रघुनंदन महोत्सव का हुआ समापन, अंतिम दिन जनसंपर्क मंत्री ने देखा नकबेसर
कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में चल रहे तीन दिवसीय रघुनंदन महोत्सव का रविवार को समापन हो गया ।अंतिम दिन नाटक नकबेसर की कलाकारों ने प्रस्तुत दी। समापन अवसर पर मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क और पीएचई मंत्री राजेंद्र शुक्ला भी शामिल हुए । उन्होंने भी नकबेसर नाटक की प्रस्तुति देखी और कलाकारों की जमकर प्रशंसा की।
भारत देश युवा शक्ति से परिपूर्ण है युवा देश का वर्तमान एवं भविष्य: मंत्री राजेंद्र शुक्ल
रीवा।
रघुनंदन महोत्सव के समापन अवसर पर मंत्री मध्यप्रदेश शासन राजेन्द्र शुक्ल (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जन सम्पर्क विभाग) ने कहा कि युवा साथियों का यह आयोजन सराहनीय है । मैं देखता हूँ अंकित,शुभम जैसे इनके अनेक साथी क्षेत्र में सांस्कृतिक, साहित्यिक गतिविधियों को सहेजने हेतु सक्रिय हैं । भारत देश युवा शक्ति से परिपूर्ण है युवा देश का वर्तमान एवं भविष्य सवारने में मुख्य भूमिका में हैं । हमारे शहर के युवा जब इस तरह के सार्थक कार्य मे संलग्न दिखते हैं तो बहुत प्रशन्नता होती है । उन्होंने रघुनंदन महोत्सव के सफल आयोजन हेतु रंग उत्सव की पूरी टीम को बधाई दी ।
8 सितंबर से शुरू हुआ था रघुनंदन महोत्सव
प्रदेश में सांस्कृतिक साहित्यिक गतिविधियों को समृद्ध करने लिए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार तथा जिला प्रशासन रीवा के सहयोग से रंग उत्सव नाट्य समिति द्वारा आयोजित रघुनन्दन महोत्सव में अंतिम दिवस नाटक नकबेसर की प्रस्तुति ने सार्थक सन्देश दिया । शहर की सक्रिय संस्था रंग उत्सव नाट्य समिति रीवा द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी रघुनंदन नाट्य महोत्सव का आयोजन रीवा के कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में किया गया । तीन दिवसीय रघुनंदन महोत्सव का शुभारंभ आठ सितंबर को हुआ जिसमें प्रयागराज के नाट्य दल ने अपनी प्रस्तुति दी थी वहीं द्वितीय दिवस प्रसिद्ध लेखक एवं अभिनेता मानव कौल द्वारा लिखित नाटक पार्क का मंचन हुआ था। अंतिम दिवस सघन भोपाल की नाट्य प्रस्तुति नकबेसर को दर्शकों का भरपूर समर्थन मिला । फडीश्वरनाथ रेणु की रचना का नाट्य निर्देशन आनन्द मिश्रा ने किया था
नाटक की कहानी और कलाकार
यह नाटक दरअसल फणीश्वरनाथ रेणु के आत्म-रेखाचित्र एक बुलंद खुदी... उर्फ मशहूर 'नकबेसर' का किस्सा है तथा पांडुलेख पर केंद्रित है। रेणुजी इस रेखाचित्र के माध्यम से कहते हैं कि जो चित्रगुप्त महाराज ने लिख दिया, वही जीवन में उन्होंने किया है। वो ये भी कहते हैं कि भगवान चित्रगुप्त ने उन्हें धरती की विशेष मांग पर भेजा है। वो पहले प्रकाशन से लेकर जीवन के संघर्ष जैसे मिठाई की दुकान की मैनेजरी, लाइब्रेरियन की नौकरी आदि का जिक्र करते हैं। वह विभिन्न संगठनों में जुड़कर देश की आजादी के लिए क्रांतिकारियों के साथ जेल गए और अंग्रेजों की लाठियां भी खाईं। यह सब उनकी रचना प्रक्रिया में भी दिखता है।इतना ही नहीं, उन्होंने गांव में जो जीवन रस प्राप्त किया, वह भी उनकी रचनाओं में रेखांकित होता हैं। रेणुजी ने एक बार ये भी कहा था कि वह अपनी आत्मकत्था में सच और सिर्फ सच ही लिखेंगे। ऐसा उन्होंने अपने मित्रों को वचन भी दिया था। इस नाटक में शिवेंद्र सिंह, विशाल आचार्य, प्रभाकर द्विवेदी, मुकेश गौर, आमिर रजाक, भूमिका ठाकुर, मोनिका विश्वकर्मा, यश बालोदिया, हेमराज तिवारी, शिवम रघुवंशी, अनुष्का सहारे, अनुज शुक्ला, ने सराहनीय अभिनय पेश करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत संचालन अरविंद बुंदेला तथा प्रकाश परिकल्पना एवं निर्देशन आनंद मिश्रा का रहा । समापन दिवस में पूर्व रंग अन्तर्गत आतिशी तिवारी एवं साथियों ने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया ।
विभिन्न प्रतियोगिताओं के आए परिणाम
आठ सितंबर को पेंटिंग, पोस्टर, कार्टूनिंग, तत्कलीन भाषण की प्रतियोगिता हुई तो नौ सितंबर को रंगोली,नाटक,स्वरचित काव्य पाठ अंतिम दिवस लोक गीत,देशभक्ति गीत, स्वरचित काव्य लेखन जैसी प्रतियोगिता हुई । इन प्रतियोगिता के परिणाम समापन दिवस पर जारी हुए। सम्पूर्ण महोत्सव का सफल मंच संचालन शुभम पाण्डेय ने किया। आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय सदस्य राजतिवारी भोला, अखण्ड प्रताप सिंह, दिव्यांशु सिंह,प्रसून मिश्रा, गौरव,विशेष,दीपक,शुभम उपस्थित रहे ।