मप्र में शिक्षक भर्ती घोटाला: इस मर्तबा बहरा बनकर बन गए शिक्षक, इतनों पर हुई एफआईआर

मप्र में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस मर्तबा फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर जलसाज शिक्षक बन गए हैं। ऐसे 66 शिक्षकों पर एफआईआर ग्वालियर के मुरार थाना में दर्ज किया गया है।

मप्र में शिक्षक भर्ती घोटाला: इस मर्तबा बहरा बनकर बन गए शिक्षक, इतनों पर हुई एफआईआर
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66 शिक्षक फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट वाले निकले

ग्वालियर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में एक और भर्ती घोटाला सामने आया है। यह घोटाला शिक्षा विभाग में हुआ है। शिक्षकों की भर्ती में बुंदेलखंड और चंबल के आवेदकों ने जालसाजी की है। जिन शिक्षकों की कुछ महीने पहले नियुक्तियां हुई हैं। उनमें बड़े पैमाने पर दिव्यांग शिक्षक शामिल थे। इसकी शिकायत हुई तो जांच बैठ गई। शिक्षा विभाग ने सीएमएचओ ग्वालियर से सभी दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच कराई। जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने जांच की और प्रतिवेदन सौंपा तो 66 शिक्षक फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट वाले निकले। सीएमएचओ ग्वालियर ने कहा कि 184 दिव्यांग सर्टिफिकेट की सूची उन्हें सौंपी गई थी। इनमें से 66 दिव्यांग सर्टिफिकेट उनके कार्यालय से जारी ही नहीं किये गए। सभी फर्जी हैं। सीएमएचओ की जांच रिपोर्ट के बाद शिक्षा विभाग ने पुलिस में आवेदन दिया।  66 शिक्षकों के खिलाफ ग्वालियर के मुरार थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई।
सबसे ज्यादा बहरा बन कर हथियाई नौकरी
शिक्षा विभाग में हुए भर्ती फर्जीवाड़े में मजे की बात यह है कि जिन लोगों ने दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाया है। उनमें से अधिकांश बहरे बने हैं। 50 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे प्रमाणपत्र सामने आया है। इन सभी के सर्टिफिकेट पर लिखा था कम सुनाई देता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस दिव्यांगता का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है इसलिए यह कम पकड़ में आते हैं।
2018 में हुई थी शिक्षक भर्ती परीक्षा
जिस फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर बवाल मचा हुआ है। यह भर्ती परीक्षा वर्ष 2018 में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में 184 अभ्यर्थियों की नियुक्ति दिव्यांग कोटे से ग्वालियर चंबल अंचल से हुई। इसी पर बवाल मच गया। मुरैना के एक दो फर्जी सर्टिफिकेट के मामले सामने आये तो शिकायत हुई। लोक शिक्षण संचालनालय ने ग्वालियर चंबल संभाग से दिव्यांग कोटे से चयनित सभी 184 शिक्षकों के दिव्यांग सर्फिकेट की जांच का फैसला लिया। जानकारी ग्वालियर भेजी गई और जांच के निर्देश हुए। सीएमएचओ ग्वालियर ने दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच की। 184 में 66 फर्जी निकले। शिक्षा विभाग मुरार ऑफिस से कनिष्ठ लेखा परीक्षक प्रदीप वाजपेई ने एक लिखित आवेदन ग्वालियर के मुरार थाने में पिछले महीने आवेदन दिया। इसी आवेदन पर सभी के खिलाफ एफआईआर हुई।