तेजी से बढ़ रहा आई फ्लू, इससे कैसे बचें, जाने एक्सपर्ट की राय

इस मर्तबा आखों में इन्फेक्शन ज्यादा तेजी से बढ़ा है। अधिकांश लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं। इस वायरस की चपेट में आने से आंखें लाल और जलनयुक्त हो रही है। इस बीमारी को कन्जक्टिवाइटिस या फिर पिंक आई कहते हैं। इस बीमारी के चपेट में सबसे अधिक बच्चे ही आ रहे हैं। इस बीमारी से बचने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एससीएल चन्द्रवंशी ने बीमारी के लक्षण और बचाव पर प्रकाश डाला है।

तेजी से बढ़ रहा आई फ्लू, इससे कैसे बचें, जाने एक्सपर्ट की राय
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क्या होता है आई फ्लू
रीवा। आई फ्लू एक नेत्र का संक्रमण रोग है। जो वायरस के कारण बरसात के मौसम में देखने को ज्यादा मिलता है। इस बीमारी में आंख लाल हो जाती है। खुजली होती है। पानी आता है। चिपचिपापन दर्द और पलकों में सूजन भी हो सकती है।
क्यों होता है-
यह एडिनो वायरस के करना मुख्य रूप से होती है। यह संक्रमण कम से कम एक हफ्ते तक बना रहता है। इसको मडिकल की भाषा में टाइट और पिंक आई के नाम से जाना जाता है।
कैसे फैलता है
व्यक्ति के संपर्क में जाने से आई पहाट सीलिये स्विमिंग पूल के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों और उपकरणों के माध्यम से फैलता है पति का काम माने या मेकअप उपयोग के माध्यम से भी यदि घर में कोई का मरीज है तो उसके द्वारा पर की जैसे दरवाजे का दल छूने से भी फैल सकता है।
यह करें उपचार
आप स्वयं में आपको उचित निदान और उपचार के लिए चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। आपका डॉक्टर लक्षणों को म करने और संक्रमण को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए आप के लिए कुछ आई या आई ड्रॉप दवा का सुझाव दे सकता है। आई पर आमतौर पर १-२ समाह के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, क्षणों से राहत के लिए आँखों को आराम देने के लिए आर्टिफीसियल टीयर ड्राप्स या फिर लुब्रिकेटिंग आई ड्रपा का उपयोग करें।  दर्द और जलन को कम करने के लिए बर्फ से सेंकाई करें। यदि कीचड़ आ रहा है तो कोई एंटीबायोटिक आई ड्राप को प्रयोग में ले सकते है। दूसरों तक वायरस फैलने से रोकने के लिए आंखों को छूने से परहेज करें।
क्या न करे एक्सपर्ट ओपीनियन
विशेष प्रोफेसर डॉ एमसीएल चन्द्रवंशी ने बताया कि किसी मेडिकल स्टोर में एंटीबायोटिक स्टेट (स्ट्रोम) आई ड्राप्स लेकर अपनी मर्जी से ऐसा न करें। ऐसा करने से आंख की तुलती पर घाव या अल्सर हो सकता है। इससे हमेशा के लिए रोशनी जा सकती है। बहुत दिनों से खुली हुई आईड्राप का उपयोग भी न करें। आंख में पत्तियों का रस, दूध व अन्य बाहरी चीजें न डाले। नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम २० सेकेंड तक धोएं। आंखों का छूने और रगडऩे से बचें। क्योंकि इसमें और जलन पैदा हो सकती है और संक्रमण बढ़ सकता है। जब साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो सैनिटाइजर का उपयोग करें। कीटाणुओं को खत्म करने के लिए बार बार छूने वाली जगहों जैसे दरवाजे के हैंडल, लाइट, स्विच और इलेक्ट्रॉनिक्स को नियमित रूप से कीटाणुरहित करें। यदि आप कान्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो लेंस की नियमित साफाई और कीटाणुशोधन सहित उचित हाथ की स्वच्छता सुनिश्चित करें।  मानसून के मौसम में सार्वजनिक स्विमिंग पूल का उपयोग करने से बचे।