रिटायर्ड आईएएस ने 5 करोड़ की रामचरित मानस बनवाई, रामलला मंदिर में स्थापित कराई, जानिए क्या है इसकी खासियत
श्रीराम के प्रति आस्था रखने वालों की कमी नहीं है। रिटायर्ड आएएस ने जीवन भर की पूंजी बचाई। इस राशि से 5 करोड़ रुपए से 1000 पेज का रामचरित मानस बनवाया। 151 किलोग्राम तांबा, 4 किलोग्राम सोना से बनी यह रामचरित मानस आयोध्या में श्रीराम मंदिर को उपलब्ध कराई गई है। अब यह रामचरित मानस यहां की शान बनेगी। रामलाला की मूर्ति से 15 फीट की दूरी पर एक पत्थर के आसन पर इसे रखा गया है। इसके हर पेज को सोने की परत चढ़ाई गई है।
अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर में अब भक्त रामलला के साथ-साथ सोने की रामचरित मानस के भी दर्शन करेंगे। नवरात्र के पहले दिन गर्भगृह में इसे विधि-विधान से स्थापित कर दिया गया है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। रामचरित मानस को रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूरी पर एक पत्थर के आसन पर रखा गया है। रामचरित मानस को मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी ने राम मंदिर ट्रस्ट को भेंट किया है। यह रामचरित मानस 1000 पेज की है। इसका वजन 155 किलोग्राम है। इसमें 4 किलोग्राम सोने और 151 किलोग्राम तांबे का इस्तेमाल किया गया है। हर पेज पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। साथ ही हर पेज पर 3 किलोग्राम तांबा भी लगा है। ज्वैलर्स ने रामचरितमानस को 3 महीने में तैयार किया है। इसे बनाने में करीब 5 करोड़ रुपए खर्च आया है। केंद्र में गृह सचिव रहे आईएएस एस. लक्ष्मी नारायण ने बताया कि मैं दाल-रोटी खाने वाला इंसान हूं। पेंशन ही खर्च नहीं होती है। ईश्वर ने जो उन्हें दिया, उसी को उन्हें वापस किया है। प्रभु के चरणों में उनकी पुस्तक अर्पित कर मेरा जीवन सफल हो गया।
रामचरित मानस का हर पेज तांबा से बना है
सोने की इस रामचरित मानस का प्रत्येक पृष्ठ तांबे से बना 14 गुणे 12 इंच आकार का है। जिस पर रामचरित मानस की चौपाइयां अंकित हैं। रामचरित मानस को टिकटी पर रखकर खोला भी जा सकता है। उस पर अंकित छंद पढऩे लायक हैं। हालांकि, इस स्वर्ण-ग्रंथ को पाठ के लिए कभी नहीं उठाया जाएगा। यह ग्रंथ सिर्फ इसलिए रखा गया है, ताकि भगवान रामलला के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु रामचरित मानस के भी दर्शन कर सकें। मंदिर ट्रस्ट ने इसे एक विशिष्ट आसान पर स्थापित किया है। रामचरित मानस की पूजा-आरती करने का सौभाग्य भी श्रद्धालुओं को मिलेगा।