शारदेय नवरात्रि: आज से होगी शुरुआत, हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

15 अक्टूबर रविवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस मर्तबा नवरात्रि 9 दिन की होगी। चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में नवरात्र का प्रारंभ होगा। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। सुबह 10.24 बजे के बाद घट स्थापना होगी। पूरा शहर भक्ति मय हो गया है। मां दुर्गा की स्थापना के लिए पंडाल सज गए हैं। पूरा शहर सजाया गया है। रंग बिरंगी लाइटों से शहर की सड़कें जगमग हो रही हैं।

शारदेय नवरात्रि: आज से होगी शुरुआत, हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

रीवा। इस वर्ष अश्विन अथवा शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाली है, जो इस बार पूरे 9 दिन की रहेगी। इस वर्ष देवी का आगमन हाथी पर सवार होकर हो रहा है, जो देवी भक्तों के लिए शुभ संकेत है। रविवार से प्रारंभ होने वाली नवरात्रि 23 अक्टूबर को महानवमीं के साथ संपन्न होगी एवं 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर्व के दिन नवरात्रि का विसर्जन किया जाएगा। नवरात्रि व्रत की पारणा महानवमीं रहते हुए कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात की जानी चाहिए। दशमीं तिथि को व्रत की पारणा नहीं करनी चाहिए, केवल विसर्जन करना चाहिए। नवरात्रि के उल्लास को लेकर शहर से लेकर गांव, कस्बों तक पंडाल सजने लगने लगे हंै। बाजारों की रौनक भी बढ़ गई है। जिले के प्रमुख देवी मंदिरों को सजा दिया गया है, जहां रविवार को बैठकी के दिन से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमडऩे वाली है। इस लिहाज से जिला प्रशासन द्वारा प्रमुख देवी स्थलों में सुरक्षा के इंतजाम भी किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि तिथि क्षय अथवा तिथि में वृद्धि होने से नवरात्रि कभी-कभी 8 दिन या 10 दिन की हो जाती है। शास्त्रों में 10 दिन की नवरात्रि को शुभ माना जाता है परंतु यदि नवरात्रि पूरे 9 दिनों की होती है तो इससे शुभ अवसर देवी साधकों के लिए अन्य कोई दूसरा नहीं होता। आश्विन महीने के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमीं तक देवी के नौ रूपों की उपासना की जाएगी। प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही देवी के नवरात्र पूजन और अनुष्ठान शुरू होंगे।
अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना
- वैधृति योग बीतने के पश्चात अर्थात प्रात: 10.25 मिनट के बाद चित्रा नक्षत्र का प्रथम चरण छोड़कर अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करनी चाहिए।
- रीवा एवं उसके आसपास के नगरों का अभिजीत मुहूर्त का समय प्रात:काल 11.30 से लेकर 12.15 बजे तक व्याप्त रहेगा। अर्थात इस वर्ष घट स्थापना के लिए केवल 45 मिनट का समय शास्त्रों के अनुसार मान्य होगा।
- 15 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि मध्यान्ह 12.32 बजे तक रहेगी।
- चित्रा नक्षत्र सायंकाल 6.13 बजे तक रहेगा।
वैधृति योग प्रात: 10.25 बजे  तक,  जिसमें घट स्थापना पूर्णत: वर्जित।
वैधृति योग में न करें घट स्थापना
वैधृति योग प्रात: 10.25 बजे तक रहेगा, जिसमें घट स्थापना नहीं करना चाहिए। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार वैधृति योग में घट स्थापना पुत्र नाश करती है तो चित्रा नक्षत्र की घट स्थापना संपत्ति एवं धन का नाश करती है, ऐसी धर्म सिंधु की मान्यताएं हैं। ज्योतिर्विद राजेश साहनी ने बताया कि इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त में भी घट स्थापना न करें क्योंकि सूर्योदय के पश्चात ही प्रतिपदा तिथि का मान्य होगा। सूर्योदय के पूर्व प्रतिपदा तिथि अमावस्या से युक्त होगी और अमावस्या से युक्त प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना का शास्त्रों में निषेध किया गया है।
शारदीय नवरात्रि की महत्वपूर्ण तिथि
- 15 अक्टूबर-प्रतिपदा- पहला दिन, घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी।
- 16 अक्टूबर-द्वितीया- दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।
- 17 अक्टूबर-तृतीया- तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
- 18 अक्टूबर-चतुर्थी- चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी।
- 19 अक्टूबर-पंचमी- पांचवां दिन- इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है।
- 20 अक्टूबर-षष्ठी- छठवां दिन- इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है।
- 21 अक्टूबर-सप्तमी- सातवां दिन- इस दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना की जाती है।
- 22 अक्टूबर-अष्टमी- आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी, नवमी पूजन। इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है।
- 23 अक्टूबर-नवमीं- नौवां दिन- माँ सिद्धिदात्री का पूजन एवं हवन, नवरात्रि पारण।
- 24 अक्टूबर-दशमीं- जिन लोगों ने माता दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की होगी, वे विधि विधान से माता का विसर्जन करेंगे। इस दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाएगा।
प्रतिमा स्थापना में दिशा का रखें ध्यान
घट स्थापना करने के पश्चात देवी का आह्वान  एवं विभिन्न उपचारों से उनका पूजन किया जाता है। यदि मंत्र उच्चारण द्वारा आह्वान की सामथ्र्य ना हो तो सर्वप्रथम गृह स्थान में विराजित देवी प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़कर उनसे मूर्ति में विराजमान होने की प्रार्थना की जाती है, जिसे आह्वान कहते हैं। देवी की प्रतिमा को उत्तर की तरफ देखते हुए ना रखें, क्योंकि देवी का मुंह उत्तर दिशा में होगा तो साधक का मुख दक्षिण दिशा में हो जाएगा। दक्षिण की तरफ मुख वाली दुर्गा की प्रतिमा शुभ पूरब और पश्चिम दिशा की ओर मुख वाली देवी प्रतिमा विजय प्रदान करने वाली तथा उत्तर मुख वाली देवी प्रतिमा अशुभ मानी गई है। पंच तत्वों के प्रतीक हैं -गन्ध, पुष्प, दीप,धूप और नैवेद्य। सर्वप्रथम देवी प्रतिमा को आसन समर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात गंगाजल, दूध, दही, मधु एवं घी द्वारा स्नान कराने के पश्चात उबटन आदि अर्पित करना चाहिए। देवी को नवीन वस्त्र धारण, श्रृंगार सामग्री, फल, फूल, पुष्प, चुनरी आदि अर्पित करते हुए उनकी प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। प्रार्थना करनी चाहिए की हमारे पूजन स्थल में आद्या शक्ति अपनी समस्त शक्तियों के साथ संपूर्ण 9 दिनों के लिए विराजमान हो।

नवरात्रि को लेकर पुलिस थानों में हुई शांति समिति की बैठक
रविवार से शारदेय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। जगह-जगह घट स्थापना के साथ ही देवी प्रतिमा विराजी जायेंगी। नवरात्रि पर किसी तरह की समस्या न हो इसके लिये जिले के तमाम पुलिस थानों में शनिवार को शांति समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिक व देवी पंडाल समिति के लोग मौजूद थे। इस दौरान आचार संहिता का पालन करते हुये त्यौहार मनाने पर जोर दिया गया। इसके अलावा दुर्गा पंडाल व्यवस्थित तरीके से स्थापित किये जाने, डीजे आदि की ध्वनि संयमित रखने, देर रात तक वाद्य यंत्र न बजाये जाने, सड़क पर पंडाल न सजाने पर भी चर्चा की गई है। वहीं पुलिस अधिकारियों ने त्यौहार के दौरान शांति भंग करने वालों के संबंध में पुलिस को सूचित करने को भी कहा है।


सीएसपी ने लिया मेला क्षेत्र का जायजा
इधर नगर पुलिस अधीक्षक शिवाली चतुर्वेदी ने मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया और उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। बता दें कि शहर के रानी तालाब व फूलमति माता मंदिर समान में नवरात्रि पर भक्तों की काफी भीड़ उमड़ति है। ऐसे में यहां पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। पुलिस बल की ड्यूटी लगाई गई है। रानी तालाब में सीसीटीव्ही कैमरे भी लगाये गये हैं। जिससे नजर रखी जा सकें। उक्त सभी व्यवस्थाओं का सीएसपी ने शनिवार को जायजा लिया है।