कॉलेजों में अनुसंधान नीति केन्द्र की होगी स्थापना

कॉलेजों में शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की योजना तैयार की गई है। सभी कॉलेजों में यह केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। यह केन्द्र विवि से समन्वय कर कार्य करेंगे। इस केन्द्र के स्थापित होने से शोध कार्य में सहायता मिलेगी।

कॉलेजों में अनुसंधान नीति केन्द्र की होगी स्थापना
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रीवा। जिले के सभी सरकारी महाविद्यालयों में अनुसंधान केंद्र की स्थापना हो सकेगी। विषयवार अनुसंधान केंद्र की स्थापना हेतु महाविद्यालयों को अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय से समन्वय कर कार्यवाही करनी होगी। इस बाबत उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने महाविद्यालयों को विगत माह दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्राचार्यों को संबोधित पत्र में प्रत्येक महाविद्यालय में अनुसंधान नीति का निर्माण करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, शोध कार्यविधि विषय पर सेमिनार आदि करने के लिए कहा गया है। अकादमिक शोध को बढ़ावा देने शोध प्रकाशित करने तथा अनुसंधान हेतु वित्त पोषण संस्थाओं से सम्पर्क कर शोध के प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। विभागीय आयुक्त के उक्त निर्देश महाविद्यालयों के बिगड़े अकादमिक स्वास्थ्य के लिहाज से उत्तम कहे जा सकते हैं, जिससे छात्रों को अपने महाविद्यालय में ही शोध की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।
गौरतलब है कि जिले में 16 सरकारी महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में पढऩे वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही। अधिकांश नियमित शिक्षक बाबूगिरी के काम मेें लगे हुए हैं। यह बाबूगिरी का कार्य भी विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं को लेकर लादा गया है। जो नियमित शिक्षक इस बाबूगिरी के कार्य से बचे हुए हैं, उनमें से कुछ ही कक्षाओं तक पहुंच कर छात्रों को पढ़ाना पसंद करते हैं। ऐसे में महाविद्यालय स्तर पर शोध कार्य को बढ़ावा देना फिलहाल तो दुष्कर कार्य प्रतीत होता है।
आध्ुानिक प्रयोगशालाओं की कमी
महाविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने की और भी समस्यायें हैं, जिसमें से पहला तो आधुनिक प्रयोगशाला व पुस्तकालय का अभाव होना है। हालांकि विभाग हर साल प्रयोगशाला व पुस्तकालय उन्नयन के लिए महाविद्यालयों से प्रस्ताव मांगता है लेकिन कहीं न कहीं ईमानदारी पूर्वक प्रयास न होने पर अपेक्षा अनुरुप परिणाम नहीं मिल रहे। इस कारण कई सरकारी महाविद्यालय विषयवार अनुसंधान केंद्र बनने की स्थिति में ही नहीं है। इसके अतिरिक्त जिन महाविद्यालयों में विषयवार अनुसंधान केंद्र हो सकते हैं, वहां रीवा विश्वविद्यालय के साथ ठीक से समन्वय न होने के कारण केंद्र नहीं बन पा रहे हैं।