मप्र में इनकी इतनी संख्या बढ़ी कि अब पड़ोसी राज्यों से आने लगी है डिमांड

मप्र टाइगर स्टेट बन गया है। यहां बाघों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि पड़ोसी राज्यों से डिमांड आनी शुरू हो गई है। राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से बाघों की डिमांड की गई है। मप्र बाघों के मामले में नंबर वन पर चल रहा है।

मप्र में इनकी इतनी संख्या बढ़ी कि अब पड़ोसी राज्यों से आने लगी है डिमांड

तीन राज्यों ने मप्र से मांगे बाघ
भोपाल। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश पर अब अन्य राच्यों की नजर है। 3 राच्यों ने मध्य प्रदेश से बाघों की मांग की है। इनमें राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से चार-चार बाघ मांगे हैं। इन राच्यों की मांग के बाद अब वन विभाग प्रदेश के उन वन क्षेत्रों को चिह्नित कर रहा है, जहां बाघों की संख्या अधिक है। यहां से बाघों को अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के साथ अन्य राच्यों को देने पर भी निर्णय लिया जाएगा।

वन विभाग कर रहा तैयारी
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बाघ की मांग तत्कालीन कांग्रेस सरकार में की गई थी। अब दोनों ही राच्यों में भाजपा सरकार है, ऐसे में एक बार फिर नई सरकार ने सरकार से बाघ मांगे गए हैं। वन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि वन अधिकारियों का कहना है कि तीनों राच्यों को बाघ देने का निर्णय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति मिलने के बाद लिया जाएगा।एनटीसीए की टीम इन राच्यों की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन करेगी कि वहां का क्षेत्र बाघ की सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं। इन परिस्थितियों का अध्ययन करने के बाद ही बाघ देने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। वन प्राणी अभिरक्षक अतुल श्रीवास्तव का कहना है कि राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को  निर्धारित प्रावधान और नियम शर्तों के आधार पर बाघ देने का निर्णय लिया जाएगा।

सीएम के निर्देश, पड़ोसी राज्य से बेहतर संबंध बनाए
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश भी है कि मध्य प्रदेश अपने पड़ोसी राच्यों से परस्पर बेहतर संबंध बनाए। इसके दो बड़े उदाहरण केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना है। इन दोनों ही परियोजना से उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच आपसी संबंध बढ़े हैं और इससे मध्य प्रदेश सहित इन दो राच्यों को लाभ मिलेगा। इसे देखे हुए अब मध्य प्रदेश सरकार राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को बाघ देने पर विचार कर रही है।