बाद में महंगी न हो जाए जमीन इसलिए एयर पोर्ट के लिए इतनी और जमीन अधिग्रहित करेगी सरकार, भेजा गया प्रस्ताव
चोरहटा हवाई अड्डा बन कर तैयार हो चुका है। 1400 मीटर रवने बन गया है। अब इसका शुभारंभ होना बांकी है। फिलहाल 200 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। अभी सरकार और जमीन अधिग्रहण करेगी। बाद में जमीन महंगी न हो जाए इसलिए अभी जमीन जुटाने की योजना तैयार की जा रही है। 150 एकड़ और अधिग्रहित की जाएगी।
इसलिए नहीं बढ़ाई गई जमीन की कीमतें
दो हिस्सो में पार्ट ए, बी बनाकर भेजा गया प्रस्ताव
रीवा। ज्ञात हो कि चोरहटा हवाई पट्टी का विस्तार किया गया है। चोरहटा हवाई पट्टी को इंडियन एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 99 साल की ली पर ले लिया है। इसके विस्तार काम भी एयरपोर्ट अथॉरिटी कर रही है। करीब 200 एकड़ से अधिक की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। रीवा चोरहटा हवाई अड्डा बन कर लगभग तैयार हो चुका है। यहां 1400 मीटर लंबा रनवे बनाया गया है। इसका ट्रायल डिप्टी सीएम कर चुके हैं। चुनाव के बाद यहां से उड़ान भी भरनी शुरू हो जाएंगी। वर्तमान समय में रीवा के हिसाब से यहां पर्याप्त जमीन अधिग्रहित कर ली गई हैं लेकिन शासन भविष्य की संभावनाओं को भी देख कर चल रहा है। बाद में यदि चोरहटा हवाई अड्डा का और विस्तार किया गया तो जमीन मिलनी मुश्किल हो जाएगी। इतना ही नहीं जमीन के अधिग्रहण के लिए भी अधिक कीमत चुकानी होगी। यही वजह है कि अभी से इसके विस्तार के लिए जमीनें जुटाने की योजना तैयार की गई है। शासन ने जिला प्रशासन से दो हिस्सों में जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव मांगा है। शासन को प्रस्ताव भेजा भी जा चुका है। करीब 150 एकड़ भूमि का प्रस्ताव भेेजा गया है। इसके अधिग्रहण में कितना मुआवजा का खर्च आएगा। इसका भी आंकलन किया गया है। चुनाव के कारण मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। आचार संहिता खत्म होने के बाद जमीनों का अधिग्रहण भी शुरू हो जाएगा।
सतना और रीवा के गांव की जमीनें होंगी अधिग्रहित
सूत्रों की मानें तो 150 एकड़ और अधिक जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। चोरहटा हवाई अड्डा के लिए फिलहाल चोरहटा, चोरहटी, अगडाल, उमरी और सतना के कुछ गांव इस दायरे में आ रहे हैं। इन सभी गांव की जमीनों पर शासन की नजर है। इन्हें भी लेकर एयर पोर्ट अथॉरिटी अपने पास रखेगी। बाद में विस्तार के दौरान इन जमीनों का उपयोग किया जाएगा।
इसलिए जमीनों के दाम भी नहीं बढ़ाए गए
सूत्रों की मानें तो शासन को अभी किसानों की और जमीनें चाहिए। यही वजह है कि जमीनों की मूल्य वृद्धि का प्रस्ताव ही पंजीयन विभाग ने शासन को नहीं भेजा था। चार गांवों को जिला मूल्यांकन समिति की बैठक से दूर रखा गया था। पिछले 8 सालों से इन गांवों की जमीनों का दाम नहीं बढ़ा। इससे किसानों को सबसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं भूमाफिया फल फूल रहे हैं। भूमाफियाओं ने सस्ते दर पर जमीनें ली और करोड़ों कमाए। वहीं किसान अपनी जमीन गवांने के बाद लाखों रुपए का मुआवजा पाकर ही सिमट गए। किसानों का गुस्सा अब बढ़ता जा रहा है।
मुआवजा भी समय पर नहीं मिल रहा
किसानों की जमीनें एक तरफ ली जा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। वर्तमान समय में भी जमीन देने के बाद कई किसानों को मुआवजा नहंी मिल पाया है। बजट ही खत्म हो गया है। अब फिर से और जमीन लेने की तैयारी की जा रही है। शासन की इस अव्यवस्था के कारण किसानों के मन में डर बैठने लगा है।