संतान सप्तमी: मंदिरों में उमड़ी भीड़, माताओं ने मांगी बच्चों की लंबी उम्र
इस मर्तबा संतान सप्तमी दो दिन पड़ रही है। गुरुवार और शुक्रवार को यह पर्व मनाया जाएगा। गुरुवार को भी महिलाओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्चना की। मंदिरों में भारी भीड़ रही। यह पर्व शुक्रवार को भी मनाया जाएगा।
रीवा। हिन्दू धर्म में संतान सप्तमी पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। संतान सप्तमी के दिन महिलाएं अपने बच्चे की लम्बी उम्र और तरक्की के लिए व्रत रखकर भगवान सूर्य ओर लड्डू गोपाल की पूजा अराधना करती है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होती है। सप्तान सप्तमी इस मर्तबा दो दिन पड़ रहा है। गुरुवार और शुक्रवार को भी मनाया जाएगा। गुरुवार को भी कई महिलाओं ने संतान सप्तमी के दिन मंदिरों में पहुंच कर पूजा अर्चना की। भगवान से पुत्र की लंबी उम्र की कामना की। शुक्रवार को भी यह पर्व मनाया जाएगा।
इस तरह से करें पूजा अर्चना
ब्रहृम मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद शिव जी व विष्णु जी की पूजा करें। तत्पश्चात संतान सप्तमी व्रत तथा पूजन का संकल्प लें। निराहार रहते हुए शुद्धता से पूजन का सामान तैयार करें। इस पूजन में गुड़ से बने सात पुआ, खीर। फिर गंगाजल से छिड़ककर पूजन स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। जिस पर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। इसके सामने कलश की स्थापना करें। कलश में जल, सुपारी, अक्षत,1 रुपए का सिक्का, डालकर उस पर आम का पल्लव लगाएं। जिसके ऊपर एक प्लेट में चावल रखकर एक दीपक उसके ऊपर जला दें। फिर भगवान को चढ़ाने वाले आटे और गुड़ के 7-7 पुए जिसे महाप्रसाद कहते हैं, इन्हें केले के पत्ते में बांधकर वहां पर रख दें। इसके बाद फल-फूल, धूप दीप से विधिवत पूजन करते हुए पूजा की शुरूआत करें। यदि चांदी की नया कड़ा बनवाया है तो ठीक है, यदि पुराना उपयोग कर रहे हैं तो पहले चांदी के कड़े को शिव परिवार के सामने रखकर दूध व जल से शुद्ध करके टीका लगाकर भगवान का आशीर्वाद ले लें। इसके बाद चांदी के कड़े को अपने दाहिने हाथ में पहने। इसके बाद संतान सप्तमी व्रत कथा सुने।
मनकामेश्वर मंदिर के छत का प्लास्टर गिरा
सप्तान सप्तमी के दिन मंदिरों में महिलाओं की भारी भीड़ थी। मनकामेश्वर मंदिर भी भी पूजा अर्चना करने महिलाएं पहुंची थी। यहां एक बड़ा हादसा होते होते टल गया। अचानक मंदिर की छत का प्लास्टर भर भराकर जमीन पर गिर गया। गनीमत यह रही कि उसके नीचे कोई श्रद्धालु नहीं था। वर्ना बड़ा हादसा तय था। मंदिर में दिन भर भक्तों की भीड़ बनी रही।