हार्ट के मरीज ने मान लिया था कि वह नहीं बचेगा, मौत तय है, 4 साल से घर पर पड़ा था, तब सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टर बने भगवान
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल गरीबों को मौत के मुहाने से खींच कर नई जिंदगी दे रहा है। हार्ट की बीमारी से जूझ रहे 39 साल के युवक को डॉक्टर ने नई जिंदगी दी। चार साल से युवक घर पर पड़ा था। मजदूरी तक बंद थी। खाने के लाले पड़े थे। युवक ने अपनी मौत को स्वीकार कर लिया था। ऐसे में सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टर भगवान बन कर सामने आए। सीवीटीएस सर्जन ने आपरेशन कर जान बचा ली। अब युवक स्वस्थ्य है।

गरीबों के लिए वरदान बन गया अस्पताल, 15 से अधिक मरीजों को है ओपन हार्ट सर्जरी का इंतजार
डिप्टी सीएम ने खुद सम्हाल ली है कमान, सारी कमियां दूर कर रहे
रीवा। आपको बता दें कि कभी रीवा में दिल की बीमारी और उनका इलाज सपना था। अब यहां सब कुछ संभव है। यहां ओपन हार्ट सर्जरी तक संभव है। गरीबों के लिए रीवा का सुपर स्पेशलिटी वरदान बन गया है। यहां एंजियोप्लास्टी के कई सफल आपरेशन हुए लेकिन सबसे खर्चीला ओपन हार्ट आपरेशन भी गरीबों की जान बचा रहा है। पहले इस आपरेशन को करा पाना गरीबों के लिए रीवा में सपना ही था। यहां ऐसी कोई सुविधा ही नहीं थी। अब सब कुछ संभव है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सीवीटीएस विभाग की स्थापना और डॉक्टरों की पदस्थापना ने नए रास्ते खोल दिए हैं। ओपन हार्ट सर्जरी और खराब वाल्व बदलना संभव हो गया है। ऐसी ही बीमारी से सिरमौर क्षेत्र का 39 वर्षीय दिनेश साहू पिछले चार सालों से जूझ रहा था। वह चल फिर नहीं पाता था। सांस लेने में भी दिक्कतें हो रही थी। दिनेश पेशे से मजदूर हैे। मजदूरी करके ही वह भरण पोषण करता था। चार साल से मजदूरी बंद थी। इसके कारण उनकी घर की माली हालत खराब हो गई थी। ऐसे में उसने ठीक होने का सपना ही छोड़ दिया था। उसने मृत्यु को ही स्वीकार कर लिया था। दिनेश ने डॉक्टर को बताया कि उसके पास खाने तक की दिक्कतें थी। ऐसे में बाहर जाकर इलाज कराना संभव नहीं था। इसके बाद दिनेश ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंच कर सीवीटीएस सर्जन डॉ राकेश सोनी से मुलाकात की। डॉ राकेश सोनी ने मरीज की जांच की। आपरेशन के लिए इक्यूपमेंट जुटाए। एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट को भोपाल से बुलाया गया। इसके बाद आपरेशन किया गया। दिनश्ेा साहू का आपरेशन सफल रहा। इस आपरेशन ने सिर्फ दिनेश को ही नहीं उनके पूरे परिवार को ही नई उम्मीदें दे दी हैं। अब तक ऐसे कई आपरेशन हो चुके हैं, जो बाहर महंगा आपरेशन नहीं करा सकते थे। उन मरीजों को सुपर स्पेशलिटी में ही नहीं जिंदगी दी गई है।
15 से अधिक मरीज ओपन हार्ट आपेरशन की कतार में हैं
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में वैसे तो कई मरीज सीवीटीएस विभाग तक पहुंचते हैं। इनमें से कई बाहर इलाज कराने के लिए समक्ष होते हैं। ऐसे में अधिकांश प्रारंभिक उपचार के बाद बाहर का रुख कर जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी मरीज हैं जो बाहर इलाज कराने में असक्षम हैं। वह लगातार डॉक्टर के संपर्क में है। इनकी संख्या करीब 15 से अधिक है। इन्हें भी ओपन हार्ट आपरेशन की जरूरत हैं। इनके लिए वाल्व सहित आपरेशन में उपयोग होने वाले उपकरणों की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कार्डियक एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट से भी संपर्क साधा जा रहा है। इन मरीजों के दिल को भी फिर से धड़काने का काम किया जाएगा।
5 से 10 लाख तक आता है खर्च
ओपन हार्ट सर्जरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नि:शुल्क किया जाता है। जिनके पास आयुष्मान कार्ड हैं। उन्हें नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी जाती है। वहीं ओपन हार्ट सर्जरी यदि बाहर निजी अस्पताल में कराना पड़ा तो यह काफी महंगा पड़ता है। निजी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी में 5 से 10 लाख रुपए तक का खर्च आता है। ऐसे में गरीबों के लिए निजी अस्पताल में आपरेशन कराना काफी मुश्किल हो जाता है। सुपर स्पेशलिटी गरीबों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है।
डिप्टी सीएम ने सम्हाल लिया है मोर्चा
सीवीटीएस विभाग की सर्जरी में दिक्कतें आ रही थी। विभाग को उपकरण और कार्डियक एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट नहीं मिल पाते थे। ऐसे में अब डिप्टी सीएम ने ही मोर्चा सम्हाल लिया है। अब सारी चीजों की मॉनीटरिंग खुद ही करते हैं। इसके अलावा एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट की व्यवस्था भी करा रहे हैं। सीवीटीएस में लगने वाले उपकरणों की समस्या भी जल्द ही दूर होने वाली है। टेंडर लग गया है। टेंडर फाइनल होने के बाद आपेरशन में आने वाली रुकावटें भी दूर होंंगी।