जेडी लोक शिक्षण का गजब हाल, निलंबन आदेश में कर दी बड़ी गड़बड़ी, भविष्य में जाकर लगा दिए फोन....

जेडी लोक शिक्षण संचालनालय रीवा का अजब गजब हाल है। यहां एक ऐसा निलंबन आदेश जारी कर दिया गया जिसमें वह खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं। जेडी ने एक लिपिक को 15 नवंबर को निलंबित करने का आदेश जारी किया है। जबकि निलंबन पत्र में 16 नवंबर को फोन पर संपर्क नहीं होने का जिक्र कर रहे हैं। इसी आधार पर निलंबित भी किया गया। ऐसे में उनकी यह कार्रवाई कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है।

जेडी लोक शिक्षण का गजब हाल, निलंबन आदेश में कर दी बड़ी गड़बड़ी, भविष्य में जाकर लगा दिए फोन....

सतना में पदस्थ लिपिक को जेडी ने किया निलंबित
रीवा। 15 नवंबर 2024 को जेडी लोक शिक्षण ने सतना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ लिपिक विजेन्द्र सिंह सहायक ग्रेड 3 स्थापना 3 अ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि लोक शिक्षण संचालनालय मप्र भोपाल के आदेश क्र/ई-3/अति/ 3093/ भोपाल दिनांक 4 अक्टूबर 2024 एवं परिपत्र दिनांक 10 अक्टूबर 2024 के द्वारा चिन्हित अतिशेष शिक्षकों को उनकी दावा आपत्तियों के आधार पर अवसर प्रदान करते हुए अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। अतिशेष शिक्षकों के द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन का तथ्यात्मक परीक्षण और निराकरण कर बोलता हुआ आदेश करना था। इसके लिए संभाग स्तर पर समिति गठित थी। समिति के समक्ष सभी दस्तावेजों के साथ अभ्यावेदनों के निराकरण के लिए नस्तियां प्रस्तुत की जानी थी। लिपिक ने नस्तियां प्रस्तुत नहीं की। इसी आधार पर 23 अक्टूबर 2024 को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया था। जिसका जवाब 28 अक्टूबर को लिपिक ने प्रस्तुत किया। जेडी के आदेश में यही पर गड़बड़ी नजर आती है। जेडी ने पत्र में जिक्र किया है कि 15 नवंबर को जेडी कार्यालय से लिपिक से संपर्क किया गया था। 16 अक्टूबर को कार्यालय में उपस्थिति के निर्देश दिए गए थे। फिर 16 नवंबर को 7049762647 पर सपंर्क किया गया। मोबाइल बंद पाया गया। इसके कारण नस्तियों के निराकरण में बाधा उत्पन्न हुई। समय सीमा में स्वीकिंग आदेश जारी नहीं किए जाने का आदेश में जेडी ने हवाला दिया है। यह सब कुछ हालांकि जेडी लोक शिक्षण ने 15 नवंबर को जारी आदेश में कहा है। ऐसे में एक दिन बाद 16 नवंबर को जेडी कार्यालय से भविष्य में जाकर लिपिक से किसने संपर्क किया, यह समझ से परे है। कुल मिलाकर लिपिक के निलंबन पर ही सवाल खड़े हो रहें हैं। कहीं यह जानबूझ कर कार्रवाई तो नहीं की गई।