मेडिकल कॉलेज से कबाड़ पार, खिड़कियों से निकली थी लोहे की खिड़कियां,सब उठा ले गए और प्रबंधन को बताया भी नहीं

श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के कायाकल्प में निकला लाखों रुपए का कबाड़ पार कर दिया गया। ठेकेदार और पीआईयू के एडीओ की मिली भगत से लाखों का कबाड़ ट्रक में भर कर बाहर भिजवा दिया गया। इसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन तक को नहीं दी गई। शुक्रवार को ट्रक लगाकर खिलडिय़ों का पुरानी जालियां गायब करा दी गईं। कॉलेज डीन ने बताया कि इसकी जानकारी नहीं दी गई

मेडिकल कॉलेज से कबाड़ पार, खिड़कियों से निकली थी लोहे की  खिड़कियां,सब उठा ले गए और प्रबंधन को बताया भी नहीं

हरियाणा की कंपनी कर रही है काम, कायाकल्प से निकला था कबाड़
रीवा। ज्ञात हो कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपए के प्रशासनिक भवन का काम चल रहा है। एक ब्लाक बन कर तैयार हो चुका है। दूसरे ब्लाक का निर्माण कार्य चल रहा है। इसका काम हरियाणा की कंपनी एमएसएलआर प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। इस कंपनी को मेडिकल कॉलेज के कायाकल्प का काम भी मिला था। मेडिकल कॉलेज में पुरानी खिड़कियों की जगह पर नए स्लाइडर वाली खिड़कियां लगानी थी। पुताई आदि का काम कराने के साथ ही मेडिकल कॉलेज के फ्रंट का काम भी इसे ही दिया गया था। कंपनी ने कायाकल्प के दौरान खिलडिय़ां तो बदली लेकिन पुरान लोहे की फ्रेम और खिड़कियां मेडिकल कॉलेज या फिर पीआईयू को सुपुर्द नहीं की। सीधे कबाड़ी से मिले और ट्रक बुलाकर लदवा दिया गया। शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज से निकली पुरानी खिड़कियों को सीजी 25 जी 2008 में लाद दिया गया। पहले यह ट्रक मानसिक रोग विभाग के सामने लगाया गया था। इसके बाद जब लोगों की नजर इस पर पड़ी तो ट्रक को तुरंत हटाकर मेडिकल कॉलेज के पीछे लगा दिया गया। फिर इसमें कबाड़ लादा गया। हद तो यह है कि इस पूरे हेरफेर की जानकारी कॉलेज प्रबंधन तक को नहंी दी गई। पीआईयू और ठेका कंपनी ने भी किसी तरह का मेडिकल कॉॅलेज प्रबंधन से पत्राचार नहीं किया। अब पूरा मामला ही संदेहास्पद हो गया है। लाखों रुपए का कॉलेज से निकला कबाड़ पार कर दिया गया है।


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हमे इसके बारे में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई। पीआईयू के इंजीनियर कालरा जी है। उन्होंने भी कुछ नहीं बताया। उन्होंने कहा कि था कि यदि ठेकेदार रखना चाहता है तो वह उसका पैसा देगा। नहीं तो पीआईयू रखेगा। इंजीनियर ने कहा था कि इसे स्टोर में रखेंगे। इस मामले में बात करेंगे। इसी तरह टीबी वार्ड को भी तोड़ा गया था। बोले कि कस्टडी में रखे हैं।
डॉ मनोज इंदूरकर
डीन, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा