फिर करंट से झुलसा एक आउटसोर्स कर्मचारी, दो दिन में दूसरी घटना

त्योंथर डिवीजन अंतर्गत लालगांव डीसी में फिर लापरवाही सामने आई। एक आउटसोर्स कर्मचारी 11 केवी लाइन की चपेट में आ गया। सुधार कार्य करते समय कर्मचारी को करंट लगा है। करंट से शरीर पूरी तरह से झुलस गया है। इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया है।

फिर करंट से झुलसा एक आउटसोर्स कर्मचारी, दो दिन में दूसरी घटना

बुधवार को मनगवां में झुलसा था कर्मचारी, गुरुवार को लालगांव में हुआ
रीवा। विद्युत विभाग की लापरवाही कर्मचारियों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। लगातार हादसे हो रहे हैं। मेंटीनेंस के नाम पर खंभोंं पर आउटसोर्स कर्मचारियों को चढ़ाया जाता है फिर लाइनें चालू कर दी जाती है। जिससे करंट की चपेट में आ जाते हैं। 1 महीने में 7 हादसे हो चुके हैं। 7 कर्मचारी करंट की चपेट में आने से झुलस चुके हैं। आउटसोर्स कर्मचारी संजय सिंह, दिलीप साकेत नईगढ़ी वितरण केन्द्र, आशीष पाण्डेय, राघुवेन्द्र पटेल शहर संभाग, निमेन्द्र तिवारी जवा, आनंद तिवारी अतरैला वितरण केन्द्र, शिवनायक तिवारी जवा, सुनील सिंह जवा वितरण केन्द्र झुलस चुके हैं। इसके बाद भी विद्युत विभाग सबक नहीं ले रहा है। एक दिन पहले ही मनगवां डीसी अंतर्गत उप बिजली वितरण केंद्र कंदैला में 11 केवी का सुधार कार्य करते समय महाबली गौतम को करंट लगा था। करंट लगने से महाबली गौतम बुरी तरह से झुलस गए थे। जिन्हें इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।  वहीं दूसरे ही दिन लालगांव डीसी में आउटसोर्स कर्मचारी छोटेलाल साकेत को करंट लग गया है। वह भी बुरी तरह से झुलसा है। इलाज जारी है। आउटसोर्स कर्मचारियों की जान जोखिम में डाली जा रही है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर मालामाल हो रहे हैं और कर्मचारी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इन कर्मचारियों को विभाग की तरफ से कोई मदद भी नहीं मिलती। विद्युत विभाग की इस लापरवाही ने कई परिवारों को मुश्किलों में डाल दिया है।
हालात चिंताजनक 1 महीने में 7 हादसे
विद्युत विभाग में हो रहे हादसें चिंता का विषय बन गया है। लगातार विद्युत विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। एक महीने में करीब 7 आउटसोर्स कर्मचारी आपरेटरों और जेई, एई की लापरवाही का शिकार हो गए हैं। इनमें से तीन की हालत चिंताजनक है। लगातार विंध्य आउटसोर्स कर्मचारी संगठन कर्मचारियों के सुरक्षा की मांग उठाता आ रहा है। इसके बाद भी इस तरफ अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। हादसों पर हादसें हो रहे हैं। अधिकारियेां के कान में जू तक नहीं रेंग रही। अब तक आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।वहीं कई कर्मचारी शारीरिक रूप से विकलांग हो चुके हैं। इनके घरों की आर्थिक स्थिति बदतर हो चुकी है। विभाग से भी किसी तरह की मदद नहीं मिली।
परमिट लेने के बाद भी लाइन चालू कर देते हैं
रीवा जिला में 11 केवी और 33 केवी लाइन का मेंटीनेंस चल रहा है। यह सारा काम ठेकेदारों के साथ मिलकर विभाग करा रहा है लेकिन जान आउटसोर्स कर्मचारियों की जा रही है। ठेकेदार के कर्मचारी कहीं भी हादसे में नहीं फंस रहे हैं। जब ठेकेदारी में ही सारा काम होता है तो इन बेचारे आउटसोर्स कर्मचारियों को मेंटीनेंस के नाम पर खंभों में क्यों चढ़ाया जाता है। यह जांच का विषय है। अधिकारी और ठेकेदार मिल कर जेब भर रहे हैं और आउटसोर्स कर्मचारी मर रहे हैं।
बिना अनुबंध के करा रहे हैं नियम विरुद्ध काम
विद्युत विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी अनुबंध में काम कर रहे हैं। आउटसोर्स कंपनियां इन्हें भुगतान करती है। अनुबंध में खंभों पर चढऩे और मेंटीनेंस करने की जिम्मेदारी से इन्हें प्रथक रखा गया है। फिर भी विद्युत विभाग के अधिकारी नियम विरुद्ध काम करा रहे हैं। काम के हिसाब से कर्मचारियों को भुगतान और सुरक्षा की गारंटी भी नहीं दी जाती। किसी भी कर्मचारी के पास पर्याप्त सुरक्षा सामग्री नहीं है। सभी बिना सुरक्षा सामग्री के ही काम कर रहे हैं।