सिरमौर तहसील में रीडर की कुर्सी नहीं छोड़ रहा खंड लेखक, कानूनगो शाखा भेजते ही गायब हो गया

सिरमौर तहसील में कलेक्टर की जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। खंड लेखक ने जबरन रीडर की कुर्सी पर कब्जा किया हुआ था। इसी कुर्सी की आड़ में आरसीएमएस की फाइलों में हेरफेर कर रहा था। अब फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद रीडर की कुर्सी से हटा दिया गया है। कानूनगो शाखा भेज दिया गया है। आदेश के बाद अब खंड लेखक गायब हो गया है। रीडर के दावेदार को प्रभार ही नहीं दे रहा।

सिरमौर तहसील में रीडर की कुर्सी नहीं छोड़ रहा खंड लेखक, कानूनगो शाखा भेजते ही गायब हो गया
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कलेक्टर ने आरसीएमएस के प्रकरणों के आदेश बिना तहसीलदार के हस्ताक्षर के पकड़ा था
लंबे समय से कुर्सी पर किया है कब्जा, जो हकदार है वह तीन महीने से भटक रहा
रीवा। सिरमौर तहसील में खंड लेखक की दबंगई के आगे सब नतमस्तक है। तीन महीने से रीडर का हकदार बाबू रविशंकर त्रिपाठी इधर उधर भटक रहा है और उसकी कुर्सी पर खंड लेखक राजेश पाण्डेय ने कब्जा कर रखा था। रीडर की कुर्सी पर बैठ कर राजेश पाण्डेय और तहसीलदार, नायब तहसीलदार फर्जीवाड़ा पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। आरसीएमएस से लेकर लोक सेवा में आने वाले आवेदनों में जमकर गफलत कर रहे थे। अब रीडर की चोरी पकड़ गई तो खंड लेखक को रीडर की कुर्सी छोडऩे के आदेश हो गए हैं। वर्तमान तहसीलदार ने वर्तमार रीडर को मौखिक रूप से कई मर्तबा आदेश भी प्रभार छोडऩे के दे चुकी है। इसके बाद भी रीडर कुर्सी नहीं छोड़ रहा है। फाइलें अब भी निपटाने में लगा है। हालंाकि इसमें तहसीलदार और खंड लेखक राजेश पाण्डेय की मिली भगत बताई जा रही है। दोनों ही मिलकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। यही वजह है कि रवि शंकर त्रिपाठी को रीडर की जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है। वर्तमान समय में रीडर की कुर्सी पर कब्जा जमाकर बैठे खंड लेखक राजेश पाण्डेय को कानूनगो शखा में भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस आदेश के बाद अब वह लापता हैं। कार्यालय से दूरी बना कर रखे हुए हैं। रवि शंकर त्रिपाठी को प्रभार नहीं सौंप रहे हैं। रवि शंकर पिछले तीन महीने से इधर उधर भटक रहे हैं। उनका हक मारा जा रहा है। इसके पीछे वजह रीडर की कुर्सी पर बैठकर आर्डर पर खेल करना है।
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इस तरह होता है सिरमौर तहसील में खेल
सिरमौर तहसील अंतर्गत नायब तहसील न्यायालय फर्जीवाड़ा का गढ़ बन गया है। यहां पदस्थ वर्तमान रीडर अधिकारियों के फर्जी साइन कर आर्डर पास करने में भी माहिर हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकारियेंा के स्थानांतरण के बाद उनके फर्जी हस्ताक्षर कर प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया। इसके अलावा पुराने जितने भी आरसीएमएस में प्रकरण थे। सभी को गायब कर दिया गया। इनकी फाइलें भी दबा दी गईं। कई प्रकरणों का अता पता नहीं है। संबंधित फरियादी न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। इन फाइलों की जांच की जाए तो सारा फर्जीवाड़ा समाने आ जाएगा।
कलेक्टर ने पकड़ लिया था
हाल ही में सिरमौर तहसील के रीडर का फर्जीवाड़ा कलेक्टर ने पकड़ा था। आरसीएमएस के आर्डर तैयार किए गए थे लेकिन उसमें तहसीलदार के दस्तखत नहीं कराए गए थे। यह सब फर्जीवाड़े की तैयारी थी। इसी तरह से रीडर हेरफेर कर लोगों से मोटी रकम ऐंठते आ रहा है। इस रीडर की कारस्तानी से कर्मचारी और लोग परेशान थे। तहसील में आने वाले प्रकरणों में हेरफेर करने में यह माहिर हैं। इनकी कारस्तानी के कारण कई अधिकारियों की भी गर्दन फंसते फंसते रह गई।
तहसीलदार का मिला है साथ
रीडर की राह पर वर्तमान तहसीलदार भी चल पड़ी हैं। जिस तरह से काम रीडर राजेश पाण्डेय करते आ रहे थे। वैसा ही काम तहसीलदार भी करने लगी। पहले वर्तमान तहसीलदार बैकुंठपुर नायब तहसीलदार रहीं। इन्होंने पद पर बैठते ही लोक सेवा से लगे नामांतरण, बटनवारा, वारिसाना आदि के आवेदनों को होड पर डाल दिया था। लोगों की परेशानियां बढ़ा दी थी। किसी तरह पटवारियों को रुपए देकर प्रकरणों में रिपोर्ट लगवाई गई थी। सभी रिपोर्ट को वर्तमान तहसीलदार ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद जिन्होंने तहसील कार्यालय जाकर अधिकारी और कर्मचारी की जेब गर्म की उनकी फाइलें पास हुई शेष की निरस्त कर दी गईं या फिर अभी भी डंप पड़ी हैं।