जो बनने वाला था मुकुंदपुर चिडिय़ाघर की शान, उसके आने के पहले ही हो गई मौत

मार्तण्ड सिंह जूदेव प्रबंधन की उम्मीदों पर पानी फिर गया। चिडिय़ाघर को एक और सफेद बाघ मिलने वाला था। चिडिय़ाघर लाने के पहले ही सफेद बाघ की मौत हो गई। अब फिर से नए सिरे से प्रबंधन को दौड़ लगानी पड़ेगी।

जो बनने वाला था मुकुंदपुर चिडिय़ाघर की शान, उसके आने के पहले ही हो गई मौत
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रीवा। ज्ञात हो कि मार्तण्ड ङ्क्षसह जूदेव चिडिय़ाघर में सफेद बाघों की संख्या धीरे धीरे कम हो गई है। विंध्या की मौत के बाद सफेद बाघ सिर्फ दो की संख्या में ही बचे थे। इसकी भरपाई करने का काम कुछ हद तक टीपू ने किया। इसके अलावा एक जोड़ा और सफेद बाघ लाने की तैयारी थी। ग्वालियर से सहमति भी मिल गई थी। चुनाव के बाद इन्हें मुकुंदपुर लाने की तैयारी थी। इस प्रबंधन खुशियां मना रहा था। वहीं इसी बीत ग्वालियर से बुरी खबर पहुंच गई। दरअसल जिस सफेद बाघ को ग्वालियर चिडिय़ाघर से मुकुंदपुर को देने की तैयारी थी। उसकी अचानक तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। एक महीने पहले ही उसने दम तोड़ दिया। ग्वालियर से मुकुंदपुर आने वाला सफेद बाघ कम उम्र का ही था। उम्मीद थ कि इसके आने से यहां बाघों की संख्या में इजाफा होगा लेकिन सब पर पानी फिर गया।
टीपू से है उम्मीद कि कुनबा बढ़ाएगा
मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर में सफेद बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग की तैयारी है। दिल्ली से लाए गए सफेद बाघ टीपू को इसी के लिए तैयार किया जा रहा है। मादा यलो बंगाल टाइगर और टीपू के बीच में मेटिंग कराई जाएगी। उम्मीद है कि यह प्रयोग सफल रहेगा। यदि प्रबंधन की सोच के हिसाब से ही सब कुछ हुआ तो सफेद बाघों का कुनबा यहीं बढ़ेगा। बाहर से सफेद बाघ लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सिर्फ दो बाघ बचे थे
दिल्ली में भी टीपू व अन्य मादा बाघ के बीच कराई गई ब्रीडिंग सफल रही है। कई शावक हुए हैं। यही वजह है कि मुकुंदपुर चिडिय़ाघर प्रबंधन को टीपू से उम्मीदें बढ़ गई हैं। सोनम और रघू सफेद बाघ बचे हैं लेकिन यह कुनबा नहीं बढ़ा पा रहे हैं। सोनम और रघू अब सिर्फ पर्यटकों को लुभाने के काम आएंगे।
अब नए सिरे से शुरू हुई तैयारी
ग्वालियर से जिस सफेद बाघ को लाना था। उसकी मौत हो गई। इसके बाद अब प्रबंधन को नए सिरे से तलाश करना होगा। इसमें लंबी प्रक्रिया से प्रबंधन को गुजरना होगा। दिल्ली से टीपू के बदले यलो टाइगर देना पड़ा था। बदले में वन्यजीव देने की स्थिति में प्रबंधन नहीं है। ऐस में प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी समस्या एक्सचेंज की ही है।