मेडिकल कॉलेज का अकादमिक भवन हुआ पानी पानी, डब्लूएचओ का रीजन आफिस लबालब हुआ

एक दिन की बारिश में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज का अकादमिक भवन पानी पानी हो गया। इस भवन में संचालित डब्लूएचओ का रीजनल कार्यालय पानी से तरबतर हो गया। कोई भी ऐसा कोना नहीं बचा जहां पानी छत से नहीं टपक रहा था। छत का पानी पूरे सीढिय़ों से कालेज के ग्राउंड लेबल तक पहुंच रहा था। कर्मचारी सिर्फ कार्यालय के उपकरण और कम्प्यूटर को बचाने में लग रहे।

मेडिकल कॉलेज का अकादमिक भवन हुआ पानी पानी, डब्लूएचओ का रीजन आफिस लबालब हुआ

रातभर भर हुई बारिश से छत से लग गई पानी की छड़ी
कम्प्यूटर और दस्तावेज हुए प्रभावित, पन्नी से ढककर बचाने में जुटे रहे
रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के नए भवन की बात करें या फिर पुराने अकादमिक भवन की दोनों जगह सीपेज और लीकेज की समस्या है। छत से बारिश का पानी भवन के अंदर भर रहा है। सोमवार को रातभर पानी गिरा। इसके कारण श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में संचालित डब्लूएचओ का रीजनल कार्यालय बुरी तरह से प्रभावित हो गया। यह कार्यालय टॉप फ्लोर पर है। इस फ्लोर की छत इतनी खराब थी कि छत से पानी की धार बह रही थी। पानी छत होने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। हर जगह से पानी टपक रहा था। कार्यालय के अंदर और बाहर का नजारा एक जैसा था। रात में बारिश के कारण कार्यालय में रखा अधिकांश समान भींग गया था। दूसरे दिन जब कार्यालय अधिकारी, कर्मचारी पहुंचे तो कार्यालय की हालत देखकर उनके होश हुड़ गए।

सारे इलेक्ट्रानिक इक्यूपमेंट भी प्रभावित हो रहे थे। तुरंत सभी उपकरण, दस्तावेजों को पन्नी से ढकने की कोशिश की गई। पूरे कार्यालय को कवर किया गया। फिर भी पानी के रिसाव को रोक नहीं पाए। दीवारों पर सीपेज बना हुआ है। पानी की धार सिर्फ कार्यालय तक ही सीमित नहीं थी। कार्यालय में इतना पानी भर गया था कि वह सीढिय़ों के रास्ते मेडिकल कॉलेज के ग्राउंड लेबल तक पहुंच रहा था। बारिश का दौर थमने के बाद हालांकि स्टाफ को राहत मिली वर्ना स्थितियां और भी बुरी होती। हद तो यह है कि यह हालात तब हैं जब छत के मरम्मत पर मेडिकल कॉलेज ने कुछ साल पहले लाखों रुपए खर्च किए हैं। मेडिकल कॉलेज की छत पहले भी टपक रही थी। हर कमरे में पानी भर रहा था। इसके रोकने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सीमेंट कोटेट परत बिछवाई थी। अब वह पूरी तरह से उधड़ चुकी है। लाखों रुपए बेकार चले गए। अब हालात पहले जैसे हो गए हैं। इस घटिया काम का खामियाजा अब कॉलेज स्टाफ और प्रबंधन को उठाना पड़ रहा है।