सड़कें हो गई खून से लाल, 180 दिन में 204 लोगों ने गंवाई एक्सीडेंट में जान और इतने गुना पहुंचे अस्पताल

अच्छी सड़कें हादसों की वजह बन गई हैं। एक्सीडेंट में बेतहासा वृद्धि हुई है। तेज रफ्तार और लापरवाही हर दिन जान ले रही है। रीवा जिला में हुए एक्सीडेंट के आंकड़े आपको चौका देंगे। 180 दिनों में 204 लोगों की जान सड़क हादसे में गई। वहीं तीन ढ़ाई गुना यानि 544 लोग घायल होकर अस्पताल पहुंचे हैं। कई अब भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।

सड़कें हो गई खून से लाल, 180 दिन में 204 लोगों ने गंवाई एक्सीडेंट में जान और इतने गुना पहुंचे अस्पताल
File photo

रीवा। पहले सड़कों की समस्या था। सड़क खराब होने पर हादसे होते थे। अब जब सड़के बन गईं तब भी हादसे हो रहे हैं। पक्की सड़कें हादसों की वजह बन रही है। नेशनल हाइवे से लेकर शहर की सड़केंं अब फर्राटेदार बन गई है। इन सड़कों पर वाहन चालक बिना नियंत्रण के वाहन चलाते हैं और हादसे का शिकार हो रहे हैं। रीवा जिला में एक्सीडेंट के 6 महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह चौकाने वाले हैं। यातायात से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2024 के बीते 6 महीने में 682 सड़क हुए। इसमें 204 लोगों ने जान गंवाई। वहीं घायलों में 544 लोग घायल हुए। दिन प्रतिदिन हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जितनी सुविधाएं वाहन चालकों को मिल रही है। उतनी ही लापरवाही भी वाहन चालक बरत रहे हैं। वाहन चालक सिर्फ खुद की जान ही खतरे में नहीं डालते। दूसरों की भी जान लेने और उन्हें अस्पताल पहुंचाने में कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
एक्सीडेंट की सबसे बड़ी यह है वजह
बढ़ते सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह नशा बन रही है। शराब पीकर वाहन चलाने से सबसे अधिक हादसे हो रहे हैं। इसके अलावा ओव्हर टेक भी वजह बन रही है। ओव्हर लोड सवारियां लेकर चलने वाले वाहन भी एक्सीडेंट का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा कुछ खतरनाक मोड़ हादसों का मुख्य केन्द्र बन गए हैं। सोहागी पहाड़ में आए दिन हादसे होते हैं। इस मोड़ को बनाने में तकनीकी खामियों को दूर नहीं किया गया। इसके कारण यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। अब तक कई बड़े हादसे हो चुके हैं।
ट्रामा सेंटर की कमी खल रही
एक्सीडेंट के बाद मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। इसके कारण भी घायलों की जान चली जाती है। एक्सीडेंट में घायलों को एम्बुलेंस तो मिल रही है लेकिन इलाज नहीं मिलता। अस्पताल में ट्रामा सेंटर ही नहीं है। इसके कारण घायलों का आपरेशन नहीं हो पाता। संजय गांधी अस्पताल में एमरजेंसी कक्ष है लेकिन यहां मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पाता। इलाज के दौरान ही घायल दम तोड़ देते हैं।
6 महीने में हुई दुर्घटना और मौत के आंकड़े
महीना       दुर्घटना    मृतक     घायल
जनवरी       111       33        92
फरवरी       118       26       100
मार्च          111       29        93
अप्रैल          95       31        77
मई            148      57        110
जून            99       22         72
कुल           682     204        544