Medical college: सिर्फ एक को छोड़कर सहायक प्राध्यापकों की लिस्ट हो सकती है आज जारी
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में associate professor के चयन सूची शुक्रवार को जारी हो सकती है। Interview के बाद File कमिश्नर के पास भेजी गई थी। इसमें सिर्फ एक नाम को छोड़कर अन्य की नियुक्ति का रास्ता साफ बताया जा रहा है। वहीं Single नाम पर डीएमई ने भी आपत्ति जताई है। प्रबंधन को भोपाल भी तलब किया है।
रीवा। ज्ञात हो कि Shyam Shah Medical college में सहायक प्राध्यापकों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। कई विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए डॉक्टरों से आवेदन मांगे गए थे। इसमें जनरल मेडिसिन पर माइकोलॉजी एनाटॉमी बायोकेमेस्ट्री, ENT, radiodiagnosis, नेत्र रोग विभाग, Anaesthesia, शिशु रोग विभाग, pathology, physiology विभाग शामिल थे। इस विज्ञापन में microbiology को शामिल नहीं किया गया। इन विभागों में आवेदन के बाद पात्र और अपात्रों की सूची 20 सितंबर 2023 को जारी की गई। इसमें पात्र और अपात्र मिलाकर 40 Doctor के नाम थे। पात्र चिकित्सकों को 26 सितंबर को 11 बजे दस्तावेज परीक्षण के लिए बुलाया गया था। 27 को पात्र चिकित्सकों का Interview आयोजित किया गया। Interview के बाद चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट पर अंतिम मुहर लगना बांकी था। कमिश्नर के पास फाइल भेजी गई। गुरुवार को संभव है कि कमिश्नर ने सहायक प्राध्यापकों के चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट पर मुहर लगा दी है। सिर्फ एक पर ही आपत्ति जताई गई है। शेष अन्य चयनित डॉक्टरों की लिस्ट शुक्रवार तक जारी की जा सकती है।
VC में भी उठा मुद्दा
चिकित्सा शिक्षा विभाग की वीसी बुधवार को आयोजित की गई थी। इस वीसी में भी Shyam Shah Medical college में हुए सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। microbiology विभाग में सहायक प्राध्यापक पद के लिए जिस Demonstrator को इंटरव्यू के लिए अचानक बुला लिया गया था। उसी के नाम पर आपत्ति दर्ज की गई। सूत्रों की मानें तो डीएमई ने कॉलेज डीन को रिकार्ड के साथ भोपाल भी तलब किया है।
इनके नाम पर है आपत्ति
जिस प्रदर्शक डॉ आरती आखंड को Assoc. Prof बनाना चाहते हैं। उनके डिग्री पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। बीएचएमएस के बाद इन्होंने MSc की हुई हैं। इन्होंने दो साल की MSc की है। वह भी पत्राचार से किया है। इन्होंने नौकरी करते हुए PhD की हैं। इंदौर से पत्राचार से पीएचडी की हैं। इसकी अनुमति भी विभाग या संस्थान से नहीं लीं। यही वजह है कि इस पर आपत्ति लग रही है लेकिन Dean जिद पर अड़े हैं। जबकि 6 मर्तबा जांच कमेटी बैठाई गई। सभी ने स्पष्ट सहमति नहीं दी। फिर भी नियम विरुद्ध Assoc. Prof बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी पर अब भोपाल से आपत्ति बैठ गई है।