रीवा में बनने वाली है सबसे ऊंची बिल्डिंग, जानिए कहा हो रहा है इसका निर्माण, कितनी ऊंची होगी
रीवा में जल्द ही सबसे ऊची बिल्डिंग नजर आएगी। इसकी ऊंचाई 8 मंजिला होगी। यह कामर्सियल नहीं है। रिहायसी बिल्डिंग होगी। 8 मंजिला के चार टॉवर बनाने की योजना है। इसके निर्माण पर करीब 46 करोड़ रुपए खर्च होंगे। नीवं रखी जा चुकी है। निर्माण शुरू होने का इंतजार है।
रीवा। ज्ञात हो कि रीवा शहर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब इसमें एक और नई उपलब्धि जुडऩे वाली है। जिला न्यायालय के बाद अब रीवा में एक और सबसे ऊंची बिल्डिंग बनाने की तैयारी है। यह बिल्डिंग संजय गांधी परिसर में बनाई जाएगी। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के पीछे इसके निर्माण की प्लानिंग है। निर्माण एजेंसी पीआईयू को बनाया गया है। इसके निर्माण का टेंडर भी हो चुका है। ठेकेदार भी फाइनल हो गया है। अब बस निर्माण कार्य शुरू होने का ही इंतजार हो रहा है। यह बिल्डिंग सारी सुविधाओं से लेस होगी।
सभी में होगी लिफ्ट सुविधा
बनने वाले सभी टॉवर सुविधाओं से लेस होंगे। इनमें हाईटेक लिफ्ट की सुविधाएं होंगी। फायर फायटिंग सुविधा होगी। सुरक्षा के इंतजार रहेंगे। इन टावरों की संख्या 4 बताई जा रही है। यह पूरी योजना पुर्नघनत्वीकरण योजना के तहत की जा रही है। बिल्डिंग बनाने वाला ठेेेकेदार भी रीवा का ही बताया जा रहा है। इस बिल्डिंग के निर्माण होने से पूरा शहर यहां से दिखाई देगा।
इस तरह के कमरे बनेंगे
यह बिल्डिंग पूरी तरह से रिहायसी होगी। इसमें सुपर स्पेशलिटी और श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को कमरे एलाट किए जाएंगे। डी और ई टाइप के कमरे बनाए जाएंगे। इस बिल्डिंग के बनने से डॉक्टरों के सामने भवन की समस्या खत्म हो जाएगी। अभी सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टरों के पास रहने के लिए भवन नहीं है। मेडिकल कॉलेज के भवनों में ही इन्हें कमरा एलॉट किया गया है। इसके निर्माण होने से परिसर में ही रहने को आवास मिल जाएगा।
ठेकेदार नहीं दिखा रहा तेजी
इस भवन निर्माण को लेकर एक निगेटिव बात भी सामने आ रही है। जिस ठेकेदार को इस कार्य का टेंडर मिला है। उसने अभी तक निर्माण कार्य की शुरुआत ही नहीं की है। ड्राइंग डिजाइन तक पीआईयू को स्वीकृति के लिए नहीं भेजी है। इसके पीछे वजह बजट संकट बताया जा रहा है। ठेकेदार के पास फंड नहीं हैं। इसके कारण ठेकेदार अपने कदम पीछे खींच रहा है। ठेकेदार को इस निर्माण के बदले रुपए नहीं मिलेंगे। पुर्नघनत्वीकरण के तहत सरकारी जमीन उपलब्ध कराने की योजना है।