रीवा ऐसा जिला बना जहां देश में पहली बार हो रहा है यह प्रयोग, यह जानकारी आप को भी कर देगी हैरान
वन विभाग ऐसे ऐसे प्रयोग कर रहा जो देश में कहीं नहीं हो रहे। वन विभाग ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा भी हो सकता है। रीवा में यह प्रयोग देश में मिशाल बन रहे हैं। अब वन विभाग ने एक नया प्रयोग शुरू किया है जो देश में ऐसा करने वाला पहला जिला बन गया है। पौधरोपण वाले क्षेत्रों में भूजलस्तर की मॉनीटरिंग की शुरूआत की गई है। इसका डाटा जुटाया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि पौधरोपण से भूजलस्तर पर कितना और क्या असर पड़ता है। देश में भूजलस्तर तेजी से घट रहा है। ऐसे में वन विभाग रीवा का यह नया प्रयोग देशभर के लिए कारगर साबित होगा।
रीवा। देश में पहली बार रीवा वन विभाग वानिकी कार्यों के प्रभाव के आकलन का ग्राउंड-वाटर लेवल मॉनिटरिंग की शुरुआत की है। वन विभाग के डीएफओ अनुपम शर्मा ने बताया कि आज भारत के कई क्षेत्र पानी की कमी और भूजल के गिरते स्तर से जूझ रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए भू-जल संरक्षण संरचनाएं एवं पौधारोपण सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। वन विभाग प्रतिवर्ष कई हेक्टेयर वनभूमि पर बिगड़े वनों के सुधार के लिए पौधारोपण एवं भूजल संरक्षण संरचनाओं का कार्य करता है। परंतु वन विभाग के इन कार्यों से भूजल स्तर में कितना बदलाव आया, इसका आकलन वर्तमान में नहीं किया जाता है। इसकी शुरुआत वन विभाग ने की है। रीवा वनमण्डल अधिकारी के निर्देश पर डभौरा परिक्षेत्र अधिकारी अभिवादन चौबे की देखरेख में रीवा वन विभाग ने भूजल स्तर मापने की नई पहल की शुरू की गई है। इसकी शुरुआत रीवा वनमण्डल अंतर्गत डभौरा वन परिक्षेत्र की पनवार बीट में वृक्षारोपण क्षेत्र से की गई है। नियमित अंतराल पर वृक्षारोपण क्षेत्र में भू-जल स्तर को मापा जायेगा। वर्षवार आंकड़ों की तुलना से वानिकी कार्यों के भूजल स्तर पर सकारात्मक प्रभाव सांख्यिक तौर पर स्पष्ट हो सकेगा।भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन में वनों के महत्व को प्रतिपादित करने के लिए ग्राउंड वाटर लेवल साउंडर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक के तहत सेंसर को बोर में डालकर समय-समय पर भू-जल स्तर को नापा जायेगा और पौधारोपण का इस पर पडऩे वाले सकारत्मक प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। जिससे वन को मनुष्य जीवन के महत्व और पुख्ता तरीके से प्रचारित एवं प्रसारित किया जा सके।
तेजी से घट रहा है जलस्तर
रीवा में तेजी से भूजल स्तर घट रहा है। समय से साथ भूमिगत जल का दोहन बढ़ गया है। रीवा में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां वाटर लेकर कई फीट नीचे पहुंच गया है। वहीं केन्द्र ने भी रीवा की दो तहसीलों को ब्लैक स्पाट के रूप में चिन्हित किया है। इन दो तहसीलों में भूजलस्तर काफी नीचे हैं। वन विभाग की इस नई पहल से कम से कम भूजलस्तर पर नजर रखी जा सकेगी। यदि कोई प्रगति पौधरोपण क्षेत्रों में मिलेगा तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। पौधरोपण के जरिए भूजल स्तर को कम से कम बढ़ाया या सुधारा जा सकेगा।