सोनिया गांधी कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष चुनी गईं, राहुल गांधी का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रस्तावित
लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। भाजपा बहुमत से चूक गई और एनडीए के साथ सरकार बना रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने संसदीय दल और नेता प्रतिपक्ष चुनने का काम शुरू कर दिया है। संसदीय दल की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का नाम फाइनल कर लिया गया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया गया है।
नई दिल्ली। सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का अध्यक्ष चुन लिया गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने संसद के सेंट्रल हॉल में पार्टी नेताओं की बैठक में सोनिया के नाम का प्रस्ताव रखा। गौरव गोगोई और तारिक अनवर ने इसका समर्थन किया। इससे पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। इसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी बैठक में यह संकेत भी मिला है कि राहुल वायनाड सीट छोड़कर रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे। कांग्रेस महिला मोर्चा की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में केजरीवाल समेत बड़े नेताओं के जेल में होने और स्वाति मालीवाल से मारपीट की वजह से कांग्रेस पार्टी को गठबंधन से नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पंजाब में हमने आप के साथ गठबंधन नहीं किया, इसका हमें सीधा फायदा हुआ है। सीडब्ल्यूसी की मीटिंग दिल्ली के अशोका होटल में करीब 3 घंटे चली।
10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है
लोकसभा में पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें और 2019 में 52 सीटें मिली थीं। भाजपा के बाद सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिली थीं। फिर भी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नहीं मिली थी। दरअसल नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए किसी भी पार्टी के पास लोकसभा की कुल सीटों का 10 प्रतिशत सीटें होना चाहिए। यानी 543 सीटों में से कांग्रेस को इसके लिए 54 सांसदों की जरूरत होती है। कांग्रेस ने इस बार अपने दम पर 99 सीटें हासिल की हैं। 2014 में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी उस वक्त पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने से इंकार कर दिया था। पिछली लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा, लेकिन तब भी 54 सीटें नहीं हुईं। अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेता बनाए गए, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तब भी कोई नहीं हो सका।
अखिलेश अब दिल्ली की राजनीति करेंगे
कन्नौज से सांसद का चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने अपनी विधानसभा करहल को छोडऩे का निर्णय लिया है। इसकी घोषणा उन्होंने सांसदों से मीटिंग के बाद शनिवार को लखनऊ में की। यानी अब अखिलेश दिल्ली की राजनीति करेंगे। अखिलेश ने 2022 में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जीत के बाद आजमगढ़ के सांसद पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आजमगढ़ में उपचुनाव हुए, उसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। अखिलेश ने सपा के सभी जीते हुए सांसदों को शनिवार को लखनऊ बुलाया। इसमें अखिलेश समेत 37 सांसद शामिल हुए। मीटिंग में उन्होंने विधानसभा सीट छोडऩे का ऐलान किया। अखिलेश ने कहा- पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की रणनीति की जीत होने से देश में नकारात्मक राजनीति खत्म हो गई। अब समाजवादियों की जिम्मेदारी बढ़ गई। जनता के मुद्दों को उठाएं, क्योंकि जनता के मुद्दों की जीत हुई है।