बच्चों के साथ पीडि़त शिकायतों की माला पहनकर पहुंचा कलेक्टे्रट, मांगी भूख हड़ताल की अनुमति
विद्युत विभाग में सौभाग्य योजना का फर्जीवाड़ा किसी से छुपा नहीं है। अब इस फर्जीवाड़े का सच सामने आने लगा है। एक पीडि़त परिवार मंगलवार को जनसुनवाई में बच्चों के साथ पहुंचा। सभी के गले में शिकायतों की माला था। शिकायत करते करते परिवार थक गया लेकिन उसके घर में कनेक्शन नहीं हुआ। पीडि़त ने भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है।
विद्युत विभाग ने सौभाग्य योजना के तहत दिया था कनेक्शन
खंभा तो लगाया लेकिन आज तक केबिल नहीं खींच पाया
रीवा। ज्ञात हो कि रीवा सहित प्रदेश में सौभाग्य योजना के तहत करोड़ों रुपए का काम हुआ था। गांव से लेकर शहर तक केबलीकरण का काम हुआ था। इस योजना के तहत रीवा जिला में भी करोड़ों रुपए का काम हुआ था। इस योजना के तहत तमरा गांव में भी काम हुआ था। तमरा ग्राम के निवासी रामराज कोल को भी कनेक्शन दिया गया था। वर्ष 2018 प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन दिया गया था। विद्युत विभाग ने आश्वासन दिया था कि कनेक्शन लेने पर घर तक पोल और केबिल पहुंच जाएगी। कनेक्शन लेने के बाद घर के पास खंभा तो लग गया लेकिन केबिल नहीं लगी। कुछ दिन इंतजार करने के बाद भी केबिल नहीं खींची गई। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई। शिकायत पर विद्युत विभाग ने पीडि़त को ही गलत साबित कर दिया गया। सौभाग्य योजना से लगे खंभे को अवैध बता दिया गया। 6 साल गुजर गया लेकिन पीडि़त के घर तक केबलीकरण नहीं किया गया। केबिल विभाग ने गायब कर दी। पीडि़त इस दौरान कई जगहों पर शिकायत की। 6 साल में जनसुनवाई में कई मर्तबा पहुंचा। शिकायत पर शिकायत किया। अब उसके पास इतने शिकायती पत्र एकत्र हो गए है कि उसकी ऊंची गड्डी लग गई है। इन्हीं शिकायतों की माला बनाकर पीडि़त रामराज कोल ने खुद भी पहना और अपने बच्चों के गले में भी पहना कर कलेक्ट्रेट पहुंच गया। पीडि़त कलेक्ट्रेट भूख हड़ताल में बैठने की अनुमति लेने पहुंचा था। उसने पूरे सिस्टम पर गंभीर आरोप लगाए। उसने कहा कि यदि वह गलत है तो मामले की निष्पक्ष जांच करा ली जाए।
सौभाग्य योजना में किया गया था करोड़ा का हेरफेर
रीवा में सौभाग्य योजना के तहत केबलीकरण से लेकर फीडर सेप्रेशन तक के काम हुए थे। लोगों के घरों में मीटर तक लगाने का काम हुआ था। इस योजना में कहीं कोई कार्य नहीं किया गया। लोगों के घरों में मीटर लगाया गया लेकिन वह सिर्फ खानापूर्ति ही रहा। फीडर सेप्रेशन तक का कहीं पता नहीं है। इस सौभाग्य योजना के तहत किए गए कार्यों की जांच भी बैठी लेकिन रीवा में लीपापोती कर दी गई थी। कई जगहों पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। जिसमें करोड़ों रुपए की अधिकारियों पर रिकवरी भी निकाली गई थी।