प्रमोशन करके फंस गया स्कूल शिक्षा विभाग, शिक्षक पढ़ा ही नहीं पा रहे 9वीं, 10 वीं की क्लास

सरकारी स्कूलों की दुर्गति हो गई है। छात्रों की पढ़ाई ठप पड़ गई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रमोशन देकर खुद की पीठ तो थपथपा ली लेकिन अब प्राचार्य आसंू बहा रहे हैं। प्रमोशन लेकर उच्च पदों पर आए शिक्षक हायर क्लास नहीं ले पा रहे हैं। उन्हें हाई स्कूलों के विषयों का ज्ञान ही नहीं है। प्रभार लौटा रहे हैं। पढ़ाने से ही भाग रहे हैं। अब प्राचार्य रिजल्ट को लेकर टेंशन में आ गए हैं। जिस तरह से स्कूलों के हालात हैं, वैसे में तो इस मर्तबा रिजल्ट बिगडऩा तय है।

प्रमोशन करके फंस गया स्कूल शिक्षा विभाग, शिक्षक पढ़ा ही नहीं पा रहे 9वीं, 10 वीं की क्लास
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प्रायमरी और माध्यमिक पढ़ाने वालों प्रमोशन लेकर माध्यमिक शिक्षक बन गए
हाई स्कूलों में मिली कक्षाएं लेकिन प्रभार लेने को नहीं हैं तैयार, भाग रहे हैं
कई जुगाड़ में जुटे हैं दूर की स्कूलें मिलने के कारण अटैचमेंट में चल रहे हैं
रीवा। ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र में पढ़ाई पर ध्यान देने की जगह अन्य चीजों पर ही अटकी रही। युक्तियुक्तकरण से लेकर शिक्षकों के प्रमोशन किए गए। प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षकों का प्रभार दिया गया। माध्यमिक शिक्षकों को उच्च माध्यमिक शिक्षक बनाया गया। अब यही प्रमोशन प्राचार्यों के लिए सिरदर्द बन गया है। प्रमोशन लेकर शिक्षक उच्च पदों के प्रभार पर नवीन स्कूलों में पहुंच तो गए लेकिन उनसे पढ़ाते नहीं बन पा रहा है। कक्षाओं में क्लास नहीं ले पा रहे हैं। पढ़ाने से बचते फिर रहे हैं। दो दिन पहले मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 में प्राचार्यों की एक समीक्षा बैठक बुलाई गई। इसमें सभी अधिकारी मौजूद थे। अधिकारियों के सामने प्राचार्यों ने अपना दर्द रख दिया। प्राचार्यों ने यह भी कह दिया कि जो आए हैं वह पढ़ा नहीं पा रहे हैं जो हैं वह पढ़ाना नहीं चाह रहे। उन्हें उच्च पद प्रभार के आदेश का इंतजार है। यानि कुल मिलाकर सरकारी स्कूलों में पूरी तरह से पठन पाठन व्यवस्था ठप पड़ गई है।
शिक्षकों को कुछ आता ही नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग ने सहायक शिक्षकों और प्राथमिक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षक बना दिया। उन्हें उच्च पद प्रभार दे दिया। इससे शिक्षकों को नया पद तो मिल गया लेकिन उनके शैक्षकीय कार्य में बदलाव नहीं आया। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में जिंदगी भर पढ़ाने वाला शिक्षक अब हाई स्कूल की किताबें और कक्षाएं नहीं पढ़ा पा रहा है। उसे किताबे और कक्षाएं देखते ही डर सता रहा है। यही वजह है कि शिक्षकों ने कक्षाएं लेने से ही हाथ खड़े कर दिए हैं। इस बात से प्राचार्य टेंशन में हैं। वहीं जो पहले पढ़ा रहे थे, उन्हें या तो युक्तियुक्तकरण के दायरे में फंसा कर हटा दिया गया या फिर उन्हें भी प्रमोशन दे दिया गया। अब हालात बुरे हो गए हैं।
यह पढ़ाना नहीं चाह रहे, इन्हें आदेश का इंतजार है
कई ऐसे भी शिक्षक स्कूलों में पदस्थ हैं, जिन्हें उच्च पद प्रभार के आदेश का इंतजार है। उच्च पद प्रभार के लिए काउंसलिंग तो हो गई लेकिन अभी तक आदेश नहीं आया। ऐसे में वह भी पूरी तरह से अपना ध्यान पढ़ाई में नहीं लगा पा रहे हैं। उनकी मन: स्थिति ही नहीं बन पा रही है। वह खुद को स्कूल से अलग मान बैठे हैं। उन्हें अन्यत्र जाने की टेंशन सता रही है। इसके कारण भी पढ़ाई ठप पड़ी हुई है।
हमेशा के लिए बन गई है समस्या
स्कूल शिक्षा विभाग में उच्च पद प्रभार हमेशा के लिए समस्या बन गई है। स्कूलों में वैसे भी बिना पद के पदस्थापना पर रोक लगा दी गई है। बिना पद स्वीकृति के अतिरिक्त शिक्षकों को अन्यत्र भेजा जा रहा है। ऐसे में जो प्रमोशन लेकर शिक्षक आए हैं वह स्कूल के लिए हमेशा के लिए सिरदर्द बने रहेंगे। वह हाई और हायर सेकेण्डरी की कक्षाओं में पढ़ा ही नहीं पाएंगे। ऐसे में सरकारी स्कूलों की दुर्गति तय मानी जा रही है।
जो हटे वह जुगाड़ में जुट गए
हद तो यह है कि कई शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्हें पदोन्नति की काउंसलिंग के दौरान शहर से दूर स्कूलें मिली। अब वह शिक्षक भी आने जाने और किसी तरह स्कूल में उपस्थिति दर्ज कराने के जुगाड़ में लग गए हैं। कुछ शिक्षक सिर्फ नाम के लिए स्कूलों में आमद दर्ज कराए हैं और सेवाएं पुरानी स्कूलों में ही दे रहे हैं। अधिकांश शिक्षकों प्रमोशन मिलने और आदेश के बाद भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। जुगाड़ से ही ड्यूटी चल रही है। इसके कारण भी प्राचार्य परेशान हैं।
सिर्फ दो महीने की बचे हैं
बोर्ड परीक्षा इस मर्तबा जल्दी ही आयोजित होने वाली है। फरवरी में बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित होनी है। स्कूल शिक्षा विभाग के पास दो महीने ही शेष रह गए हैं। ऐसे में स्कूलों में ठप पठन पाठन ने प्राचार्यों की टेंशन बढ़ा दी है। यदि शिक्षकों ने पढ़ाने की रफ्तार नहीं पकड़ी तो रिजल्ट खराब होना तो तय है लेकिन छात्रों का भविष्य भी खराब हो जाएगा।