हाईकोर्ट ने कलेक्टर रीवा को लगाई फटकार, 25 हजार का जुर्माना भी लगाया, भूमि अधिग्रहण निरस्त किया

भूमि अधिग्रहण के एक मामले में हाईकोर्ट ने रीवा कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कलेक्टर को हाईकोर्ट में तलब होने के निर्देश दिए थे।कलेक्टर पति की बीमारी का हवाला देकर कोर्ट में तलब नहीं हुई। इस पर कोर्ट ने पति की जो बीमारी बताई थी उसे गंभीर नहीं माना और 7 जनवरी को 4 बजे तक कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिए। कोर्ट के निर्देश पर रीवा कलेक्टर हाईकोर्ट में जज के सामने हाजिर हुईं। कलेक्टर को जज ने सुनवाई के दौरान डांट लगाई। उन्होंने कलेक्टर प्रतिभा पाल को कहा कि आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया गया है कि आप लोगों को प्रताडि़त करें। आपको कलेक्टर बनाया गया है कि आप उनका अधिकार प्रदान करें। इसके बाद अलगे दिन 8 जनवरी को 2.30 बजे सुनवाई की तिथि तय की गई। कलेक्टर को भी उपस्थित रहने के निर्देश दिए। कोर्ट ने किसान के पक्ष में फैसला सुनवाया और जमीन अधिग्रहण का आदेश रद्द कर दिया। साथ ही 25 हजार की कास्ट भी लगाई है।

हाईकोर्ट ने कलेक्टर रीवा को लगाई फटकार, 25 हजार का जुर्माना भी लगाया, भूमि अधिग्रहण निरस्त किया
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32 साल पुराने भूमि अधिग्रहण का था मामला, 10 साल से कोर्ट में चल रहा था प्रकरण
6 जनवरी को कोर्ट ने कलेक्टर रीवा को तलब किया था
रीवा। मिली जानकारी के अनुसार यह पूरा मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है। एमपी हाउसिंग बोर्ड ने पडऱा में राजेश कुमार तिवारी की भूमि का अधिग्रहण किया था। कालोनी बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 1993 में हाउसिंग बोर्ड ने एक घोषणा की थी कि वह राजेश तिवारी की जमीन को एक कालोनी बनाने के लिए अधिग्रहित कर रहा है लेकिन इसकी जानकारी किसी ने भूमि स्वामी को नहीं दी। भूमि अधिग्रहण में याचिकाकर्ता की भूमि तो ली गई लेकिन मुआवजा राशि नहीं दी गई थी। इसी के खिलाफ भूमि स्वामी हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 6 जनवरी को कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल को उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर खुद कोर्ट नहीं पहुंची और अपने जूनियर को भेज दिया। इस पर जज भड़क गए।उन्होंने जूनियर अधिकारी को फटकार लगाई और चार घंटे के अंदर रीवा कलेक्टर को तलब होने के निर्देश दिए। कोर्ट के आदेश पर रीवा कलेक्टर कोर्ट में न्यायाधीश विवेक अग्रवाल के सामने हाजिर हुईं। न्यायाधीश ने भूमि अधिग्रहण और मुआवजा राशि नहीं देने के मामले में कलेक्टर पर नाराज हो गए। उन्हें फटकार भी लगाई। कोर्ट ने रीवा कलेक्टर पर 25 हजार रुपए की कास्ट भी लगाई है।  इतना ही नहीं भूमि अधिग्रहण का आदेश भी निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है।
वर्ष 2015 में जमीन का मामला पहुंचा था हाईकोर्ट
वर्ष 1993 में भूमि का अधिग्रहण किया गया था। हालांकि भूमि स्वामी ने जमीन खाली नहीं की थी। 22 साल बाद 2015 में हाउसिंग बोर्ड ने फिर एक नोटिस राजेश तिवारी को जमीन खाली करने के लिए दी थी। इस नोटिस के जवाब में राजेश तिवारी ने हाउसिंग बोर्ड को जवाब दिया था कि वह जमीन नहीं छोड़ेंगे क्यों उन्हें इस जमीन का कभी कोई मुआवजा नहीं दिया गया। इसके बाद हाउसिंग बोर्ड ने दूसरा नोटिस जारी किया। इसमें 7 दिन के अंदर जमीन खाली करने की बात कही गई। इसके बाद राजेश तिवारी ने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वर्ष 2015 से 2023 तक यह मुकदमा चलता रहा। कोर्ट में हाउसिंग बोर्ड ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया था। राजस्व विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया था। भूमि अधिग्रहण का काम राजस्व विभाग करता है। राजस्व विभाग ने भूमि अधिग्रहण के मामले में क्या कार्रवाई की और कितना मुआवजा दिया। इसकी जानकारी कोर्ट ने मांगी थी। इस मामले में कलेक्टर को तलब किया गया था।
कोर्ट ने कहा नए नियम के तहत करें भूमि अधिग्रहण
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसान जहां है वहीं रहेगा। भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर दिया गया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि शासन किसान की भूमि अधिग्रहण करना चाहता है तो नए नियम के तहत फिर से अवार्ड पारित करे। वर्तमान दर के हिसाब से किसान को भूमि का मुआवजा देकर भूमि अधिग्रहण कर सकता है।