डिप्टी सीएम के शहर का अजब हाल, नर्स ने ड्यूटी से बचने लगाया मंत्रालय से जुगाड़, पहुंचा फोन
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की एक नर्स ने अपनी नाइट शिफ्ट ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए भोपाल मंत्रालय तक की शिफारिस लगा डाली। उप संचालक ने मौखिक रूप से ड्यूटी बदलने का आदेश जारी कर दिया। अधीक्षक ने भी मौखिक आदेश पर ड्यूटी बदलने का आदेश जारी कर दिया। इस पत्राचार से नर्सिंग स्टाफ में विरोध भी शुरू हो गया है।
नर्सिंग आफीसर की रात में लगी थी ड्यूटी, उप संचालक ने अधीक्षक को किया फोन
रीवा। संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ रात में ड्यूटी ही नहीं करना चाहते। यही वजह है कि दिन में ही अधिकांश नर्सों की ड्यूटी लगा दी जाती है। रात में नर्सों का टोटा पड़ जाता है। जहां दिन में एक दर्जन नर्सें तैनात रहती है।वहीं रात में सिर्फ एक या दो के भरोसे सभी वार्ड चलते हैं। कई मर्तबा डीन और अधीक्षक के सामने भी इस तरह की शिकायतें और तकलीफ नर्सें बयां कर चुकी हैं। हालांकि इससे राहत नहीं मिल पाई है। इसके पीछे वजह नर्सों की पहुंच और सिफारिश है। नेताओं, अधिकारियेंा से पहुंच बनाकर नाइट शिफ्ट से नर्सें बच जाती हैं। ऐसा ही ताजा मामला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का सामने आया है। यहां पदस्थ नर्सिंग आफीसर कविता त्रिपाठी के लिए भोपाल से स्पेशली उप सचिव चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय से अधीक्षक के पास फोन पहुंचा। वंदना त्रिपाठी की नाइट ड्यूटी बदलने का निर्देश दिया गया। अधीक्षक ने भी भोपाल से आदेश मिलने पर तुरंत ही आदेश भी जारी कर दिया। प्रभारी अधिकारी नर्सिंग को पत्र लिखकर कविता त्रिपाठी को नाइट ड्यूटी से हटाने के लिए कहा गया है। अधीक्षक का यह पत्र तेजी से वायरल हो रहा है। कविता त्रिपाठी किसी तरह से शारीरिक रूप से असक्षम या बीमार भी नहीं है। फिर भी वह नाइट ड्यूटी से बचना चाह रही हैं। ऐसे में इस आदेश के बाद नर्सिंग स्टाफ में भी इसका विरोध शुरू हो गया है। सुपर स्पेशलिटी और संजय गांधी अस्पताल में और भी कई ऐसी नर्सिंग आफीसर हैं जो कभी नाइट शिफ्ट करती ही नहीं है। ब्लड बैंक में भी तीन टेक्नीकल स्टाफ की पदस्थापना नाइट शिफ्ट के लिए हुई थी लेकिन अब वह नाइट शिफ्ट कभी करती ही नहीं है। रेग्युलर मार्निंग शिफ्ट में सेवाएं दे रही हैं। इसी तरह का हाल और भी विभागों में है।