रेलवे ने किसानों से ली जमीन लेकिन सब को नहीं दी नौकरी, सिर्फ इतनों को ही मिला मौका
ललितपुर रीवा सिंगरोली रेल परियोजना में रेलवे ने जमीन ली लेकिन सब को नौकरी नहीं दी। 13 हजार 750 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। बदले में सिर्फ 1581 को ही नौकरी मिली। शेष कतार में है। अब यही किसान सरकार से नौकरी मांग रहे हैं। आंदोलन पर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
रीवा। ललितपुर-रीवा-सिंगरौली रेल परियोजना में भूमि दे चुके सभी किसानों को अभी तक नौकरी नहीं मिली। इस परियोजना के लिए रेल प्रशासन ने 13 हजार 750 किसानों की भूमि अधिग्रहित की। इसके बदले महज 1581 किसानों या उनके परिजनों को नौकरी दी, जो कुल भू-अधिग्रहण से प्रभावित किसानों का साढ़े 11 प्रतिशत है। शेष 12 हजार 169 किसान अभी भी नौकरी से वंचित हैं। रेल प्रशासन की इस वादाखिलाफी को लेकर पिछले 1 वर्ष से किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। फिर भी रेल प्रशासन किसानों की मांग को अनसुना कर रहा है।
गौरतलब है कि 7 वर्ष पहले वर्तमान केंद्र सरकार ने इस परियोजना की दोबारा आधारशिला रखी थी। करीब 541 किलोमीटर की इस परियोजना के लिए 8913.93 करोड़ रुपये अनुमानित लागत तय हुई। इसमें से मार्च 2023 तक परियोजना में 4086 करोड़ रुपये व्यय हो चुका है। इतनी लागत से 229 किलोमीटर रेललाइन ललितपुर-खजुराहो-महोबा लाइन चालू हो गई है। शेष प्रस्तावित स्थल में निर्माण कार्य जारी है। उक्त जानकारी रेल मंत्रालय ने राज्यसभा में अगस्त 2023 को दी। इस मसले को लेकर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रश्न लगाया था, जिस पर उक्त जानकारी दी गई।
नौकरी के मुद्दे पर नहीं दिया ठोस उत्तर
बताते हैं कि राज्यसभा सांसद ने सरकार से यह भी पूछा था कि भूमि के बदले नौकरी का वादा भी रेलवे ने किया था। इस प्रश्न के जबाब में रेल प्रशासन द्वारा गोल-मोल जबाब देते हुए बताया कि सत्र 2021-22 तक 1581 किसानों को नौकरी दी गई। वादा करने या उसके बाद नौकरी संबंधी कार्यवाही रुकने को लेकर कोई स्पष्टीकरण रेल प्रशासन ने नहीं दिया। रेलवे संघर्ष समिति गोविंदगढ़ के प्रवक्ता व किसान नेता महेंद्र पाण्डेय कहा कि रेल प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण करते समय नौकरी देने की बात कही, जिसके चलते कुछ लोगों को नौकरी भी मिली। 11 नवंबर 2019 के पूर्व जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित हुई थी। इन सभी को नौकरी मिलनी चाहिए थी लेकिन रेलवे प्रशासन अपने इस ही इस आदेश से मुकर रहा है। भूमि का मुआवजा अलग और नौकरी न देने के बदले 5 लाख देने की बात कह रहा है। रेलवे की इस मनमानी का ही किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
सिंगरौली से एक किसान को भी नहीं मिली नौकरी
परियोजना के तहत 6 जिलों में से सबसे ज्यादा सीधी के 4818 किसानों से भूमि ली गई। ऐसे ही, सतना और सिंगरौली में अधिकाधिक किसानों से भूमि ली गई। मंत्रालय द्वारा दिए उत्तर के अनुसार अन्य जिलों में तो कुछ नौकरी दी लेकिन सिंगरौली से एक भी किसान को भ्ूामि के बदले रेल प्रशासन नौकरी नहीं दे पाया। हालाकि उक्त प्रश्नोत्तर के मुताबिक सभी किसानों को मुआवजा दिया गया है।
2016 में दोबारा हुआ था शिलान्यास
उल्लेखनीय है कि गत 18 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस परियोजना का दोबारा शुभारम्भ किया तथा सीधी स्टेशन का शिलान्यास किया। इस दौरान जानकारी दी गई कि केवल रीवा से सीधी वाया सिंगरौली के बीच 165 किलोमीटर रेललाइन की लागत 2220 करोड़ आयेगी। रेल मंत्रालय ने 2020 तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया था। शिलान्यास कार्यक्रम के मंच से तत्कालीन रेल मंत्री ने नियत समय में निर्माण कार्य पूरा होने का आश्वासन भी दिया था। अब दोबारा शिलान्यास होने के बावजूद परियोजना कछुा गति से चल रही हैं।
कुल 38 साल की हुई परियोजना
ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना की नींव 1985 में रखी गई थी। लगभग 541 किलोमीटर लंबी रेललाइन के लिए तब 925 करोड़ रूपये आवंटित हुए थे। पहले चरण में ललितपुर से खजुराहो होते हुए सतना 282 किलोमीटर ट्रेक बिछाना था। फिर दूसरे चरण में महोबा से खजुराहो 64.48 किलोमीटर ट्रेक और तीसरे चरण में रीवा से सिंगरौली 165 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण तय हुआ। विभिन्न राजनीतिक कारणों से यह परियोजना आमजन के लिए दुखदायी बनी रही।
जिला भू-अधिग्रहण नौकरी दी
रीवा 1038 293
सीधी 4828 860
सिंगरौली 2698 00
सतना 2886 298
पन्ना 1721 44
छतरपुर 589 86
योग 13750 1581