प्रोजेक्ट में जल जीवन मिशन, रीवा एयरपोर्ट में हुए कार्य भी शामिल हैं। यदि गुणवत्ताहीन सामग्री का ठेकेदार ने उपयोग किया होगा तो यहां का सिस्टम बैठते देर नहीं लगेगा।

करोड़ों के बिजली प्रोजेक्ट की गुणवत्ता पर सवाल, सामग्री की नहीं हुई जांच और ठेकेदार ने कर दिया गोलमाल
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रीवा एयरपोर्ट में हुए विद्युतीकरण में भी बरती गई लापरवाही, नहीं कराई गई सेम्पल की जांच
नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना में भी चल रहा है 33 केवी लाइन खींचने का काम, गुणवत्ता नहीं परखी गई
रीवा। बिजली विभाग में करोड़ों के प्रोजेक्ट पास हुए। कई काम पूरे हो गए लेकिन इनके गुणवत्ता की जांच नहीं हुई। अब इन कार्यों और विद्युतीकरण के कार्यों में उपयोग की गई सामग्री के गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। यह सारा वारा न्यारा विद्युत विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से हुआ है। एयरपोर्ट जैसी जगह पर भी विद्युत लाइन खींचने का काम हुआ। यहां लगाई गई सामग्री तक की जांच नहीं कराई गई। ऐसा सिर्फ रीवा में नहीं हुआ है। सीधी, सिंगरौली, सतना में भी लापरवाही बरती गई है। इस पर अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने सभी अधीक्षण अभियंताओं को पत्र लिखकर सभी प्रोजेक्ट में उपयोग हो रही सामग्री की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
ज्ञात हो कि रीवा रीजन में पिछले एक से दो सालों में करोड़ों रुपए के काम हुए। वर्तमान में कई बड़े प्रोजेक्ट चल भी रहे हैं। नियमानुसार 50 लाख से ऊपर के विद्युत प्रोजेक्ट में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे कंडक्टर, ट्रांसफार्मर, खंभे से लेकर हर चीज की जांच एनएबीएल लैब से कराने के निर्देश हैं। इस नियम का पालन नहंी किया गया। इसके कारण प्रोजेक्ट में किस स्तर की सामग्री ठेकेदारों ने उपयोग की इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में ठेकेदार गुणवत्ता से समझौता कर बैठे हैं। यही वजह है कि करोड़ों का प्रोजेक्ट चंद महीने भी नहीं टिकता। यही वजह है कि अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों के अधीक्षण अभियंताओं को अल्टीमेटम जारी किया है। 50 लाख से ऊपर के प्रकरणों के मटेरियल की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। एक सप्ताह में जांच कराकर रिपोर्ट मांगी गई है।
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प्रबंध संचालक ने 50 लाख से ज्यादा डिपोजिट योजना के प्रकराणों में हैंडिंग ओव्हर लेने से पहले मटेरियल की जांच करने के निर्देश दिए हैं। विभिन्न योजनाओं एवं क्रय अनुभाग द्वारा समय समय पर की गई सामग्रियों का परीक्षण एनएबीएल प्रयोगशाला में ही किए जाने के निर्देश मुख्य महाप्रबंधक मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जबलपुर ने जारी किया था। इसमें वितरण ट्रांसफार्मर, निम्न दाब एबी केबिल, विभिन्न प्रकार के कंडक्टर की जांच अनिवार्य किया गया है। एनएनबीएल लैब में टेस्टिंग के लिए उपलब्धि सामग्रियां अधिक होने पर टेस्टिंग में विलंब होने पर सीजीएम से अनुमति प्राप्त कर ही तीनों सामग्रियों की टेस्टिंग अन्य लैब से कराए जाने के निर्देश दिए गए थे।
करोड़ों के काम हुए लेकिन सेम्पल एक की भी नहीं हुई
रीवा संभाग में करोड़ों के कार्य स्वीकृत हुए। कई कार्य चल भी रहे हैं लेकिन एक भी सेम्पल जांच के लिए एनएबीएल लैब नहीं भेजी गई। ठेकेदारों ने गुणवत्ता जांच नहीं कराई और सामग्री में गुणवत्ता का ताक पर रखकर काम किया। एनएबीएल लैब से जांच नहीं कराए जाने से करोड़ों के विद्युत विभाग में हुए कार्यों की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में हैं। कई कार्य वर्तमान में चल भी रहे हैं। एयरपोर्ट में भी विद्युतीकरण का काम किया गया। यहां के सेम्पल भी जांच के लिए नहीं भेजे गए। जांच नहीं कराने से ठेकेदार गुणवत्ता में कमी करके हेरफेर करते हैं।
यह कार्य रीवा रीजन में हुए और कई चल रहे
रीवा रीजन में 18 काम स्वीकृत हुए। यह काम करोड़ों के हैं लेकिन एक प्रोजेक्ट का भी सेम्पल जांच के लिए नहीं गया। इन कार्यों में देवसर डीसी अंतर्गत 8 करोड़ 41 लाख से टेेंदूडोल में टीएचडसी इंडिया लिमिटेड को इलेक्ट्रिफिकेशन का काम 17 अक्टूबर 2024 को एप्रूव हुआ था। इसी तरह चितरंगी में पब्लिक वाटर सप्लाई के लिए नई 33 केवी लाइन खींचने का काम 7 करोड़ 69 लाख रुपए में 1 नवंबर 2024 को स्वीकृत हुआ। परसौना डीसी में 7 करोड़ 62 लाख रुपए का कार्य 33 केवी लाइन वाटर सप्लाई के लिए बैढऩ अंतर्गत स्वीकृत किया गया। 6 करोड़ 34 लाख का काम 23 फरवरी 2024 को सरई डीसी अंतर्गत नई 33 केवी लाइन चमरडोल डब्लूटीपी और झारा इंटकवेल के लिए स्वीकृत की गई। 2 करोड़ 84 लाख का कमा 19 जनवरी 2024 को चोरहटा एयर पोर्ट में इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए स्वीकृत किया गया। काम भी पूरा हो गया। इसी तरह 2 करोड़ 42 लाख का काम 6 दिसंबर 20243 को मनिवार में 33 केवी एचई 4200 केवीए नईगढ़ी सूक्ष्म दबाव इरिगेशन प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत की गई। 15 फरवरी 2024 को 2 करोड़ 41 लाख का प्रोजेक्ट घूमा कटरा इंडस्ट्रियल एरिया में 33 केवी फीडर की स्वीकृत की गई। 11 मार्च 2024 को 1 करोड़ 93 लाख का प्रोजेक्ट एमपीजल निगम मर्यादित के लिए स्वीकृत किया गया। इसी तरह 1 करोड़ 79 लाख का प्रोजेक्ट 24 अगस्त 2023 को एनएच 7 मैहर ढाबा से झिन्ना नाला टाउन तक का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ। इसी तरह रीवा में 1 करोड़ 64 लाख का प्रोजेक्ट 13 मार्च 2024 को एयरपोर्ट में एलटी और एचटी लाइन के फीडर शिफ्टिंग का स्वीकृत किया गया था। मैहर में 1 करोड़ 25 लाख का प्रोजेक्ट अट्राटेक सीमेंट लिमिटेड सिलौटी माइनसेंड फीडर का काम स्वीकृत किया गया था। रीवा शहर में 1 करोड़ 13 लाख का प्रोजेक्ट 30 मई 2023 को एजी कॉलेज रोड एचटी, एलटी लाइन वर्क का स्वीकृत किया गया था। इन सभी कार्यों में टेस्टिंग नहीं कराई गई।
वर्तमान में तीन नए प्रोजेक्ट चल रहे, इनकी भी जांच नहीं हुई
रीवा में तीन नए प्रोजेक्ट वर्तमान में चल रहे हैं।इनकी भी लागत करोड़ों में है लेकिन इनके भी सेम्पल जांच के लिए नहीं भेजे गए। देवतालाब में 5 करोड़ 80 लाख से माइक्रो लिफ्ट एरिगेशन में 8000 केवीए तक सप्लई के लिए 33 केवी लाइन खींचने का प्रोजेक्ट 6 नवंबर 2024 को स्वीकृत किया गया है। इसी तरह 1 करोड़ 72 लाख का प्रोजेक्ट देवतालाब में ही 33 केवी, 11केवी, एलटी लाइन शिफ्टिंग का 2 सितंबर 2024 को स्वीकृत हुआ। तीसरा प्रोजेक्ट बैकुंठपुर में 16 अक्टूबर 2024 को 1 करोड़ 36 लाख का 11 केवी लाइन वाटर वर्क नगर परिषद बैकुंठपुर का स्वीकृत किया गया है।इनके सेम्पल की जांच होना शेष है।
जबलपुर में होती है जांच, ठेकेदार उठाता है खर्च
विद्युत विभाग के तहत होने वाले कार्यों के सेम्पल की जांच का खर्च ठेकेदार उठाता है। इससे विद्युत कार्य में उपयोग होने वाली सामग्री के गुणवत्ता का पता चलता है। इसकी जांच जबलपुर लैब में होती है। उपयोग होने वाली सामग्री का सेम्पल लेकर एई को जबलपुर ले जाने का नियम है। जबलपुर में जांच के लिए ले जाने और लाने में जो भी खर्च आता है। वह ठेकेदार वहन करता है। इसी खर्च को बचाने और गुणवत्ता को छुपाने के लिए ही अधिकारी और ठेकेदार जांच नहीं कराते।