दागी चला रहे डीईओ कार्यालय, ट्रैप और विवादित अधिकारी, कर्मचारी तय कर रहे शिक्षकों की पदस्थापना

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दागियों की भरमार है। लोकायुक्त में ट्रैप हुए लिपिक को उच्च पद प्रभार के काउंसलिंग में जिम्मेदारी दी गई है। वहीं एक प्राचार्य पर विभागीय जांच बैठी थी। उन्हें भी डीईओ ने खास तवज्जो दी। अब डीईओ की पसंद ही पूरे सिस्टम और प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जब दागी ही काउंसलिंग करा रहे हैं तो इसमें पारदर्शिता का सवाल ही नहीं उठता।

दागी चला रहे डीईओ कार्यालय, ट्रैप और विवादित अधिकारी, कर्मचारी तय कर रहे शिक्षकों की पदस्थापना
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जिला शिक्षा अधिकारी ने टीम बनाई उसमें रिश्वत लेते पकड़े गए लिपिक को दे दी अहम जिम्मेदारी
एसके स्कूल के प्राचार्य ने की थी महिला शिक्षक से अभद्र टिप्पणी, विभागीय जांच बैठी उन्हें भी टीम में शामिल किया
रीवा। ज्ञात हो कि इस समय स्कूल शिक्षा विभाग में रिक्त पदों को भरने की कवायद चल रही है। इसी के तहत उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग आयोजित की गई। इसके बाद अब अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग चल रही है। इन प्रक्रियाओं में ऐसे दागियों को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं जो कई मामलों में हाथ काले कर चुके हैं। एक लिपिक को लोकायुक्त ने भी रिश्वत लेते पकड़ा था। इन्हें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। रिश्वत लेने के बाद इस लिपिक को डीईओ कार्यालय से हटाना था लेकिन डीईओ ऐसा नहीं कर पाए। अब पूरी प्रक्रिया में इस दागी लिपिक को खास जिम्मेदारी सौंपी गई है। उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग में भी शामिल किया गया है। इसी तरह रीवा जिला और शहर में कई प्राचार्य भी हैं लेकिन एसके स्कूल के प्राचार्य के साथ ही डीईओ ने दोस्ती निभाई। उन्हें भी काउंसलिंग की समिति में शामिल कर लिया गया। इन्हें हालांकि विभागीय जांच में भी डीईओ ने बचाया था। जांच प्रतिवेदन में क्लीन चिट दे दी थी। अब इन्हें कार्यालय में आयोजित काउंसङ्क्षलग में भी शामिल किया गया है।
महिला से अभद्रता मामले में फंस चुके हंै प्राचार्य
इसी तरह एसके स्कूल के प्राचार्य मिथिलेश गहरवार को भी उच्च पद प्रभार वाली काउंसलिंग में शामिल किया गया। इन पर भी महिला शिक्षक पर अभद्र टिप्पणी किए जाने का आरोप लगा था। इनके खिलाफ विभागीय जांच तक बैठाई गई थी। हालांकि डीईओ ने महिला शिक्षक के मान सम्मान को तवज्जो नहंी दी और दागी प्राचार्य का ही साथ निभाया। जांच प्रतिवेदन में मिथिलेश गहरवार को क्लीनचिट दे दी थी। हालांकि जब व्यक्तिगत सुनवाई हुई तो महिला शिक्षक ने भोपाल में खुद ही सबूत अधिकारियों के सामने रख दिए थे।
डीईओ का चहेता बना है रिश्वत लेते पकड़ा गया लिपिक
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लोकायुक्त के हाथों ट्रैप हुआ लिपिक अब भी डटा हुआ है। जिला शिक्षा अधिकारी का खास और मनपसंद कर्मचारी बना हुआ है। लिपिक विजय शर्मा को डीईओ ने फिर से कार्यालय बुला लिया है। यहीं पर 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते धराया था। अब उसे ही उच्च पद प्रभार वाली काउंसलिंग भी शामिल कर लिया गया था। सूत्रों की मानें तो इस कमेटी में दागियों को ही शामिल किया गया था। इसके कारण उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग में भी पारदर्शिता नहीं रह गई थी।
उच्च पद प्रभार संबंधी काउंसलिंग कमेटी में दागियों की भरमार
 जिला शिक्षा अधिकारी ने उच्च पद प्रभार की काउंसलिंग के लिए एक कमेटी बनाई थी। इसमें दागियों और शिक्षकों की ही भरमार रही। योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा की अध्यक्षता में प्राचार्य एसके स्कूल मिथिलेश सिंह गहरवार, और गुढ़ के शिक्षक प्रभानंद पटेल को काउंसलिंग समिति में रखा गया। इसी तरह अभिलेख परीक्षण और डाटा सत्यापन के लिए चरैया प्राचार्य शैलेन्द्र मिश्र, विधि अधिकारी डॉ रामकृष्ण तिवारी, हर्दी शंकर स्कूल प्राचार्य देवराज सिंह, कचूर प्राचार्य बीके पटेल, तमरा स्कूल प्राचार्य एसएन मिश्रा, संगीता त्रिपाठी, गंगा नगर सहायक शिक्षक राममणि मिश्रा, खैरा स्कूल के सहायक शिक्षक अविनाश कुमार गौतम, निपनिया स्कूल के सहायक शिक्षक पवन पाण्डेय, रहट विद्यालय से सहायक शिक्षक जितेन्द्र चतुर्वेदी, सिरमौर मझिगवां के सहायक शिक्षक राजेश गौतम को रखा गया था। इसी तरह अभिलेख संधारण एवं फीडिंग में विनय कुमार श्रीवास्तव, सहायक ग्रेड 3, संजीव वर्मा सहायक ग्रेड 3, विजय शर्मा सहायक ग्रेड 3, कम्प्यूटर आपरेटर प्रदीप कुमार नामदेव, विष्णू पाल पाण्डेय को रखा गया था।