SGMH के दंत रोग चिकित्सकों ने किया बड़ा काम, 18 साल की युवती की जान बचाने ऐसी सर्जरी की गई जो पहले नहीं हुई
संजय गांधी अस्पताल के दंत चिकित्सा विभाग में पहली बार ऐसी सर्जरी हुई जो अब तक रीवा में नहीं की गई थी। एक 18 साल की युवती की जांच जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऐसा फैसला लिया जो उसकी जान बचाने के लिए जरूरी था। डॉक्टरों की टीम ने जबड़े में ट्यूमर को हटाने के लिए आधा जबड़ा काटकर अलग कर दिया और उसकी जगह पर नकली जबड़ा सेट कर दिया। अब कुछ दिनों बाद उसके नकली जबड़े में दांत फिट कर दिया जाएगा। ट्यूमर से छुटकारा दिलाने के लिए यह संजय गांधी अस्पताल में अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है। इसके बाद युवती पहले के जैसे खाना खा सकेगी।
"श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा की एक और उपलब्धि
संजय गाँधी अस्पताल रीवा में हुई जबड़े की दुर्लभतम सर्जरी
Rewa. संजय गाँधी अस्पताल चिकित्सा क्षेत्र में नित नई उचाईयाँ छू रहा है। इसमें दन्त रोग विभाग भी पीछे नहीं है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के दन्त रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा विगत कई वर्षों से दाँतों के अलावा चेहरे एवं जबड़े की सर्जरी की जाती रही है, विभाग में विगत कुछ दिन पहले एक 18 वर्ष की महिला नीले वाले जबडे में सूजन के साथ कटनी से आई थी। जाँच करने पर पता चला कि नीचे वाले में एमिलोब्लास्टोमा (Amloblastoma) ट्यूमर है। जिसके इलाज में आधा जबडा काट कर निकालना पड़ता है। चूँकि महिला अभी युवती थी, इसलिये उसका जबडा काट कर नकली जबडा (PSI) लगाने का निर्णय लिया गया। PSI का मतलब होता है, पेशेंट स्पेसिफिक इम्पलांट, जो कि मरीज के जबड़े की प्रतिकृति होती है। यह तकनीक 1 वर्ष पहले ही भारत में आई है।
इस शल्य क्रिया को विभाग की प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, डॉ. गीता त्रिपाठी, डॉ. करूणा जिन्दवानी, डॉ. तौसीफ एवं डॉ. आकांक्षा द्वारा निश्चेतना विशेषज्ञों के सहयोग से की गयी। यह सर्जरी विन्ध्य क्षेत्र में पहली बार की गई है. इस सर्जरी के बाद बच्ची स्वस्थ्य है व उसकी छुट्टी कर दी गई है। कुछ महीने बाद उसके नकली जबड़े में नकली दाँत लगा दिये जायेंगे, जिससे वह खाना खा सकेगी। अभी तक विभाग के द्वारा दस हजार के ऊपर जबड़ एवं चेहरे के फ्रेक्चर के केश किये जा चुके हैं। इसके अलावा चेहरे की अन्य बीमारियों जैसे विभिन्न प्रकार की गठानें, ट्यूमर व जबड़े के अकड़ने का भी इलाज करते जा रहे हैं। पहले इन सर्जरियों के लिए मरीज नागपुर, जबलपुर, भोपाल, इन्दौर आदि शहरों में जाते थे। दन्त रोग विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि पूरे मध्यप्रदेश में शासकीय डेन्टल कॉलेज इन्दौर के बाद सबसे ज्यादा जबडे एवं चेहरे की सर्जरी यहीं की जाती है। इस तरह की सर्जरी में बेहोशी, सर्जरी, ई.एन.टी. एवं मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों का भी अहम योगदान रहा है। इनके अलावा कॉलेज के तत्वकालीन अधिष्ठाता, डॉ. मनोज इन्दुरकर एवं संयुक्त संचालक, डॉ. राहुल मिश्रा की भी सहायता प्राप्त हुई है। विभाग में तीन वरिष्ठ चिकित्सक पदस्थ हैं। डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष), डॉ. करूणा जिन्दवानी, प्राध्यापक (नामित) एवं डॉ. संतोष मिश्रा (सहायक प्राध्यापक)। विभाग में तीन कनिष्ठ चिकित्सक डॉ. तौसीफ खान, डॉ. आकांक्षा सिंह एवं डॉ. ज्योति अवधिया पदस्थ हैं। दन्त रोग विभाग के इन चिकित्सकों द्वारा कम संसाधन में नित्य नई सर्जरी की जा रही है।