प्राइवेट कंपनियों में भी आरक्षण की थी तैयारी, विरोध हुआ तो सरकार ने फैसले पर लगाई रोक

कनार्टक सरकार ने प्राइवेट कंपनियों में भी आरक्षण लागू करने की तैयारी कर ली थी। नया कानून बनाने जा रहे थे। प्राइवेट कंपनियों में सी और डी ग्रुप में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का विधेयक लाया जा रहा था। कंपनियों ने विरोध किया तो सरकार को फिलहाल अपना फैसला रोकना पड़ा है। फिर से इस पर विचार चल रहा है।

प्राइवेट कंपनियों में भी आरक्षण की थी तैयारी, विरोध हुआ तो सरकार ने फैसले पर लगाई रोक
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नॉन-मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 75 प्रतिशत
मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की थी तैयारी
बेंगलुरु। कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। कर्नाटक सरकार इस आरक्षण से जुड़े विधेयक पर फिर से विचार करेगी। बता दें कि कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों की नौकरियों में नॉन-मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 75 प्रतिशत और मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक को कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को मंजूरी थी। इस विधेयक को गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाना था, लेकिन इस पर विवाद हो गया और सरकार को रोक लगानी पड़ी। इस फैसले पर विवाद तब हुआ, जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 16 जुलाई को इस आरक्षण की घोषणा की और सोशल मीडिया पर लिखा कि प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी में स्थानीय लोगों को 100 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। हालांकि, 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने सोशल मीडिया पर 100 प्रतिशत कोटा बिल को लेकर की गई पोस्ट हटा ली। इसके बाद राज्य के लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने बुधवार को सफाई दी।
औद्योगिक घरानों ने जताया था विरोध
प्राइवेट कंपनियों में रिजर्वेशन के कर्नाटक सरकार के फैसले से औद्योगिक घरानों ने नाखुशी जताई थी। उनका कहना है कि इस बिल से भेदभाव बढ़ेगा और इंडस्ट्रीज को नुकसान हो सकता है। कंपनियों ने कहा- सरकार को आरक्षण को अनिवार्य करने के बजाय स्किल डेवलपमेंट और हायर एजुकेशन पर ज्यादा खर्च करना चाहिए। कन्नड़ लोगों को नौकरी के लिए सक्षम बनाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम और इंटर्नशिप पर ज्यादा निवेश करना चाहिए। कुछ कंपनियों ने तो राज्य सरकार को बाहर जाने की चेतावनी भी दी थी।