काउंसलिंग में कुछ तो गड़बड़ है, अतिशेष की काउंसलिंग के बीच उच्च पद के प्रभार का हो रहा आदेश और दिव्यांग को कर दिया अतिशेष
रीवा में चल रही अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग में सब कुछ गड़बड़ है। कुछ भी सही नहीं चल रहा है। इसमें चहेतों और सिफारिश वालों को मनचाही पदस्थापना दी जा रही है। अतिशेष की काउंसलिंग में मनपसंद स्कूल नहीं मिल रही तो उच्च पद प्रभार का आदेश जारी किया जा रहा है। महिला शिक्षक को अतिशेष से बचाने के लिए दिव्यांग शिक्षक को अतिशेष कर दिया गया। अभ्यावेदन तक नहीं लिया गया। काउंसलिंग कर दूसरी स्कूल में भी पदस्थ कर दिया गया। सब गोलमाल चल रहा है।
काउंसलिंग अतिशेष की चल रही है और जेडी कार्यालय से आदेश उच्च पद प्रभार का हो रहा जारी
मार्तण्ड स्कूल क्रमांक तीन में पदस्थ एक शिक्षक को रसूख का मिला फायदा, अतिशेष की स्कूल पसंद नहीं आई तो उच्च पद प्रभार में वहीं पदस्थ कर दिया
रीवा। रविवार को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अतिशेष शिक्षकों की भीड़ लगी रही। सुबह 11 बजे से शिक्षकों को बुला लिया गया लेकिन दो बजे तक काउंसलिंग शुरू नहीं हुई। तीन घंटे देरी से शुरू हुई काउंसलिंग के कारण 35 शिक्षक बच गए। सामाजिक विज्ञान विषय के माध्यमिक शिक्षकों को अब सोमवार को फिर आना पड़ेगा। सहायक, प्राथमिक शिक्षकों के बाद अब उच्च श्रेणी और माध्यमिक शिक्षकों की काउंसलिंग शुरू हो गई है। 137 शिक्षक रीवा जिला से अतिशेष में आए थे। इनकी लिस्ट जारी होने के बाद 14 सितंबर को अभ्यावेदन के लिए बुलाया गया। यूडीटी के 25 और एमएस के 67 अभ्यावेदन आए। इसमें से 37 अमान्य और 55 मान्य किए गए। अभ्यावेदन मिलने के बाद रविवार को डीईओ कार्यालय में काउंसलिंग तय की गई। सुबह सभी अतिशेष शिक्षकों को सुबह 11 बजे काउंसलिंग के लिए बुलाया गया। शिक्षकों की डीईओ कार्यालय में भीड़ लगी रही। सुबह से ही महिलाएं और पुरुष शिक्षक डीईओ कार्यालय के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। तीन घंटे तक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अंदर मीटिंग और गूगल सीट पर रिक्त पदों का मिलान जारी रहा। इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे से काउंसलिंग शुरू हुई। पहले अंग्रेजी, गणित, हिंदी, संस्कृत विषय के उच्च श्रेणी शिक्षकों को मौका दिया गया। इसके बाद माध्यमिक शिक्षकों की बारी आई। देर शाम तक 102 शिक्षकों की काउंसलिंग ही हो पाई। इसके बाद भोपाल से ही काउंसलिंग प्रक्रिया रोक दी गई। 35 सामाजिक विज्ञान विषय के अतिशेष शिक्षकों को सोमवार को बुलाया गया है। इन सभी शिक्षकों की काउंसलिंग सुबह 11 बजे से फिर शुरू होगी।
देरी पर मचा हंगामा, महिला डीईओ चेम्बर में घुस गई
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में काउंसलिंग निर्धारित की गई थी। सभी शिक्षकों को सुबह से ही बुला लिया गया था। काउंसलिंग में करीब 3 घंटे की देरी की गई। इसके कारण कुछ महिला शिक्षक विफर पड़ी। एक महिला शिक्षक कार्यालय के अंदर भी घुस गई। जमकर हंगामा भी किया। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि महिला शिक्षक ने लेन देने के बाद भी अतिशेष की लिस्ट में नाम आने पर हंगामा किया। हालांकि मामले को कार्यालय के अंदर ही दबा दिया गया।
अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग में चल रहा अलग खेल
रीवा जिला में अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के नाम पर अलग ही खेल चल रहा है। यहां सिफारिश लेकर आने वालों के लिए अलग आदेश जारी किया जा रहा है। कुछ शिक्षक जो अतिशेष की लिस्ट में शामिल थे। उन्हें मनपसंद स्कूल नहीं मिली तो बाद में जेडी लोक शिक्षण कार्यालय से उच्च पद प्रभार का आदेश ही जारी करा लिया। रीवा में मार्तण्ड स्कूल क्रमांक तीन के एक शिक्षक का नाम भी सामने आया है। यह शिक्षक संगठन के नेता भी रह चुके हैं। अपने रसूख के दम पर उच्च पद प्रभार का आदेश कराया है। हद तो यह है कि जब उच्च पद का प्रभार के लिए पात्र थे तब पहले क्येां आदेश नहीं किया गया। अब जब अतिशेष की काउंसलिंग में जोरी विद्यालय मिला तो भी ज्वाइनिंग नहीं ली। अब जेडी ने मार्तण्ड स्कूल में ही उच्च पद के प्रभार का आदेश जारी कर पदस्थ कर दिया। इसी तरह एक सतना के शिक्षक का भी आदेश 14 सितंबर को जारी किया गया है। रामाधार द्विवेदी सहायक शिक्षक एलडीटी सोशल साइंस विषय के शिक्षक हैं। इनके संस्था का नाम जीपीएस पुरैनी सतना है। 14 सितंबर 2024 को जेडी कार्यालय से उच्च पदभार का आदेश जारी कर दिया गया है। इन्हें जीएमएस मालगांव में पदस्थ कर दिया गया है। अतिशेष में बेहतर स्कूल नहीं मिलने के बाद इस तरह का खेल चल रहा है।
दिव्यांग शिक्षक को कर दिया अतिशेष
रीवा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अतिशेष की लिस्ट में भी हेरफेर की गई है। एक स्वस्थ महिला जो अतिशेष में होनी चाहिए। उसके लिए नियमों को ही धता बता दिया गया। रीवा में ही धोबिया टंकी के पास संचालित गवर्नमेंट हायर सेकेण्डरी स्कूल में पदस्थ दिव्यांग शिक्षक को अतिशेष कर दिया गया। इतना नहीं सिफारिश के कारण महिला को बचाने के लिए दिव्यांग शिक्षक को अभ्यावेदन भी नहीं लिया गया। उन्हें इधर से उधर घुमाते रहे। जबकि इनकी नियुक्ति की विकलांग कोटा से हुई है। नियमानुसार 40 फीसदी से अधिक विकलांग शिक्षक अतिशेष लिस्ट में नहीं डालना था। फिर भी गड़बड़ी की गई। इस गड़बड़ी को पाटने के लिए शहर का ही स्कूल देकर भरपाई कर दी गई।
रीवा में काउंसलिंग के नाम पर हुआ मजाक
काउंसलिंग के नाम पर शिक्षकों के साथ मजाक किया गया है। पूरी काउंसलिंग में ही गड़बड़ी की गई है। डीईओ से लेकर जेडी तक ने काउंसलिंग में बड़ा गोलमाल किया है। जिनके पास सिफारिश नहीं थी। उन्हें दूर की स्कूलों में भेज दिया गया। वहीं जो सिफारिश लेकर पहुंचे थे उनके लिए नियम बदल दिए गए। अभ्यावेदन के नाम पर उन्हीं के आवेदन स्वीकार किए गए जिन्होंने या तो रुपए दिए या फिर तगड़ी सिफारिश लेकर पहुंचे थे। अब कामचोर शिक्षक यहीं रह गए और पढ़ाने वाले शिक्षक नप गए। इस पूरी प्रक्रिया की ही जांच होनी चाहिए। जेडी और डीईओ को भोपाल से जिम्मेदारी दी गई थी। इन दोनों अधिकारियों ने ही खेला कर दिया। मामले कई हैं। इन सभी मामलों का खुलासा धीरे धीरे किया जाएगा।